Sanskrit
Tulsidas ka Nibandh Sanskrit Mein
तुलसीदास जी का निबंध संस्कृत में
नमस्कार! प्यारे अभ्यार्थियों इस आर्टिकल में हम महान कवि तुलसीदास का निबंध (Tulsidas ka Nibandh Sanskrit Mein) की कुछ पंक्तियां संस्कृत भाषा में आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं जो कि परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है सभी अभ्यर्थियों के लिए यह आर्टिकल बहुत ही उपयोगी साबित होगा
गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है।गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिन्दू संत, समाजसुधारक के साथ ही दर्शनशास्त्र और कई प्रसिद्ध किताबों के भी रचयिता थे। राम के प्रति अथाह प्रेम की वजह से ही वे महान महाकाव्य रामचरित मानस के लेखक बने। तुलसीदास को हमेशा वाल्मिकी के अवतरण के रुप में प्रशंसा मिली। तुलसीदास ने अपना पूरा जीवन शुरुआत से अंत तक बनारस में ही व्यतीत किया
जन्म | रामबोला (1511 – 1623) सोरों शूकरक्षेत्र, कागंज , उत्त प्रदेश, भारत |
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मृत्यु | 1623 ई० (संवत 1680 वि०) वाराणसी |
गुरु/शिक्षक | नरहरिदास |
दर्शन | वैष्णव |
खिताब/सम्मान | गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि |
साहित्यिक कार्य | रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि |
कथन | सीयराममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ (रामचरितमानस १.८.२) |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | वैष्णव |
* तुलसीदास का निबंध * |
Tulsidas ka Nibandh Sanskrit Mein
“तुलसीदास:”
- गोस्वामी तुलसीदास: हिन्दी साहितस्य शिरोमणि: कवि: आसीत्।
- गोस्वामी तुलसीदासस्य जन्म: उतरप्रदेशस्य बाँदा नगरे १५८९ विक्रमी संवत्सरे अभवत्।
- अस्य पितुः नाम आत्माराम दुबे मातुश्च हुलसी देवी आस्ताम्।
- अयं भक्तिकालस्य प्रसिद्धं कवि: आसीत्।
- गोस्वामी तुलसीदासेण विरचिता: ग्रन्था: सन्ति
- “रामचरितमानस, गीतावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, कृष्णगीतावली इत्यादि।
- तुलसीदास: हिन्दीसाहित्यस्य महान विभूति: अस्ति।
- अस्य विरचितं “रामचरितमानस” जगति प्रसिद्धम् अस्ति।
- अस्य रचनाषु भक्तिभावनाया: सर्वाधिक समावेश: प्राप्यते।
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