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Child Development and Pedagogy

Samaveshi Shiksha Study Material in Hindi

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Samaveshi Shiksha Study Material

समावेशी शिक्षा के महत्वपूर्ण नोट्स

नमस्कार! दोस्तों आज इस पोस्ट (Samaveshi Shiksha Study Material in Hindi ) में हम समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) के अर्थ,आवश्यकता,उद्देश्य का अध्ययन करेंगे। समावेशी शिक्षा से संबंधित प्रश्न सभी टीचिंग एग्जाम्स जैसे NVS,DSSSB,CTET,TET,HTET,UPTET,मैं पूछे जाते हैं। हमने इस पोस्ट में समावेशी शिक्षा से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को विस्तार से समझाया है जिससे आपको परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों को हल करने में काफी मदद मिलेगी।

Samaveshi Shiksha Study Material in Hindi

What is Inclusive education (समावेशी शिक्षा)

समावेशी शिक्षा को ज्यादातर लोग आज आक्षमता अर्थात कम सुनने वाले बच्चे, विकलांग बच्चे या मंदबुद्धि बच्चों को सामान्य बच्चों के समान शिक्षा देना समझते हैं ।मगर इस शब्द का अर्थ अधिक व्यापक है।समावेशी शिक्षा में ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जो स्कूल छोड़ चुके हैं ,या जिन्हें निकाल दिया गया है ,या भी गरीब हैं, भूखे हैं, तथा अलग धर्म, या जाति से संबंधित है ।

समावेशी शिक्षा मुख्य रूप से खेतों, घरों और अन्य जगह बाल श्रमिक के रूप में काम करने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने को लेकर संबंधित है।

जाने !क्या है समावेशी शिक्षा का अर्थ ?

समावेशी शिक्षा का अर्थ यह भी है कि जिम्मेदार शिक्षक, अभिभावक एवं नागरिक होने के नाते हमें ऐसे बच्चों को खोजें एवं शिक्षा की धारा से जुड़े यह प्रयास स्कूलों गैर सरकारी संस्थाओं परिवारों समेत अन्य लोगों को भी करना चाहिए।

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता के महत्वपूर्ण तर्क

  1. संवैधानिक अधिकार- सभी नागरिक समान है जाति, धर्म, नरसी एवं लिंग के अनुसार भेदभाव नहीं किया जाएगा। फिर शिक्षा में समावेशन क्यों ना हो।
  2. शैक्षिक- अनुसंधान से पता चला है कि सामान्य बुद्धि के साथ वंचित बच्चे बेहतर सीखते हैं। अतः समावेशी शिक्षा जरूरी है।
  3. सामाजिक- सभी लोग एक ही समाज में पढ़ते हैं इसलिए शिक्षा में भी सभी प्रकार के बच्चों को एक साथ रखा जाना चाहिए
  4. मनोवैज्ञानिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हर बच्चा सीखता है चाहे वह एक विशिष्ट बालक हो या सामान्यतः समावेशी शिक्षा एक जरूरत है

समावेशी शिक्षा से लाभ

  1. शिक्षा का सार्वजनिक कारण
  2. गरीब एवं बेरोजगारी का उन्मूलन
  3. शैक्षिक एवं सामाजिक भेदभाव का उन्मूलन
  4. संवैधानिक अधिकारों का क्रियान्वयन

समावेशी शिक्षा की चुनौतियां

  1. समावेशी शिक्षा सभी उम्र के लिए प्रभावित होती है लेकिन उम्र घटने एवं बढ़ने पर मुश्किलों का सामना होता है
  2. शिक्षकों का विशिष्ट बालक को को पहचान पाना मुश्किल हो रहा है और दैनिक स्तर पर शिक्षण पद्धतियों एवं दृश्य श्रव्य सामग्री की अनुपलब्धता रही है
  3. समावेशी शिक्षा के अनुरूप नियम ज्यादातर किताबों में है और व्यवहारिक नहीं किए जा सकते हैं
  4. आज भी कई विद्यालयों में ऐसा मूलभूत ढांचा नहीं बनाया जा सका है जिसके द्वारा शिक्षा को बढ़ावा मिले
  5. मूल्यांकन प्रणाली आज भी लिखित परीक्षा पर जोड़ देती है जबकि विशिष्ट बालक लिख नहीं सकते

समावेशी कक्षा कक्ष

  • कक्षा में शिक्षक के साथ-साथ विभिन्न पृष्ठभूमि के बच्चे होने चाहिए।
  • समावेशी कक्षा में शिक्षक का व्यवहार आत्मीयता पूर्ण एवं मित्र मत होना चाहिए बच्चों को देख कर मुस्कुराना, प्रेरित करना चाहिए।
  • अलग-अलग बैठने की बजाय बच्चे एक घेरा बनाकर बैठे एवं शिक्षक उनके मध्य हो।
  • शिक्षण को बच्चों की विविध पृष्ठभूमि एवं मानसिक स्तर को देखते हुए 1 दिन पहले प्लान करना चाहिए।
  • अखबारों की कटिंग ,दृश्य सामग्री, कठपुतलियां ,पोस्टर आदि का प्रयोग किया जाए.
  • मूल्यांकन लिखित ही नहीं बल्कि उन परीक्षणों से भी होना चाहिए जो विशिष्ट बच्चे कर सके हो सके तो सतत एवं व्यापक मूल्यांकन होना चाहिए।
  • विविध बालकों के अनुसार अलग-अलग शिक्षण पद्धति का प्रयोग होना चाहिए।

अधिगम अक्षमता (Learning Disability)

