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Uttar Pradesh ki Pramukh Fasal || UP GK
UP GK : Major Crops of Uttar Pradesh in Hindi|| उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसलें
दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से बोई जाने वाली (Uttar Pradesh ki Pramukh Fasal) प्रमुख फसलों के बारे में, जो की परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है यूपी स्टेट लेवल एग्जाम में उत्तर प्रदेश की कृषि संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं अतः परीक्षा की दृष्टि से आपको उनकी जानकारी होना आवश्यक है जिससे आप परीक्षा में आने वाले कृषि संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएं
उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख फसलों की जानकारी इस प्रकार है-
उत्तर प्रदेश में फसलोत्पादन (Crop production)
प्रदेश में तीन प्रकार की फसलें (रबी, खरीफ, जायद) बोई जाती है।
रबी फसलों (Rabi crops)
बुआई शीत ऋतु के शुरुआत अथार्त अक्टूबर से दिसंबर के मध्य तक कि जाति है। इसके अंतर्गत गेहूँ, जौ, चना, मटर, मसूर, सरसो, अलसी, लाही, आलू, तम्बाकू आदि फसले आती है।
खरीफ की फसले (Kharif crops)
अधिक जल और ताप चाहने वाली होती है। इनकी बोआई मई से जुलाई तक किया जाता है और कटाई सिंतबर से अक्टूबर तक कि जाति है। इसके अंतर्गत *चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, सावां, अरहर, मूंगफली, कपास, गन्ना आदि फसले आती है।
जायद की फसलों (Zayed crops)
अधिक ताप की आवश्यकता होती है। बोआई मार्च, अप्रैल में की जाती है और जून-जुलाई तक काट ली जाती है। इसके अन्तर्गत ककड़ी, खीरा, खरबूज, तरबूज, पलवल, लौकी, काशीफल, लोबिया आदि आते है।
उत्तर प्रदेश की फसले ( Uttar Pradesh crops )
गेहूँ-
- गेहूं के लिए वर्षा 50 से 75 cm की जरूरत होती है। अक्टूबर, नवंबर में बोया जाता है तथा मार्च, अप्रैल में काट लिया जाता है। गोरखपुर प्रदेश का सर्वाधिक गेहूं उत्पादक जिला है।
जौ-
- जौ की खेती प्रदेश के शुष्क एवं काँप मिट्टी वाले क्षेत्रों में कई जाती है। ताप, वर्षा आदि की गेहूं के समान जरूरत होती है।
चना-
- इसके लिए वर्षा 30 से 50 cm तक होती है। प्रदेश में चने की खेती बांदा, हमीरपुर, बाराबंकी, सोनभद्र, कानपुर, ललितपुर, झांसी, आगरा तथा इलाहाबाद आदि जिलों में पाया जाता है।
सरसो-
- इसके लिए भी गेहू जैसे वातावरण की आवश्यकता होती है। प्रदष के सभी भागों में सरसों की खेती होती है।
तम्बाकू-
- वाराणसी, मेरठ, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, मैनपुरी, सहारनपुर, फर्रुखाबाद जिलों में उगाई जाती है।
चावल-
- इसके लिए चिकनी और उपजाऊ मिट्टी, गर्म जलवायु, और 75 से 125 cm तक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- महराजगंज, सिद्धारत्नगर, कुशीनगर, गोरखपुर, बस्ती, गोण्डा, श्रावस्ती, बलरामपुर, पीलीभीत, सहारनपुर, वाराणसी, लखनऊ आदि जिलों में कई जाती है।
गन्ना-
- इसके लिए चिकनी दोमट मिट्टी, 100 से 200 cm तक वर्षा की आवश्यकता होती है। यह राज्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नकदी फसल है।
- मेरठ, मुज़फ्फरनगर, गाज़ियाबाद, रामपुर, बरेली, सीतापुर, पीलीभीत, बुलंदशहर, अलीगढ़, बलिया, देवरिया, गोरखपुर प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले है।
मक्का-
- मक्का उत्पादन में राज्य का देश मे तीसरा स्थान है। इसे मई, जून में बोकर सितबर, अक्टूबर में काट ली जाती है।
कपास-
