Child Development and Pedagogy
Manovigyan ki Mahatvpurn Paribhasha for CTET
CTET 2021 : Manovigyan ki Mahatvpurn Paribhasha in Hindi
नमस्कार! प्यारे अभ्यार्थियों आज की यह पोस्ट CTET की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आज हम जानेंगे (Manovigyan ki Mahatvpurn Paribhasha for CTET) मनोविज्ञान में विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दी गई शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं और महत्वपूर्ण कथन क्योंकि सभी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में इससे संबंधित एक से दो प्रश्न अवश्य ही पूछ लिए जाते हैं इस आर्टिकल में हमने मनोविज्ञान की सभी परिभाषाएं एक साथ आपके लिए शेयर की है ताकि आप परीक्षा की तैयारी आसानी से कर पाए
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मनोविज्ञान की परिभाषायें ||(Manovigyan ki Paribhasha)
- शिक्षा मनोविज्ञान की औपचारिक आधारशिला कब रखी गयी- 1889 में
वाटसन के अनुसार,
“ मनोविज्ञान, व्यवहार का निश्चित या शुद्ध विज्ञान है।”
वुडवर्थ के अनुसार,
“ मनोविज्ञान, वातावरण के सम्पर्क में होने वाले मानव व्यवहारों का विज्ञान है।”
मैक्डूगल के अनुसार,
“ मनोविज्ञान, आचरण एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है।”
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार,
“ मनोविज्ञान मानव – व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन है।”
बोरिंग के अनुसार,
“ मनोविज्ञान मानव प्रकृति का अध्ययन है।”
स्किनर के अनुसार,
“ मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।”
मन के अनुसार,
“आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।”
गैरिसन व अन्य के अनुसार,
“ मनोविज्ञान का सम्बन्ध प्रत्यक्ष मानव – व्यवहार से है।”
गार्डनर मर्फी के अनुसार,
“ मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जो जीवित व्यक्तियों का उनके वातावरण के प्रति अनुक्रियाओं का अध्ययन करता है। ”
स्टीफन के अनुसार,
“शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।”
ब्राउन के अनुसार,
शिक्षा के द्वारा मानव व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है तथा मानव व्यवहार का अध्ययन ही मनोविज्ञान कहलाता है ।”
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार,
“शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अनुभवों का वर्णन तथा व्याख्या करता है।”
स्किनर के अनुसार,
“शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत शिक्षा से सम्बन्धित सम्पूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व आ जाता है।”
कॉलसनिक के अनुसार,
“मनोविज्ञान के सिद्धान्तों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।”
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार,
“शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से सम्बन्धित है।”
पेस्टोलोजी के अनुसार,
“शिक्षा मनुष्य की क्षमताओं का स्वाभाविक, प्रगतिशील तथा विरोधहीन विकास है”
जॉन डीवी के अनुसार,
“शिक्षा मनुष्य की क्षमताओं का विकास है , जिनकी सहायता से वह अपने वातावरण पर नियंत्रण करता हुआ अपनी संभावित उन्नति को प्राप्त करता है ।”
मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण कथन
“बालक के विकास का अध्ययन हमें यह जानने योग्य बनाता है कि क्या पढ़ायें और कैसे पढाये ।” यह कथन है- किल्फोर्ड का
“मानव व्यवहार एवं अनुभव से सम्बंधित निष्कर्षो का शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है ।“ यह कथन है- स्किनर का
“शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक विकास का क्रमिक अध्ययन है ।” यह कथन है- जे.एम. स्टीफन का
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों के मनोविज्ञान पक्षों का अध्ययन है ।“ यह कथन है- ट्रो का
“शिक्षा की प्रकिया पूर्णतया मनोविज्ञान की कृपा पर निर्भर है ।” यह कथन है– बी एन झा का
“शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिवेश में व्यक्ति के विकास का व्यवस्थित अध्ययन है ।” यह कथन है- एस एस चौहान का
किसके प्रयासों से शिक्षा मनोविज्ञान की औपचारिक आधारशिला सन् 1889 में रखी गयी- स्टेनले हॉल के प्रयासों से
“शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य शैक्षिक परिस्थति के मूल्य एवं कुशलता में योगदान देना है ।” कथन है- स्किनर का
“शिक्षा मनोविज्ञान वह विज्ञान है ,जिसमे छात्र , शिक्षण तथा अध्यापन का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है ।” यह परिभाषा है- जॉन एफ.ट्रेवर्स की