बच्चों द्वारा सीखने, सुनने, पढ़ने, लिखने, देखने एवं तर्कशक्ति कौशल प्रयोग करने में कठिनाइयों को ही “अधिगम अक्षमता” कहते हैं।

अधिगम अक्षमता के प्रकार

  1. अफेजियाभाषा एवं संप्रेषण अधिगम आस्क्तता को ही अफेजिया कहते हैं।
  2. डिस्फेजिया मस्तिष्क में क्षति के कारण बातचीत करने में आंशिक या पूर्ण क्षमता को डिस्फेजिया कहते हैं।
  3. एलेक्सियामस्तिष्क में किसी प्रकार की क्षति के कारण पढ़ने में आ क्षमता को एलेक्सिया कहते हैं।
  4. डिस्लेक्सियाडिस्लेक्सिया का संबंध पठन विकार से है इस अधिगम अक्षमता में बालक को पढ़ने में कठिनाई होती है।क्योंकि वह कई शब्दों में अंतर नहीं कर पाता है। जैसे-b और d, was और saw
  5. अप्रेक्सिया- अप्रेक्सिया ऐसा शारीरिक विकार है,जिसके कारण व्यक्ति की मांसपेशियों के संचालन से संबंध सूक्ष्म गतिक कौशल में निपुण नहीं हो पाते हैं ।जैसे- लिखना।
  6. डिस्केलकुलिया- इस विकार में बालक गणित को समझने में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं।
  7. डेसथीमिया डेसथीमिया गंभीर तनाव की अवस्था को कहा जाता है इस अवस्था में व्यक्ति के मन है। स्थिति सदैव निम्न रहती है।

व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर इन बालकों का विभाजन मुख्यतः दो प्रकार में किया जाता है।

  1. सामान्य बालक
  2. विशिष्ट बालक

इन सभी बालकों के लिए साथ एक ही स्थान पर शिक्षा की व्यवस्था की जाती है तो ऐसे ही समावेशी शिक्षा कहा जाता है।

विशिष्ट बालक- ऐसे बालक जो शारीरिक मानसिक एवं संवेगात्मक रूप से सामान्य बालकों से भिंन्न होते हैं विशिष्ट बालक कहलाते हैं

जैसे:-

बौद्धिक दृष्टि से– बौद्धिक दृष्टि से यह बालक दो प्रकार के होते हैं- प्रतिभाशाली और मंदबुद्धि

शैक्षिक दृष्टि से- शैक्षिक दृष्टि से यह बालक दो प्रकार के होते हैं –तीव्र बुद्धि बालक और पिछड़े बालक

शारीरिक दृष्टि से- शारीरिक रूप से इन में अलग-अलग दोष होते हैं जैसे –कम सुनने वाले, बहरे, दूरदृष्टि युक्त बालक ,अंधे बालक ,अस्थि दोष युक्त बालक

समस्यात्मक बालक- समस्यात्मक बालक दो प्रकार के होते हैं –संवेगात्मक असंतुलित और सामाजिक कुसंयोजित

प्रतिभाशाली बालक- ऐसे बालक जिनकी बुद्धि लब्धि सामान्य बालकों से उच्च होती है, प्रतिभाशाली बालक कहलाते हैं

टर्मन के अनुसार “ऐसे बालक जिनकी बुद्धि लब्धि 140 से अधिक होती है प्रतिभाशाली बालक कहलाते हैं”।

प्रतिभाशाली बालक विशेषताएं-

  • ऐसे बालक खेलना अधिक पसंद करते हैं।
  • यह किसी भी परिस्थिति में सरलता से समायोजन स्थापित कर लेते हैं।
  • यह कठिन विषयों में अधिक रुचि रखते हैं।
  • इनके लिए विस्तृत एवं जटिल पाठ्यक्रम तैयार करना चाहिए।
  • ऐसे विद्यार्थियों के लिए अलग से शिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।

मंदबुद्धि बालक-ऐसी बालक जिनकी बुद्धि लब्धि सामान्य बालकों से निम्न होती है, मंदबुद्धि बालक कहलाते हैं इनकी बुद्धि लब्धि प्रायः 85 से कम होती है।

विशेषताएं

  • ऐसे बालक कठिन विषयों (गणित,विज्ञान,व्याकरण) मैं रुचि नहीं रखते हैं
  • यह मानसिक कार्य की अपेक्षा शारीरिक कार्य करना अधिक पसंद करते हैं
  • इनकी सीखने की गति मंद होती है
  • ऐसे बालकों को मंद गति से पढ़ाना चाहिए
  • इन बालकों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए
  • ऐसे बालक को पढ़ाने के लिए अतिरिक्त समय देना चाहिए

पिछड़े बालक- ऐसे बालक जो कक्षा में औसत कार्य को नहीं कर पाते, तथा कक्षा की औसत बच्चों से पीछे रह जाते हैं पिछड़े बालक कहलाते हैं।

शिक्षण प्रक्रिया में किसी भी शिक्षक की यह मुख्य जिम्मेदारी होती है कि कक्षा में शैक्षिक दृष्टिकोण से पीछे हो चुके इन बालकों की पहचान करें उनकी समस्या का निदान करें तथा उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करें यदि पिछड़ने के पीछे आर्थिक कारण वजह है तो छात्रवृत्ति का प्रबंध करें।

दृष्टि दोष से ग्रसित बच्चे- किसी वस्तु पुस्तक के आश्रम पर लिखे गए शब्दों को देखने में कठिनाई का अनुभव करते हैं तो ऐसे बच्चे दृष्टि दोष के अंतर्गत आते हैं

