Hindi Pedagogy
Hindi Bhasha Shikshan ke Pramukh Siddhant
Bhasha Shikshan ke Siddhant for For CTET,HTET,MPTET 2020
नमस्कार! मित्रों इस आर्टिकल में हम आपके साथ हिंदी पेडगॉजी से संबंधित (Hindi Bhasha Shikshan ke Pramukh Siddhant) हिंदी भाषा शिक्षण की प्रमुख सिद्धांत शेयर करने जा रहे हैं जो कि सभी टीचिंग एग्जाम की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं हमने सभी महत्वपूर्ण सिद्धांतों को विस्तारपूर्वक समझाया है जिससे आप परीक्षा में आने वाले इनसे संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएंगे तथा हिंदी शिक्षण शास्त्र के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को आप अच्छे से समझ सकेंगे
हिंदी भाषा शिक्षण के प्रमुख सिद्धांत|| Principles of Teaching Hindi Language
भाषा शिक्षण के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
1.अनुबंधन का सिद्धांत (Theory of of conditioning)
भाषा विकास में अनुबंधन ही आशा अचार्य का बहुत योगदान है शेष अवस्था में जब बच्चे शब्द सीखते हैं तो सीखना अमूर्त नहीं होता बल्कि किसी मूर्त वस्तु से जोड़कर उन्हें शब्दों की जानकारी दी जाती है
2.अनुकरण का सिद्धांत (Theory of imitations)
चैंपियंस सरली कर दी तथा है वैज्ञानिकों ने अनुकरण के द्वारा भाषा सीखने पर अध्ययन किया इनका माथे की अपने परिवारजनों तथा साथियों की भाषा का अनुकरण करके सीखते हैं
3.चोमस्की का भाषा अर्जित करने का सिद्धांत
चोमस्की का कहना है कि बच्चों की निश्चित संख्या से कुछ निश्चित नियमों का अनुसरण करते हुए वाक्यों का निर्माण करना सीख जाते हैं इन शब्दों से 9 वाक्य एवं शब्दों का निर्माण होता है इन वाक्यों का निर्माण बच्चे जिन नियमों के अंतर्गत करते हैं उन्हें जो मशीनें जेनरेटिव ग्रामर की संज्ञा प्रदान की है
4.अभीप्रेरणा एवं रुचि का सिद्धांत
हिंदी पाठ्य सामग्री और उसकी शिक्षण प्रणालियों का चुनाव बच्चों की रुचि एवं आवश्यकताओं के अनुरूप किया जाना चाहिए उन्हें भाषा सीखने हेतु अभी प्रेरित करने के लिए यह आवश्यक है
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5.क्रियाशीलता का सिद्धांत
क्रियाशीलता के लिए छात्रों के प्रश्न पूछना स्कूल के साहित्य कार्यक्रम चलाना छात्रों की उसने क्रियाशील रखना पाठों का अभ्यास कराना मौखिक व लिखित कार्य कराना आदि कार्य किए जा सकते हैं
6.अभ्यास का सिद्धांत
खांडा एक ने कहा है कि भाषाई कौशल है इसका विकास अभ्यास पर ही निर्भर है भाषा की कलात्मक एवं भाव दोनों के लिए अभ्यास सर्वथा आवश्यक है
7.जीवन समन्वय का सिद्धांत
मनोवैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि बच्चे उन विषयों एवं क्रियाओं में अधिक रूचि लेते हैं जो उनके वास्तविक जीवन से संबंधित होती हैं अध्यापक को पढ़ाने के लिए जिस सामग्री का चयन करना है उसका संबंध बच्चों के जीवन से अवश्य हो
8.निश्चित उद्देश्य एवं पाठ्य सामग्री का सिद्धांत
अध्यापक शिक्षण पूर्ण पाठ के उद्देश्य और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विषय सामग्री का चयन बच्चों के स्तर के अनुकूल करना चाहिए
9.व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत
