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Rajasthan Ki Pramukh Nadiya | Rajasthan Gk
राजस्थान की प्रमुख नदियाँ (Major Rivers of Rajasthan)
नमस्कार! दोस्तों इस पोस्ट में हम राजस्थान की प्रमुख नदियां (Rajasthan Ki Parmukh Nadiya) व उसके अपवाह तंत्र के बारे में जानेंगे। अपवाह तंत्र से तात्पर्य नदियां एवं उनकी सहायक नदियों से है जो एक तंत्र अथवा प्रारूप का निर्माण करती है राजस्थान में वर्ष भर बहने वाली नदी केवल चंबल है।राजस्थान के अपवाह तंत्र को अरावली पर्वत श्रेणियां निर्धारित करती है। अरावली पर्वत श्रेणियां राजस्थान में एक जल विभाजक है।और राज्य में बहने वाली नदियों को दो भागों में विभक्त करती है इसके अतिरिक्त राज्य में अंतर प्रवाहित नदियां भी हैं।जिनका अध्ययन हम इस पोस्ट में विस्तारपूर्वक करेंगे ।राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है, अतः वहां नदियों का विशेष महत्व है।
राजस्थान का आंतरिक अपवाह तंत्र (Rajasthan Ki Pramukh Nadiya)
राजस्थान के अपवाह तंत्र को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है
1 अरब सागर में गिरने वाली नदियां
2 बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां
3 आंतरिक जल प्रवाह वाली नदियां
राजस्थान का अपवाह तंत्र-
- धरातल पर किसी एक ही दिशा में जल का बाहाव अपवाह तंत्र कहलाता है
- महान जल विभाजक रेखा अरावली पर्वतमाला राज्य की नदियों को स्पष्ट रूप से दो भागों में विभाजित करती है
- अरावली की पूर्व में बहने वाली नदियां अपना जल बंगाल की खाड़ी में तथा अरावली के पश्चिम में बहने वाली नदियां अपना जल अरब सागर में लेकर जाती हैं
- आंतरिक जल प्रवाह प्रणाली वाली नदियों से तात्पर्य है कि वह नदियां जो कुछ दूरी तक बहने के पश्चात समाप्त हो जाती हैं अर्थात जिन काजल किसी समुद्र तक नहीं पहुंच पाता आंतरिक प्रवाह वाली नदियां कहलाती हैं
- राज्य के 60.02% भाग पर आंतरिक प्रवाह प्रणाली का विस्तार है
1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां (Rajasthan Ki Pramukh Nadiya)
लूनी नदी
- यह अरावली के पश्चिम में बहने वाली लोनी नदी सबसे बड़ी नदी है
- लूनी नदी मरुस्थल की सबसे लंबी नदी है
- उपनाम- मारवाड़ की जीवन रेखा, मरुस्थल की गंगा ,आधी -खारी आधी- मीठी, अंतः सलिला ,सेल या नेडा कहा जाता है
- लूनी नदी का उद्गम नाग पहाड़ अजमेर से होता है पुष्कर से गोविंदगढ़ तक इसे सक्रि कहा जाता है
- अजमेर में से साबरमती सागर मती या सरस्वती कहा जाता है आगे चलकर इसे लूनी नदी का नाम प्राप्त होता है
- लूनी नदी की कुल लंबाई 350 किलोमीटर है जिसमें राजस्थान में इसकी लंबाई 330 किलोमीटर है
- लूनी नदी का अपवाह तंत्र राज्य के कुल अपवाह तंत्र के 10.41% भाग है
- बालोतरा से लूनी नदी का जल खारा हो जाता है इस कारण से,आधी -खारी आधी- मीठी नदी कहते हैं
- हल्दीघाटी के युद्ध की योजना अकबर ने इसी नदी के तट पर बनाई थी
- लूनी नदी की प्रमुख सहायक नदियां- जोजड़ी ,सादगी, सुकड़ी ,बाड़ी ,लिलीडी, सगाई, जवाई ,मीठड़ी आदि है
- लोनी तथा बनास राज्य की ऐसी नदियां है जो अरावली पर्वतमाला को मध्य में से विभाजित करती हैं
माही नदी
- माही नदी का उद्गम विंध्याचल पर्वतमाला के मध्य प्रदेश के धार जिले के सरदारपुर गांव अमरूरो की पहाड़ियों में स्थित मेहद झील से होता है
- इस नदी की कुल लंबाई मध्य प्रदेश राजस्थान एवं गुजरात में 576 किलोमीटर है राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 171 किलोमीटर है
- उपनाम- दक्षिण की गंगा, कांठल की गंगा, बागड़ की गंगा, आदिवासियों की गंगा, दक्षिणी राजस्थान की जीवन रेखा या स्वर्णरेखा, आदिवासियों की जीवन रेखा या स्वर्णरेखा