पहचान-

  • ऐसे बच्चे पुस्तक को काफी नजदीक से पढ़ते हैं
  • श्यामपट्ट पर लिखें शब्दों को बार बार पूछते हैं
  • यह बालक बार-बार आंखें मलते हैं तथा भोहे सिकुड़ते हैं

निदान-

ऐसे बच्चों को कक्षा की सबसे अगली पंक्ति में बिठाया जाए इस दोष के बारे में उसके अभिभावक को सूचित किया जाए तथा अच्छी नेत्र विशेषज्ञ से दिखाने का सुझाव दिया जाए यदि चश्मा लगाने से समस्या दूर हो तो तत्काल चश्मा लगवा देना चाहिए

श्रवण दोष से ग्रसित बच्चे– यदि कोई बच्चा वातावरण की आवाज सामान्य बच्चे की अपेक्षा कम सुन पाता है तो वह श्रवण दोष से ग्रसित होता है सामान्यत में सुनने की क्षमता 0 से 25 डेसीबल होती है

पहचान-

श्रवण दोष से ग्रसित बच्चे बोलने वाले की तरफ कान सम्मुख होकर सुनते हैं यह कान के पास बोलने पर सुनते हैं प्राय ऐसे बच्चे कान में उंगली डालकर घुमाया करते हैं

अस्थिदोष से ग्रसित बच्चेकि संबंधित और क्षमता के अंतर्गत बच्चों का हाथ पैर क्षतिग्रस्त होना या उंगलियों ना होना मांसपेशियों के तालमेल में समस्या आदि हो सकता है जिससे क्रियाकलाप में कठिनाई आती है

अध्यापक भूमिका– ऐसे बच्चों के साथ शिक्षक को आत्मीयता का भाव प्रदर्शित करते हुए उनका नाम पूछकर कक्षा के सभी बच्चों का आपस में परिचय कराना चाहिए बच्चे को कभी यह अनुभव ना होने दें कि वह अमुक कार्य नहीं कर सकता कक्षा शिक्षण में ऐसे बच्चों की सहभागिता अवश्य होनी चाहिए।

इस पोस्ट मे हमने Samaveshi Shiksha Study Material in Hindi नोट्स आपके साथ शेअर किए है जो कि सभी शिक्षक भर्ती परीक्षाओ मे पूछे जाने वाला एक महत्वपूर्ण टॉपिक है इस विषय से परीक्षा मे प्रश्न पूछे ही ही जाते है इसी लिए आप इस टॉपिक का अध्यान ध्यान पूर्वक करे। जिससे आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षाओ जैसे ctet uptet HTET NET NVS आदि परीक्षाओ मे आप अच्छे अंक प्राप्त कर सके ।

शिक्षक भर्ती परीक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी वेबसाइट को बुकमार्क अवश्य कर लीजिए साथ ही आप हमें सोशल मीडिया पर भी फॉलो कर सकते हैं जिससे आप सभी नवीनतम जानकारी प्राप्त कर पाएंगे (Samaveshi Shiksha Study Material in Hindi PDF NOTES )

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Pavlov ka Anukulit Anukriya Siddhant For CTET 2021

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Pavlov ka Anukulit Anukriya Siddhant

CTET 2021: पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत (Pavlov’s Principle of Optimized Response)

इस आर्टिकल में मनोविज्ञान (Pavlov ka Anukulit Anukriya Siddhant For CTET 2021) का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत आपके साथ शेयर कर रहे हैं। जिसका नाम है, “पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत” इस सिद्धांत से संबंधित प्रश्न सभी शिक्षा भर्ती परीक्षा में अवश्य ही पूछे जाते हैं एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है इस सिद्धांत को हमने इस आर्टिकल में विस्तारपूर्वक समझाया है। तथा इससे संबंधित प्रश्न उत्तर आपके साथ साझा किए हैं, आशा है यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत (Pavlov ka Anukulit Anukriya Siddhant)

प्रतिपादक (अनुबंधन) का जनक- ई पी पावलाव

जन्म- 26 सितंबर 1849 रियाजान, रूस

मृत्यु – 27 फरवरी 1936 मास्को, रूस

ईवान पावलाव –

  • ई पी पावलाव रूसी वैज्ञानिक थे। इनका पूरा नाम ईवान पात्रोंविच पावलव’ था।
  • इन्होंने पाचन क्रिया के दैहिकी का विशेष रूप से अध्ययन किया और उनका यह अध्ययन इतना महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय हुआ कि 1904 ईस्वी में इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी दिया गया।
  • ई पी पावलाव को अनुबंधन का जनक कहा जाता है।
  • मनोवैज्ञानिक के साथ-साथ पावलाव एक चिकित्सक भी थी।
  • पावलव ने कुत्ते की पैरोटिड ग्रंथि का ऑपरेशन का लार का एकत्रीकरण किया।
  • इस प्रयोग द्वारा पावलव में यह निष्कर्ष निकाला कि यदि लंबे समय तक स्वाभाविक तथा अस्वाभाविक उद्दीपन का एक साथ प्रस्तुत किए जाएं तो व्यक्ति अस्वाभाविक उद्दीपन के प्रति भी स्वाभाविक जैसी अनुक्रिया करने लगता है जिसे अनुकूलित अनुक्रिया अथवा अनुबंधित अनुक्रिया कहते हैं।

पावलव s- प्रकार

  • प्रयोगकुत्ते पर प्रयोग किया
  • जब कुत्ते के सामने भोजन रख दिया जाता था। जो हमारा उद्दीपक है, तो जैसे ही भोजन रखा जाता तो कुत्ते के मुंह में लार की वृद्धि होती है
  • इन्होंने कुत्ते को रस्सी से बांध दिया था।

