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Indian Railway: 2023 से भारत मे दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेने, रेल मंत्रि ने किया बड़ा एलान
Indian Railway Hydrogen Power Train: भारतीय रेल्वे मौजूदा दौर में तेजी से लगातार विकास के की पटरी पर दौड़ रहा है। देश मे कोयले से लेकर इलेक्ट्रिक ट्रेन का सफर बेहद ही रोमांचक रहा है, इलेक्ट्रिक के बाद भारत मे हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेने भी अब दौड़ती हुई नजर आएगी। केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत में हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च करने की घोषणा की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक 2023 तक इस प्रोजेक्ट को लांच कर दिया जाएगा। हाइड्रोजन ट्रेन आने के बाद देश में रेल्वे की रफ्तार मे तेजी देखने को मिलेगी।
आपको बता दें कि, भारतीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 2023 तक हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च करने का ऐलान कर दिया है। हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें इलेक्ट्रिक ट्रेनो से 10 गुना अधिक स्पीड से दौड़ेगी।
ये होगी ट्रेन की बड़ी खासियत
हाइड्रोजन ट्रेन में बिजली की आपूर्ति एक ईंधन सेल के माध्यम से की जाएगी, जो हवा में ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऊर्जा पेदा करती है। इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है। हाइड्रोजन पावर सिस्टम के द्वारा एक ट्रेन 140 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से 1000 किलोमीटर तक की दूरी कर सकती है। इलेक्ट्रिक ट्रेनें की तुलना में यह 10 गुना अधिक सफर तय करती है, और इसमें ईंधन भरने में भी अधिक समय नहीं लगता है।
लगभग 20 मिनट में ही 18 घंटे जितनी दूरी तय करने लायक ईंधन भरा जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार डीजल या इलेक्ट्रिक से चलने वाली ट्रेन के मुकाबले हाइड्रोजन ट्रेन के ईंधन की लागत काफी कम आती है। हाइड्रोजन एक बेहतरीन ड्राइविंग एक्सपीरियंस देता है और साथ ही इको फ्रेंडली होने के साथ यह उन क्षेत्रों के लिए बेहद जरूरी है जोकि प्रदूषण से ग्रस्त है।
आपको बात दे कि जर्मनी ने भारत से पहले ही अगस्त महीने मे हाइड्रोजन चलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जर्मनी मे डीजल से चलने वाली ट्रेनों की वजाय अब हाइड्रजन ट्रेन चलाई जाएगी। इन ट्रेनों की बजह से सालाना 16 लाख लीटर डीजल की बचत होगी और साथ ही वायु प्रदूषण मे भी काफी कमी आएगी। जर्मनी की प्रत्येक ट्रेन की क्षमता 999 किलोमीटर की दूरी तय करने की क्षमता होगी। दुनिया हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देख रही है। कई कंपनियां, निवेशक, सरकारें और पर्यावरण कॉम्पनीया के अनुसार यह एक ऐसा ऊर्जा स्त्रोत है जो जीवाश्म की निर्भरता को खत्म करने मे मददगार सिद्ध होगा।
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