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MP GK Climate of Madhya Pradesh in Hindi PDF
Climate of Madhya Pradesh in Hindi || MP GK
नमस्कार! दोस्तों इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे MP GK का ही एक महत्वपूर्ण टॉपिक (MP GK Climate of Madhya Pradesh in Hindi PDF) जिसमें हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं मध्य प्रदेश की जलवायु संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां जिसमें हमने शामिल किया है मध्य प्रदेश की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक, मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली ऋतु और जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश का विभाजन आदि, इन सभी टॉपिक से प्रश्न परीक्षा में पूछे जाते हैं अतः यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
मध्य प्रदेश की जलवायु|| Climate of MP
किसी भी क्षेत्र में लंबे समय तक पाई जाने वाली ताप और वर्षा, आद्रता आदि की मात्रा तथा वायु की गति का औसत रूप में पाया जाना, वहां की “जलवायु” कहलाती है
किसी भी स्थान की दिन-प्रतिदिन की वायुमंडल की दशा को ‘मौसम’ कहा जाता है, जबकि मौसम का दीर्घकालीन औसत स्वरूप ‘जलवायु’ कहा जाता है
पूरे देश की तरह मध्य प्रदेश की जलवायु भी पूर्णता मौसमी अर्थात मानसूनी या उष्णकटिबंधीय मानसूनी है
मध्य प्रदेश की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
- समुद्र से दूरी- समुद्र से दूरी अधिक होने से तापांतर अधिक होता है
- कर्क रेखा- कर्क रेखा से मध्यप्रदेश के बीच से गुजरने के कारण जून महीना सबसे अधिक गर्म होता है
- पर्वतों की स्थिति- विंध्याचल एवं सतपुड़ा पर्वत के कारण वहां वर्षा अधिक होती है
- भूमध्य रेखा से दूरी- मध्य प्रदेश उसने कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है इसलिए यहां पर उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है
जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश का विभाजन
जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश को चार भागों में विभाजित किया गया है-
1.उत्तर का मैदान
- इसमें बुंदेलखंड मध्य भारत तथा रीवा पन्ना का पठार शामिल है समुद्र से दूर होने के कारण यहां गर्मियों में अधिक गर्मी सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है
- क्षेत्र की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है
2.मालवा का पठार
- यहां की जलवायु सम पाई जाती है अर्थात यहां ना तू ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी और ना शीत ऋतु में अधिक ठंड पड़ती है
- यहां सबसे अधिक वर्षा अरब सागर के मानसून ओं से होती है चीनी यात्री फाह्यान ने इसे विश्व की सर्वश्रेष्ठ जलवायु बताया है
3.विंध्य का पहाड़ी क्षेत्र
- विंध्याचल पर्वत का क्षेत्र सम जलवायु क्षेत्र है
- इसमें अधिक गर्मी नहीं पड़ती और ठंड में भी साधारण ठंड पड़ती है पचमढ़ी और अमरकंटक इसी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं
4. नर्मदा घाटी क्षेत्र
- यह क्षेत्र कर्क रेखा के लगभग समानांतर होने के कारण गर्मियों में इस क्षेत्र में तेज गर्मी पड़ती है लेकिन सर्दियों में सर्दी सामान्य ही रहती है
मध्यप्रदेश में तीन ऋतु होती हैं
- ग्रीष्म ऋतु
- वर्षा ऋतु
- शीत ऋतु
1.ग्रीष्म ऋतु
- 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत हो जाता है जो मध्य प्रदेश के बीचों – बीच से गुजरती है, जिससे जिससे मध्य प्रदेश में गर्मी बढ़ जाती है
- जून माह से राज्य के उत्तर एवं उत्तरी पश्चिमी भागों में दिन का उच्चतम तापमान 42 डिग्री से अधिक हो जाता है
- सर्वाधिक तापमान गंज बासौदा विदिशा में 1995 में 48.7 डिग्री मापा गया था
- 2008 12 में सर्वाधिक तापमान बड़वानी तथा 2013 में छतरपुर जिले की खजुराहो व नौगांव में दर्ज किया गया