प्रथम चरण

स्वाभाविक उद्दीपक = स्वाभाविक प्रतिक्रिया

(भोजन) (लार निकलना)

द्वितीय चरण

घंटी + भोजन = लार निकलना

(कृतिम उद्दीपक) (स्वाभाविक उद्दीपक) (स्वाभाविक प्रतिक्रिया)

तृतीय चरण

घंटी = लार निकलना

(कृतिम उद्दीपक) (स्वाभाविक प्रतिक्रिया)

  • नोट- घंटी भोजन के मध्य समय – 2 से 4 सेकंड
  • भोजन को घंटी से अधिक प्रभावशाली होना चाहिए।

इस सिद्धांत की शैक्षिक उपयोगिता

  1. शिक्षक को विषय वस्तु के प्रति अनुबंधन करना चाहिए।
  2. अच्छी आदतों का निर्माण किया जा सकता है।
  3. अनुशासन बच्चों में लाया जा सकता है।
  4. बुरी आदत तो वह क्या दी से छुटकारा मिल जाता है।
  5. सतर्क रहना।
  6. शिक्षण में दृश्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग।
  7. पुनरावृति पर बल।
  8. यांत्रिक तरीके से सीखने पर बल।
  9. इसी प्रकार बालक को में प्रेम भावना का विकास होता है।
  10. भाषा को सीखने और सिखाने के लिए विशेष उपयोगी।
  11. आदतों के निर्माण में विशेष उपयोगी।
  12. भय संबंधित मानसिक भ्रांतियों को दूर करने में सहायक।

उपनाम

  • C-R थ्योरी
  • शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत
  • प्राचीन परंपरागत अनुबंधन सिद्धांत
  • समृद्ध प्रतिक्रिया प्रत्यावर्तन सिद्धांत
  • अनुबंधन का सिद्धांत
  • शरीर शास्त्री सिद्धांत
  • क्लासिकल अनुबंधन सिद्धांत

UCSunconditional stimulus [अनुबंधित उद्दीपक (भोजन), स्वाभाविक उद्दीपक ]

CS – conditional stimulus [अनुबंधित उद्दीपक (घंटी), अस्वाभाविक उद्दीपक ]

UCR – unconditional response [अनुबंधित अनुक्रिया (लार), स्वाभाविक अनुक्रिया]

CR – conditional response [अनुबंधित अनुक्रिया (लार) ,अस्वाभाविक अनुक्रिया]

पावलाव के सिद्धांत पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

Q.1 पावलव का सिद्धांत किस नाम से जाना जाता है ?

a) संबंध प्रत्यावर्तन

b) संबंध प्रतिक्रिया

c) अनुकूलित अनुक्रिया

d) उपयुक्त सभी

Ans-(d)

Q.2 पावलव के शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत के अनुसार घंटी तथा भोजन के मध्य …… ही अनुबंधन कहलाता है ?

a) अनुक्रिया

b) साहचर्य

c) उद्दीपक

d) अंतदृष्टि

Ans-(b)

Q.3 अधिगम से संबंधित पावलव की रचना है –

a) एनिमल इंटेलिजेंस

b) कंडीशन रिफ्लेक्सेस

c) डायनेमिक थ्योरी

d) लर्निंग रिइंफोर्समेंट

Ans-(b)

Q.4 अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत – – – – अनुकूल पर बल देता है ?

a) प्रेरणा

b) पुनर्बलन

c) चिंतन

d) अंतदृष्टि

Ans-(a)

Q.5 पावलव के प्राचीन अनुबंधन सिद्धांत में भोजन है ?

a) अनुबंधित उद्दीपक

b) अननुबंधित उद्दीपक

c) अनुबंधित अनुक्रिया

d) अननुबंधितअनुक्रिया

Ans-(b)

Q.6 पावलव के सिद्धांत को कंप्यूटर स्टीमुलेशन द्वारा कौन सी मशीन बताती है ?

a) हॉफमैन मशीन

b) कोफ्का मशीन

c) स्टीमुलेशन मशीन

d) उपरोक्त में से कोई नहीं

Ans-(a)

Q.7 एक व्यक्ति बाजार में सामान खरीदने जाता है तो उसका हाथ अपने आप पेंट के पीछे दाहिनी जेब पर जाता है, इसका कारण है –

a) समायोजन

b) अभी क्षमता

c) प्रतिबाधा

d) अनुबंधन

Ans-(d)

Q.8 अनुबंधन की बाद घंटी की ध्वनि से लार का स्त्राव उदाहरण है ?

a) अनुबंधित अनुक्रिया

b) अनअनुबंधित अनुक्रिया

c) अनुबंधित उद्दीपक

d) अननुंबधित उद्दीपक

Ans-(a)

Q.9 शास्त्रीय अनुबंधन में सम्मिलित होते हैं

a) एक उत्तेजक का दूसरे उत्तेजक से साहचर्य

b) उत्तेजक का अनुक्रिया के लिए स्थान पूर्ति

c) एक उत्तेजक की दूसरी उत्तेजक के लिए स्थान पूर्ति

d) उत्तेजक का अनुक्रिया से साहचर्य

Ans-(a)

Q.10 एक बार बालक जलने के बाद अंगीठी से दूर रहता है, वह उदाहरण है ?

a) प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत

b) क्रिया अनुबंध

c) शास्त्रीय अनुबंधन

d) अंतर्दृष्टि सिद्धांत

Ans-(c)