- यह नदी राज्य की एकमात्र ऐसी नदी है जिसका उद्गम दक्षिण से होता है तथा उत्तर में रहने के बाद वापस दक्षिण की ओर चली जाती है अर्थात यह नदी उल्टी यू आकार में प्रवाहित होती है
- माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है
- इस नदी राजस्थान में सर्वप्रथम बांसवाड़ा जिले के खांडू ग्राम में प्रवेश करती है
- डूंगरपुर जिले की निबट पूरा नामक स्थान पर सोम माही जाखम नदी का त्रिवेणी संगम स्थित है
- डूंगरपुर जिले में बहने के पश्चात या नदी गुजरात राज्य के पंचमहल जिले में प्रवेश करती है
- माही नदी डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा जिले की सीमा निर्धारित करती है
- सुजलाम- सुफलाम का संबंध माही नदी से ही है
- इस नदी की सहायक नदियां– इरावती,आनस, मोरन, सोम ,जाखम ,चाप हरणआदि है
साबरमती नदी
- इस नदी का उद्गम उदयपुर जिले में स्थित गोगुंदा की पहाड़ियों (ढेबर झील) पदारला गांव से हुआ है
- साबरमती की कुल लंबाई 416 किलोमीटर है यह नदी राजस्थान में 45 किलोमीटर व गुजरात में 371 किलोमीटर बहती है
- यह राज्य की एकमात्र ऐसी नदी है जिसका उद्गम राजस्थान से होता है तथा यह आगे चलकर गुजरात राज्य की प्रमुख नदी बन जाती है
- गुजरात राज्य में स्थित गांधीनगर शहर एवं साबरमती आश्रम इसी नदी के किनारे स्थित है
- साबरमती नदी का जल उदयपुर की झीलों में डालने के लिए देवास जल सुरंग का निर्माण किया गया है इस सुरंग का निर्माण कार्य अगस्त 2011 में पूरा हो गया है इसकी कुल लंबाई 11.5 किलोमीटर है
वाकल नदी
- इस नदी का उद्गम उदयपुर जिले के गोगुंदा की पहाड़ियों की गोरा गांव की पहाड़ियों से होता है
- इस नदी पर सेई परियोजना के तहत सुरंग का निर्माण किया गया है
- इसके द्वारा इस नदी का जल पाली जिले में स्थित जवाई बांध में पहुंचाया जा रहा है
- पाली जिले में स्थित जवाई बांध को मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है यह राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है जो जवाई नदी पर निर्मित है
सोम नदी
- इस नदी का उद्गम उदयपुर जिले के बावलवाड़ाके जंगलों मैं स्थित बिछा मेडा की पहाड़ियों से (ऋषभदेव) से होता है
- यह नदी उदयपुर जिले के कोटडा तहसील में बहती हुई डूंगरपुर जिले में स्थित बेणेश्वर नामक स्थान से निबट पूरा में माही वा जाखम नदी के साथ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है
- सोम नदी पर उदयपुर जिले में सोम कागदर बांध तथा डूंगरपुर जिले में सोम – कमला -आंबा बांध बनाया गया है
पश्चिमी बनास
- इस नदी का उद्गम सिरोही जिले से अरावली पर्वत से नया सनावरा गांव की पहाड़ियों से होता है
- राज्य का सर्वाधिक आद्रता एवं शीतलता के लिए विख्यात माउंट आबू शहर इसी नदी के तट पर स्थित है
- इसी नदी के तट पर गुजरात राज्य का दिसा शहर स्थित है
2. बंगाल की खाड़ी की ओर बहने वाली नदियां
चंबल नदी
- यह नदी राजस्थान की एकमात्र नदी है जो प्राकृतिक अंतर राज्य सीमा निर्धारित करती है
- इस नदी को चरमड़वती, कामधेनु ,बारहमासी, नित्य वाहिनी आदि उप नामों से जाना जाता है
- इस नदी की कुल लंबाई 966 किलोमीटर है यह नदी मध्य प्रदेश राजस्थान व उत्तर प्रदेश तीन राज्यों में बहती है
- यह मध्य प्रदेश में 335 किलोमीटर, राजस्थान में 135 किलोमीटर, उत्तर
- चंबल नदी राजस्थान मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के मध्य 241 किलोमीटर की अंतर राज्य सीमा निर्धारित करती है
- इस नदी का उद्गम मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले के महू क्षेत्र के विंध्याचल पर्वतमाला के 616 मीटर ऊंची जानापाव की पहाड़ियों से होता है
- मध्यप्रदेश में मंदसौर जिले में स्थित रामपुरा भानपुरा के पठार में स्थित नदी का सबसे बड़ा बांध गांधी सागर बांध बना हुआ है
- राजस्थान में सर्वप्रथम चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित चौरसी गढ़ नामक स्थान पर प्रवेश करती है