एक ही कक्षा में छात्रों में व्यक्तिगत विभिन्नता आएं होती हैं कोई छात्र शब्द उच्चारण नहीं करता तो किसी का लेकर स्पष्ट नहीं होता किसी का वचन ठीक नहीं होता है तो किसी का लेख अशुद्ध होता है कोई मोल पाठ नहीं कर पाता है तो कोई कई बार याद करने पर भी तथ्य भूल जाता है इसलिए अध्यापक को इन सब की व्यक्तिगत विभिन्नता एवं कठिनाइयों को ध्यान से रखकर शिक्षण कार्य संपन्न कराना चाहिए
10.अनुपात एवं क्रम का सिद्धांत
भाषा कौशल मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं लेखन कौशल अभिव्यक्ति कौशल वाचन पठन कौशल एवं श्रवण कौशल की सभी भाषा कौशल आपस में संबंधित है यदि बालक किसी एक भाषा कौशल में निपुण और अन्य में फिसड्डी है तो इसे शिक्षण की असफलता ही माना जाएगा
11.बोलचाल का सिद्धांत
शिक्षण बोलचाल के माध्यम से होनी चाहिए इसकी भाषा सीखने में कम समय लगता है और इस प्रकार प्राप्त ज्ञान अधिक समय तक स्थाई रहता है साथ ही इससे बालकों की सृजनात्मक शक्ति एवं अभिव्यक्ति कौशल में भी वृद्धि होती है
12.चयन का सिद्धांत
हिंदी भाषा शिक्षण के लिए कब किस सिद्धांत के पद्धति का सहारा लिया जाए इसकी ठीक जानकारी अध्यापक को होनी चाहिए किसी पाठ को किस रूप में प्रस्तुत कर के छात्रों को सरल एवं सहज ग्रहण करने योग्य बनाया जाए इसके लिए अध्यापक को बहुमुखी प्रयास करना चाहिए और जो रूप अधिक प्रभाव कारी हो उसका चयन करना चाहिए जिससे छात्र लाभान्वित हो सके
13.बाल केंद्रित सिद्धांत
भाषा शिक्षण के समय इस बात का पर्याप्त ध्यान देना चाहिए कि शिक्षण का केंद्र बालक है इसलिए भाषा शिक्षण का केंद्र बालक हो भाषा शिक्षण में बालक के स्वभाव क्षमता रुचि स्तर आदि का ध्यान रखना सर्वाधिक आवश्यक
14.शिक्षण सूत्रों का सिद्धांत
शिक्षण की कुछ सामान्य सूत्र हैं जिनके शिक्षण कार्य करने से बच्चों को सीखने में सरलता सुगमता और स्थायित्व प्राप्त होता है जैसे सरल से कठिन की ओर ज्ञात से अज्ञात की ओर आगमन से निगमन की और विश्लेषण की और आधी शिक्षण की इन सूत्रों का आधार है और पालन करने से शिक्षण अधिक प्रभाव कारी होता
15.साहचर्य का सिद्धांत
बच्चे दूसरों को सुनकर बोलना तो सीखते ही रहते हैं किंतु इस प्रकार के अधिगम के लिए पर्याप्त संख्या में इससे इस भाषा को बोलने वालों का सहचार्य मिलना आवश्यक है बच्चा मां को माया मन को कहने के साथ पहचानना और समझना तभी सीख सकेगा मां के उच्चारण के साथ स्वयं मां को और पिताजी आ पापा के उच्चारण के साथ स्वयं पिता को भी देखेगा
16.आवृत्ति का सिद्धांत
मनोवैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि भाषा सीखने आवृत्ति का बहुत महत्व है सीखी हुई बात को जितना अच्छी तरह से दोहराया जाएगा वह उतनी ही अधिक देर तक याद रहेगी
17.परिपक्वता का सिद्धांत
परिपक्वता का तात्पर्य है कि भाषा अव्यवो एवं स्वरों नियंत्रण होना बोलने में जीभ ताल होता तथा स्वर यंत्र आदि जिम्मेदार होते हैं इनमें किसी भी प्रकार की कमजोरियां कमी वाणी को प्रभावित करती है इन सभी अंगों में जब परिपक्वता होती है तो भाषा पर नियंत्रण होता है और अभिव्यक्ति अच्छी होती है
दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में जो हिंदी भाषा शिक्षण के प्रमुख सिद्धांत (Hindi Bhasha Shikshan ke Pramukh Siddhant) को आपके सांझा किया है आशा है कि आप उनका ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे और आने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करेंगे धन्यवाद!
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