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Sigmund Freud ka Siddhant Notes & MCQ For MPTET,CTET & All TET

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Sigmund Freud ka Siddhant

सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त – Freud’s Psychoanalytic Theory of Personality

इस आर्टिकल में आज हम आपके साथ टीचिंग एग्जाम (Sigmund Freud ka Siddhant) की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण टॉपिक सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत शेयर कर रहे हैं। इस सिद्धांत की विस्तृत जानकारी हमने आपके साथ सांझा की है जो आगामी टीचिंग एग्जाम जैसे –MPTET Grade-3,CTET,REET,UPTET आदि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है।

सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

इस सिद्धांत का प्रतिपादन सिगमंड फ्रायड ने किया था जो ऑस्ट्रिया के निवासी थे सिद्धांत में मन या मस्तिष्क का विश्लेषण किया जाता है, उनका जन्म 6 मई 1856 को हुआ था।उन्नीसवीं सदी के आरंभ के कुछ समय पहले मनोविज्ञान एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित हुआ इसलिए पहले मनोविज्ञान को दर्शन के अंतर्गत पढ़ा जाता था। उस वक्त मनोविज्ञान का उद्देश्य वयस्क मानव चेतना का विश्लेषण और अध्ययन करना था ब्राइटनेस परंपरागत चेतना के मनोविज्ञान का विरोध किया और मनोविश्लेषण संबंधी कई नई संकल्पनाओं का प्रतिपादन किया, जिस पर हमारा आधुनिक मनोविज्ञान टिका हुआ है।

प्रतिपादन- सिगमंड फ्रायड

जन्म- 6 मई 1856

मृत्यु- 23 सितंबर 1940

निवासी-ऑस्ट्रिया (वियाना) में

इन्होंने मन की तीन प्रकार बताएं है –

1.चेतन मन (conscious mind)- यह मन वर्तमान के विचारों से संबंधित होता है।

2.अर्द्ध चेतन मन (subconscious mind)-इसमें हमें तुरंत ज्ञान नहीं होता लेकिन कुछ टाइम देखकर याद किया जा सकता है।

3.अचेन मन (Unconscious mind)-इसमें भी बातें होती है जो हम भूल चुके हैं और हमारी याद करने पर भी याद नहीं आती हैं।

फ्रायड व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा है –

i) ld (इदम्)-उसने व्यक्ति की शारीरिक और मूल अवस्था आवश्यकताएं हैं जैसे- भूख,प्यास आदि को satisfied करना होता हैयह सामाजिक आवश्यकता और नैतिक मूल्यों की चिंता किए बिना इच्छाओं की पूर्ति पर बल देता है।

ii) Ego (अहम)-यह आवश्यकताओं या इच्छाओं की संतुष्टि की योजना का निर्माण करता है और उसका implementationकरता है या परिणाम की चिंता करता है।

iii) super Ego (पराअहम्)- यह समाज द्वारा नैतिक सूत्रों के according काम करता हैयानी जिस व्यक्ति के अंदर super Ego ज्यादा होगी वह बुरे कामों से उतना ही दूर होगा जैसे – चोरी ना करना या झूठ ना बोलना ।

फ्राइड के व्यक्तित्व संबंधी विचारों को मनो लैंगिक विकास का सिद्धांत भी कहा जाता है। इसे फ्राइड ने 5 अवस्थाओं में बांटा है।

1.मौखिक अवस्था (Oral Stage)- जन्म से 1 वर्ष

2.गुदा अवस्था (Anal Stage) -2 से 3 वर्ष

3.लैंगिक अवस्था (Phallic Stage)- 4 से 5 वर्ष

4.सुषुप्त अवस्था (Lantency Stage) -6 से 12 वर्ष

5.जननी अवस्था (Gental Stage) -12 से 20 वर्ष

सिगमंड फ्रायड ने दो मूल प्रवृत्तियां बताई है –

1.जीवन

2.मृत्यु

स्वमोह- ऑडीपस व इलेक्ट्रा ग्रंथि

सिगमंड फ्रायड के अनुसार“ ,लड़कों में ऑडीपस ग्रंथि पाई जाती है जिसके कारण वह अपनी मां से अधिक प्रेम करेंगे।

तथा लड़कियों में इलेक्ट्रा ग्रंथि पाई जाने के कारण वह अपने पिता से अधिक प्रेम करती हैं।

लिबिडो(Libido) -प्रेम, स्नेह व काम प्रगति को लिबिडो कहते हैं यह एक स्वाभाविक प्रकृति होती है और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है तो व्यक्ति को समायोजित हो जाता है

शैशव कामुकता-शैशव कामुकता की बात पर सिगमंड फ्रायड व उनके शिष्य जुग या युग के मध्य मतभेद हो जाता है

व्यक्तित्व मापन की विधियां

प्रक्षेपी विधियां

1.T.A.T (Thematic apperception test)

2.C.A.T (Children apperception test)

3.I.B.T (Ink Blot Test)

4.S.C.T (Sentence Complant Test)

5.F.W.A.T

अप्रक्षेपी विधियां

आत्म निष्ठ या व्यक्ति निष्ठ

  1. आत्मकथा विधि
  2. व्यक्ति इतिहास विधि
  3. साक्षात्कार विधि
  4. प्रश्नावली विधि

वस्तुनिष्ठ विधि

  1. समाजमिति विधि
  2. कर्म निर्धारण विधि
  3. शारीरिक परीक्षण विधि
  4. निरीक्षण विधि