- संपूर्ण मध्यप्रदेश में मई का महीना सबसे गर्म होता है जबकि मार्च में दैनिक तापांतर सर्वाधिक होता है
- इस रितु को “उनाला” भी कहते हैं
- सितंबर अक्टूबर के समय प्रदेश में द्वितीय ग्रीष्म ऋतु पड़ती है
- राज्य में न्यूनतम तापमान वाला स्थान शिवपुरी है लेकिन वर्ल्ड 2002 में सबसे कम तापमान उमरिया का रहा था
वर्षा ऋतु
- जून मध्य तक पश्चिमोत्तर भारत में निम्न नेताओं की केंद्र बनना शुरू हो जाते हैं जिसके कारण सागरों से हवाएं इस और चलने लगती है जिससे मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा होती है
- राज्य में मध्य जून से सितंबर तक वर्षा होती
- राज्य में मानसूनी वर्षा बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ही शाखाओं से होती है
- प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा जुलाई तथा अगस्त माह में होती है
- वर्षा की मात्रा सभी स्थानों पर समान नहीं है पश्चिमी मध्य प्रदेश में 75 सेंटीमीटर से 90 सेंटीमीटर वर्षा वाले भाग के बीच महादेव की पहाड़ी पर 150 सेंटीमीटर वर्षा होती है पश्चिम की अपेक्षा पूर्वी मध्य प्रदेश में वर्षा अधिक होती है
- प्रदेश में औसत वर्षा 112 सेंटीमीटर होती है सर्वाधिक वर्षा होशंगाबाद की पचमढ़ी में 199 सेंटीमीटर तथा न्यूनतम वर्षा भिंड में 55 सेंटीमीटर होती है
- बघेलखंड में अरब सागर तथा बंगाल शाखा का मिलन होता है
- इस रितु को “चौमासा” भी कहते हैं
(MP GK Climate of Madhya Pradesh in Hindi PDF)
3. शीत ऋतु
- मध्य प्रदेश में नवंबर से फरवरी तक शीत ऋतु होती है
- इस ऋतु में सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा के दक्षिण में होती है ता मानसूनी हवाएं उत्तर पूर्व से लौटने लगती है जिससे मध्य प्रदेश का तापमान कम होने लगता है
- इस ऋतु में मध्यप्रदेश का औसत तापमान 20.9 डिग्री सेंटीग्रेड से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है
- राज्य में न्यूनतम तापमान वाला स्थान शिवपुरी है लेकिन वर्ष 2002 में सबसे कम तापमान उमरिया का रहा था
- इस ऋतु को “सयाला” भी कहते हैं
- इस ऋतु में कुछ वर्षा भी होती है जिसे लोग मावट भी कहते हैं
- मध्य प्रदेश की ऋतु संबंधी आंकड़ों को एकत्रित करने वाली रितु वैद्यशाला इंदौर में है
मध्य प्रदेश में वर्षा का वितरण
वैशाख की विभिन्नता के आधार पर राज्य को नियमित चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया-
1. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र (125 सेंटीमीटर से अधिक)
- राज्य के दक्षिण पूर्वी हिस्सों में औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर से अधिक होती है
- क्षेत्र में स्थित पचमढ़ी महादेव पर्वत मंडला सीधी तथा बालाघाट में अधिक वर्षा होती है
- अधिक वर्षा होने का प्रमुख कारण नर्मदा घाटी से आने वाली अरब सागर में मानसून शाखा है
2.औसत से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र (100 से 125 सेंटीमीटर)
- इन क्षेत्रों में 100 से 125 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है
- इस चित्र में बैतूल छिंदवाड़ा सिवनी होशंगाबाद नरसिंहपुर जिले आते हैं
- पूर्वी भाग में स्थित होने के कारण इन जिले में अधिकारिता होने से अधिक वर्षा होती है
3.औसत वर्षा वाले क्षेत्र (75 से 100 सेंटीमीटर)
- क्षेत्र में औसत वर्षा 75 से 100 सेंटीमीटर के बीच होती
- प्रदेश के उत्तर पूर्वी जिले क्षेत्र में आते हैं
- मध्य उच्च पठार बुंदेलखंड का पठार तथा रीवा पन्ना का पठार में औसत वर्षा होने का कारण वायुमंडल की आद्रता का कम होना है
4.कम वर्षा वाले क्षेत्र (50 से 75)
- राज्य का पश्चिमी क्षेत्र निम्न वर्षा वाला क्षेत्र है जहां औषध वर्षा 50 से 75 सेंटीमीटर होती है
- दक्षिण पूर्वी मानसून यहां तक पहुंचते-पहुंचते आद्रता रहित हो जाता है इसलिए इस क्षेत्र में न्यून वर्षा होती है
- राज्य की नीमच मंदसौर रतलाम धार झाबुआ हदीस के अंतर्गत आते हैं
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