- प्रदेश के गंगा-यमुना दोआब, रुहेलखंड, बुंदेलखंड क्षेत्रो में कपास के खेती की जाती है।
अरहर-
- अरहर एक खरीफ फसल है जिसकी बुआई के लिए ऊँचे ताप की आवश्यकता होती है।
- वाराणसी, इलाहाबाद, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, बांदा, झांसी, लखनऊ, ललितपुर प्रदेश के प्रमुख अरहर उत्पादक जिले है।
मूंगफली-
- मूंगफली एक खरीफ फसल है जिसकी बोआई जून-जुलाई में कई जाती है और खुदाई नवंबर-दिसंबर में।
- सीतापुर, हरदोई, एटा, बंदायू, मैनपुरी, मुरादाबाद आदि जिलों में कई जाती है।
अफीम-
- प्रदेश में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक जिला बाराबंकी है। गाजीपुर में भी अफीम की खेती की जाती है।
- गाजीपुर में राज्य का एक मात्र अफीम फैक्ट्री है।
आम-
- प्रदेश में मुख्यतः लखनऊ, सीतापुर, उन्नाव, बाराबंकी, फैज़ाबाद, बरेली, मेरठ, गाज़ियाबाद, कानपुर, बुलंदशहर, मुरादाबाद, सहारनपुर, हरदोई, वाराणसी आदि जिलों में आम की खेती की जाती है।
- लखनऊ के मलहीबाद दशहरी, सहारनपुर का सफेदा व चौसा, वाराणसी के लंगड़ा आम प्रसिद्ध है। प्रदेश में उत्पादित आम को देश के विभिन्न शहरों में नवाब ब्रांड नाम से प्रचारित किया जाता है।
अमरूद-
- प्रदेश में मुख्यतः इलाहाबाद, कौशाम्बी, बंदायू, कानपुर, बरेली, फैज़ाबाद जिलों में अमरूद पैदा होता है।
- इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ-49 (सरदार) व ललित सुर्खा निर्यातक प्रजाति है।
आंवला-
- प्रदेश में विशेष रूप से आंवला प्रतापगढ़ में होता है।
केला-
- प्रदेश में वाराणसी, कौशाम्बी, इलाहाबाद, गोरखपुर में बड़े पैमाने पर केला पैदा किया जाता है। यहां माल-भोग, चीनी-चंपा, अल्फान किस्म का केला उत्पादित किया जाता है।
[इलाहाबाद में प्रदेश का पहला राइपनिंग चैम्बर ( केला पकाने के संयत्र ) लगाया गया है।]
लीची-
- प्रदेश के सहारनपुर और मेरठ जिलों में लीची पैदा होती है।
माल्टा-
- मेरठ, वाराणसी, सहारनपुर जिलों में माल्टा उत्पादित होता है। मौसमी, ब्लड रैड आदि इसकी मुख्य किस्मे है।
नींबू-
- प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में विशेष रूप से नींबू पैदा होता है।
सन्तरा-
- संतरे की खेती बुंदेलखंड की कुछ जिलों तथा सहारनपुर के आस पास के क्षेत्रो में की जाती है।
सब्जी व मसाला उत्पादन ( Vegetable & Spices Production )
आलू-
- उत्तर प्रदेश आलु के उत्पादन में अग्रणी है। कुछ मुख्य उत्पादन क्षेत्र फरुर्खाबाद, कन्नौज, हाथरस, आगरा, मेरठ, बंदायू, बागपत, फिरोजाबाद, रामपुर, अलीगढ़ गाज़ियाबाद, इटावा आदि है।
- [ एक आलू अनुसंधान केंद्र,आलू व अन्य शाक भजियो के अनुसंधान के लिए गाज़ियाबाद में बाबूगढ़ स्थापित किया गया है।]
हल्दी-
- हल्दी उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी स्थान रखता है। विशेष रूप से बुंदेलखंड में हल्दी की खेती की जाती है।
अदरख-
- विशेष रूप से बुंदेलखंड में अदरख की खेती की जाती है।
धनिया, सौंफ-
- धनिया, सौंफ की खेती मुख्यतः देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, आज़मगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, फैज़ाबाद आदि जिलों में कई जाती है।
उपरोक्त आर्टिकल में हमने यूपी का एक महत्वपूर्ण टॉपिक आपके (Uttar Pradesh ki Pramukh Fasal) साथ सांझा किया है आशा है कि आप इनका ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे और परीक्षा में आने वाले उत्तर प्रदेश जीके के प्रश्न को आसानी से हल करें, धन्यवाद!
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