प्रक्षेपण विधियां

  • प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सिगमंड फ्रायड ने किया
  • प्रक्षेप का अर्थ है अपनी बातों विचारों भावनाओं अनुभाव वादी को स्वयं ना बता कर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से अभिव्यक्त करना

1.T.A.T (Thematic apperception test) -प्रासंगिक अंतर बौद्ध परीक्षण या कथा प्रसंग परीक्षण

  • प्रतिपादक- मोरगन वा मुर्र
  • सन– 1935
  • कुल कार्डों की संख्या- 31
  • इस परीक्षण में 10 कारणों पर पुरुषों से संबंधित व 10 कार्डों पर महिलाओं से संबंधित 10 कारणों पर दोनों के चित्र बने होते हैं
  • बालक को को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है और कम से कम 10 कार्ड ऊपर कहानी लिख पाई जाती है
  • इस परीक्षण में 14 वर्ष से अधिक आयु वाले बालकों के लिए प्रयोग किया जाता है
  • इसमें व्यक्ति की रुचियां, इच्छाओं बा आवश्यकताओं की जानकारी होती है।

2. C.A.T(Children apperception test)-बाल संप्रत्यय परीक्षण

  • प्रतिपादक- लियोपोल्ड बेलोक (1948)
  • विकास में योगदान- डॉ अर्नेस्ट कृष
  • कार्डों की संख्या- 10
  • इस परीक्षण में 10 कार्ड पर जानवरों के चित्र बने होते हैं बालक को को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष के बालक को के लिए उपयोगी हो।

3 .I.B.T (Ink Blot Test)-रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण

  • प्रतिपादक- हरमन रोर्शा( 1921)
  • कार्डों की संख्या– 10
  • इस परीक्षण में 10 कार्डों पर स्याही के धब्बे बने होते हैं पांच कारणों पर काले और सफेद तथा बाकी पांच पर विभिन्न रंगों के धब्बे बने होते हैं
  • बालक को को आकृति दिखाकर उसके बारे में पूछा जाता है इसमें बालक को के क्रियात्मक, भावात्मक बा संज्ञानात्मक परीक्षण किए जाते हैं

4.S.C.T (Sentence Complant Test)-वाक्य पूर्ति परीक्षण

  • प्रतिपादक- पाइन एंड टेंडलर( 1930)
  • विकास में योगदान– रोटर
  • उदाहरण- मैं बहुत खुश होता हूं जब मेरे माता पिता………………. मुझे देते हैं

5.F.W.A.T -स्वतंत्र शब्द साहचर्य परीक्षण

  • यह एक मनोविश्लेषणात्मक विधि है
  • प्रतिपादक– फ्रांसिस गॉल्टन
  • सन- 1879
  • सहयोग- विलियम वांट
  • इस परीक्षण में व्यक्तित्व मापन के अलावा कई मनोवैज्ञानिक रोगों का इलाज भी किया जाता है

अप्रक्षेपी या अन्य विधियां – (चेतन मन का अध्ययन)

1.आत्म निष्ठ या व्यक्ति निष्ठ विधि

a.आत्मकथा या अंतर दर्शन विधि

  • प्रवर्तक- विलियम वुण्ट और शिष्य टिचनेर
  • यह एक प्राचीनतम विधि है
  • यह एक मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है
  • इसके कारण इनका वर्तमान समय में उपयोग नहीं किया जाता है

b . व्यक्ति इतिहास विधि/ जीवन कृत विधि/ केस स्टडी-

  • प्रवर्तक- टाइड मैन
  • निदानात्मक अध्ययनों की सर्वश्रेष्ठ विधि है आज सामान्य बालकों के निदान की सर्वश्रेष्ठ विधि है समस्या के कारण को जानना निदान कहलाता है जो मनोविज्ञान की सहायता से किया जाता है तथा कारण को दूर करना उपचार कहलाता है जो शिक्षा की सहायता से किया जाता है बिना निदान के उपचार संभव नहीं है

c .प्रश्नावली विधि

  • प्रवर्तक-वुडवर्थ
  • प्रश्नावली में आमने- सामने होना जरूरी नहीं होता और उत्तर के रूप में विकल्प होते हैं

d.साक्षात्कार विधि

  • साक्षात्कार विधि का प्रारंभ अमेरिका में हुआ इसमें प्रश्नों का कोई बंधन नहीं होता है और ना ही समय पर साक्षात्कार वार्तालाप का ही एक रूप माना जाता है
  1. वस्तुनिष्ठ विधिया
  2. a.निरीक्षण विधि या वही दर्शन विधि
  • प्रवर्तक- व्हाटसन
  • इस विधि में सामने वाले व्यक्ति के व्यापार का भिन्न भिन्न परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है और निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषय का व्यक्तित्व कैसा है

b . समाजमिति विधि

  • प्रवर्तक- J. L.मोरेनो
  • इस विधि में व्यक्ति की सामाजिकता के बारे में समाज के व्यक्तियों से जानकारी लेकर निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषय का व्यक्तित्व कैसा है

c . कर्म निर्धारण मापनी/ रेटिंग स्केल

  • प्रतिपादक-थरस्टेन
  • इस परीक्षण में पूर्ण सहमत- सहमत- अनिश्चित- असहमत- पूर्ण सहमत में क्रम निर्धारण मापनी के माध्यम से आंकड़े एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषय का व्यक्तित्व कैसा है।

d . शारीरिक परीक्षण

  • इस परीक्षण में व्यक्ति की शारीरिक जांच करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि निर्धारित नौकरी के लिए व्यक्ति स्वस्थ है या नहीं

Sigmund Freud Theory Based Questions and Answers

Q.1 फ्राइड के अनुसार हमारे मूल्यों का आंतरिकीकरण …….. में होता है ।

a) इदम्

b) अहम्

c) पराहम्

d) परिस्थितियों

Ans-(c)

Q.2 फ्राइड के अनुसार मूल प्रवृत्ति के दो प्रकार हैं –

a) आक्रामकता एवं चिंता

b) अहम तथा पराअहम

c) इरोज एवं थेनेटॉस

d) इड तथा अहम

Ans-(c)

Q.3 मानव व्यक्तित्व के मनो लैंगिक विकास को निम्न में से किसने महत्व दिया था ?

a) कमेनियस

b) हॉल

c) हॉलिंगवर्थ

d) फ्रायड

Ans-(d)

Q.4 इदम् का ईगो पर हावी होने की स्थिति में व्यक्ति होता है –

a)अनैतिक व असामाजिक

b) दबाव

c) दुशचिंता

d) कुंठित

Ans-(a)

Q.5 अलमारी से अमूल किताब नहीं पाता है और थोड़ी देर के लिए परेशान हो जाता है फिर याद आती है कि उस किताब को हमने अपने दोस्त को दिया था यह अवस्था है –

a) चेतन मन

b) अचेतन मन

c) अर्द्धचेतन मन

d) इदम

Ans- (c)

Q.6 शारीरिक योग्यता वाले व्यक्ति के लिए निम्न में से कौन सी युक्ति रक्षा तंत्र में सबसे संतोषजनक होगी ?

a) तादात्मीकरण

b) विवेकीकरण

c) अति कल्पना

d) इनमें से कोई नहीं

Ans-(c)

Q.7 निम्न में से कौन सा तरीका प्रत्यक्ष समायोजन का है ?

a) प्रक्षेपण

b) दमन

c) प्रतिगमन

d) लक्ष्यों का प्रतिस्थापन

Ans-(d)

Q.8 विकास की अवस्था तौर पर 1 से 3 वर्ष की आयु में होती है इनको विकसित होने लगता है और इड कुछ हद तक नियंत्रित हो जाती है

a) मौखिक

b) फालिक

c) विलम्ब

d) गुदा

Ans-(d)

Q.9 कुछ लोग कहते हैं कि जब बच्चों पर गुस्सा आता है, तो वे खेलते हैं जब तक भी बेहतर महसूस ना करें । इस व्यवहार का प्रतिनिधित्व कौन सा रक्षा तंत्र करता है ?

a) प्रक्षेपण

b) विस्थापन

c) प्रतिक्रिया गठन

d) उच्च बनाने की क्रिया

Ans-(b)

Q.10 5 वर्ष के बालक में अपने पिता के पिता माता के प्रति अत्यधिक प्रेम की भावना विकसित हो जाती है बालक के व्यापार में होने वाले इस परिवर्तन को फ्राइड द्वारा क्या नाम दिया गया है ?

a) पराहम्

b) इलेक्ट्रा कंपलेक्स

c) ओडिपस कंपलेक्स

d) नार्सीजिज्म

Ans-(c)

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इस पोस्ट में हमने आपके साथ व्यक्तित्व मापन का सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत (Sigmund Freud ka Siddhant) सांझा किया है ,आशा है यह आर्टिकल आपकी परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा आपको आने वाली सभी परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ऐसी नवीनतम जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहे।

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Child Development and Pedagogy

CTET Exam 2021: व्यक्तित्व पर आधारित इन सवालों के जवाब देकर चेक करें,अपनी तैयारी का स्तर

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personality

CTET 2021(CTET personality based MCQ) : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा आयोजित की जाने वाली केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) का आयोजन 16 दिसंबर से 13 जनवरी के बीच किया जाएगा।यह परीक्षा देश की सबसे बड़ी शिक्षक पात्रता परीक्षा में से एक है और इसमें शामिल होकर हर साल लाखों अभ्यर्थी अपने शिक्षक बनने के सपने को पूरा करते हैं, चूँकि अब परीक्षा में कुछ ही दिन का समय शेष बचा है ऐसे में अभ्यर्थियों के लिए आवश्यक है रिवीजन के साथ-साथ प्रैक्टिस सेट लगावे, जिससे कि परीक्षा में होने वाली गलतियों से बचा जा सके,यदि आप इस परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, तो परीक्षा से पूर्व आपको हमारे द्वारा शेयर किए जा रहे व्यक्तित्व (CTET personality based MCQ) पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को एक बार अवश्य पढ़ लेना चाहिए।

(Personality) व्यक्तित्व का अर्थ-

व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी भाषा की ‘पर्सनैलिटी’ से बना है,अंग्रेजी भाषा का पर्सनैलिटी शब्द लैटिन भाषा के ‘परसोना’ से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है – नकली चेहरा, मोटा या नकाब।

व्यक्तित्व के व्यापक अर्थ में व्यक्ति के बाहरी और आंतरिक दोनों पक्षों को शामिल किया जाता है

बाहरी पक्ष- इसमें व्यक्ति के रूप, रंग, सुंदरता ,बनावट, वेशभूषा आदि को शामिल किया जाता है, यह पक्ष दूसरे व्यक्ति को तुरंत प्रभावित करता है, लेकिन इसे व्यक्तित्व का अस्थाई पक्ष कहते है

आंतरिक पक्ष- इसमें व्यक्ति की मानसिक शक्ति, आंतरिक गुणों व संवेगात्मक पक्ष को शामिल किया जाता है, यह व्यक्तित्व का प्रभावी एवं स्थाई पक्ष माना जाता है, जो दूसरे व्यक्ति को जीवन पर्यंत प्रभावित करता रहता है

व्यक्तित्व की परिभाषाएं

आलपोर्ट के अनुसार

“व्यक्तित्व उन मनो दैहिक व्यवस्थाओं का एक गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण के अपूर्व समायोजन को स्थापित करता है

रेक्सरॉक के अनुसार

“व्यक्तित्व समाज के द्वारा मान्य पूरा अमान्य गुणों का योग है

गिलफोर्ड के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति के सभी गुणों का समूह है

वुडवर्थ के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति की समस्त विशेषताओं का योग है

Rk मर्डन के अनुसार

“व्यकितत्व व्यक्ति के जन्मजात अर्जित स्वभाव मूल प्रवृत्तियों इच्छाओ भावनाओं का संगठन है

आइजेनक के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति के चरित्र स्वभाव बुरी आदत शारीरिक बनावट विशेषता आदि का एक स्थाई व स्थिर संगठन है जो वातावरण के साथ अपना समायोजन कर लेता है

सीटेट परीक्षा में पूछे जाते हैं पर्सनैलिटी बेस्ट यह सवाल –Important Questions on Personality for CTET 2021

1.व्यक्तित्व और बुद्धि में वही संबंध है जो बुद्धि और ……. में है ?

a) अध्ययन

b) व्यवहार

c) संलग्नता

d)समायोजन

उत्तर – (b)

2.शेल्डन में व्यक्तित्व को किस आधार पर वर्गीकृत किया ?

a)शारीरिक रचना

b) शीलगुण

c) त्वचा का रंग

d) सामाजिकता

उत्तर – (a)

3. व्यक्तिव का उसकी सामाजिक व्यवहार के आधार पर अंतर्मुखी वर्गों में विभाजित करने वाले मनोवैज्ञानिक हैं ?

a) कैटल

b) युंग

c) आलपोर्ट

d) ब्रुनर

उत्तर-(b)

4.अंतर्मुखी व्यक्तित्व का प्रकार है?

a) शरीर रचना प्रकार

b) मनोवैज्ञानिक प्रकार

c) मूल संबंधी प्रकार

d) रचनात्मक प्रकार

उत्तर – (b)

5.अत्यधिक वाचाल प्रसन्न चित्त और सामाजिक प्रवृत्ति के व्यक्ति के व्यक्तित्व को युंग ने क्या नाम दिया?

a) अंतर्मुखी

b) बहिर्मुखी

c) स्नायु विकृत

d) स्थिर

उत्तर – (b)

6. व्यक्तित्व की प्रक्षेपण विधि कौन सी है?

a) रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण

b) स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण

c) बाकर मेहंदी परीक्षण

d)भाटिया परीक्षण माला

उत्तर -(a)

7. “रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण ” व्यक्तित्व परीक्षण का कौन सा प्रकार है ?

a)व्यक्तिगत

b) प्रक्षेपी

c) अप्रेक्षेपी

d) अर्धप्रक्षेपी

उत्तर -(b)

8.व्यक्तित्व मापन की व्यक्तिनिष्ठ विधि है ?

a) व्यक्ति इतिहास

b)क्रम निर्धारण मापनी

c) रोर्शा शाही परीक्षण

d) शब्द साहचर्य परीक्षा

उत्तर -(a)

9.व्यक्तित्व मापन की एक प्रक्षेपी परीक्षण विधि नीचे दी गई है ?

a)साक्षात्कार

b)चेक लिस्ट

c) शब्द सहचार्य परीक्षण

d)  व्यक्ति अध्ययन

उत्तर -(c)

10.तनाव को कम करने के लिए अचेतन मन का प्रयोग करना क्या कहलाता है?

a) रक्षात्मक युक्तियां

b) अवधान प्राप्ति

c) लक्ष्यों का विशेषण

d) प्रत्यय बाधा निवारण

उत्तर – (a)

11.रमेश दुबला पतला लंबे कद का व्यक्ति है जो सपनों की दुनिया में खोया रहता है रमेश की यह गुण निम्न में से किस प्रकार के व्यक्तित्व के अंतर्गत आते हैं?

a) स्थूलकाय

b) पुष्टकाय

c)विशालकाय

d) कृषकाय

उत्तर – (d)

12. किशोरावस्था में बालक अधिकांशतः अपने ही रूप पर मोहित हो जाता है फ्रायड ने इस भावना को कहां है –

a) इलेक्ट्रा

b) नार्सिसिज्म

c) ओडिपस

d) इरोस

उत्तर-(b)

13.व्यक्ति के मन में विचार आता है कि मुझे अध्यापक पर प्रहार करना चाहिए और वह बिना किसी कारण ही पूरी कक्षा के सामने अध्यापक पर हाथ उठा देता है उस व्यक्ति का व्यक्तित्व स्तर है?

a) झ्ड

b) इगो

c) सुपर इगो

d) सेण्ट्रल इगो

उत्तर-(a)

14.व्यक्तित्व के किस पहलू से बच्चे के आउटगोइंग (निमार्गी) होने की संभावना बढ़ जाती है?

a) बार्हिमुखता

b) अंतर्मुखता .

c) समाजीकरण

d) स्नायुविकृति

उत्तर – (a)

15. TAT (thematic apperception test) कितने से अधिक आयु के व्यक्ति के लिए उपयोगी है?

a) 18

b) 20

c) 14

d) 6

उत्तर – (c)

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यहां हमने CTET परीक्षा के लिए उपयोगी CTET personality based MCQ शेयर किए हैं सीटेट से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट पर विजिट करते रहिएगा I

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