- राज्य के कुल अपवाह क्षेत्र का 20.90% भाग चंबल नदी का है
- गंगे सूस नामक स्तनपाई जीव इस नदी की विशेष विशेषता है
- चंबल नदी यूनेस्को की विश्व धरोहर के लिए नामित राज्य की एकमात्र नदी है
- यह स्थान प्राचीन काल में कपिल मुनि की तपस्या स्थली रहा था
- चंबल नदी बहाव क्षमता की दृष्टि से राज्य की सबसे लंबी नदी है
- चंबल नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिस पर प्रत्येक 100 किलोमीटर की दूरी पर 3 बड़े बांध बने हुए हैं और तीनों बातों से ही जल विद्युत उत्पादन होता है
- कोटा बैराज चंबल नदी पर निर्मित एकमात्र ऐसा बांध है जिससे जल विद्युत उत्पादन नहीं होता
बनास नदी
- इस नदी का उद्गम राजसमंद जिले में स्थित खमनोर की पहाड़ियों से होता है
- पूर्णता बहाव के आधार पर यह राजस्थान की सबसे लंबी नदी है इसकी कुल लंबाई 480 किलोमीटर है
- बनास नदी को वन की आशा वर्ण आशा बनासा वशिष्टि नदी आदि उप नामों से जाना जाता है
- इस नदी का प्रवाह क्षेत्र राज्य के 6 जिलों में है जो इस प्रकार है राज्य संबंध चित्तौड़गढ़ भीलवाड़ा अजमेर टोंक सवाई माधोपुर जिले से बहती है
- इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में भूरी मिट्टी का प्रसार क्षेत्र पाया जाता है
- राज्य की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना इंदिरा गांधी नहर सिंचाई परियोजना इसी नदी पर है
- बनास नदी चंबल नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है
- इस नदी पर नाथद्वारा के पास नंद समंद बांध का निर्माण किया गया है इसको राजसमंद की लाइफ लाइन भी कहते है
- चंबल नदी राजस्थान की प्रमुख नदियों में से एक है
बेचड नदी
- उदयपुर जिले में स्थित गोगुंदा की पहाड़ियों से होता है
- उदयपुर में 13 किलोमीटर बहने के पश्चात यदि उदयसागर झील में गिरती है
- उदयसागर झील में गिरने से पूर्व इस नदी को नाम से जाना जाता
- इसके बाद इससे बेचड़ नाम से जाना जाता है
- उदयपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध आहड़ सभ्यता इसी नदी के तट पर विकसित हुई है
गंभीरी नदी
- इस नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के राज्य के रतलाम जिले के जावरा की पहाड़ियों से होता है
- यह नदी चित्तौड़गढ़ जिले में बेचड में जाकर विलीन हो जाती है इसे चित्तौड़गढ़ की गंगा कहते हैं
खारी नदी
- इस नदी का उद्गम राजसमंद जिले में स्थित विजराल गांव की पहाड़ियों से होता है
- यह नदी मेरवाड़ा तथा उदयपुर की सीमा निर्धारित करती है
- यहां योजियाना सभ्यता विकसित हुई है
- आगे चलकर यह नदी टोंक जिले के राज महल नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है
बाणगंगा नदी
- बाणगंगा नदी का उद्गम उदयपुर जिले में स्थित बैराट की पहाड़ियों से होता है
- इसकी कुल लंबाई 380 किलोमीटर है
- बाणगंगा नदी को अर्जुन की गंगा ताला नदी रुणित नदी के नाम से जाना जाता है
- यह एक मात्र ऐसी नदी है जिस के उद्गम स्थल से समापन स्थल तक कोई सहायक नदी नहीं है
- प्राचीन बैराठ सभ्यता बाणगंगा नदी के तट पर स्थित है
- भरतपुर में इस नदी पर अजान बांध बना हुआ है जिससे घना पक्षी अभ्यारण को जलापूर्ति की जा रही है
मासी नदी
- इस नदी का उद्गम अजमेर जिले से होता है तथा यह नदी टोंक जिले में बीसलपुर के समीप बनास नदी में विलीन हो जाती है
डाई नदी
- इस नदी का उद्गम अजमेर जिले के किशनगढ़ नसीराबाद के मध्य स्थित पहाड़ियों से होता है यह नदी टोंक जिले की राजमहल कस्बे के समीप बनास में मिल जाती है
मानसी नदी
- इस नदी का उद्गम भीलवाड़ा जिले में करण गढ़ की पहाड़ियों से होता है यह नदी भीलवाड़ा जिले में ही बनास में मिल जाती है
मोरेल नदी
- इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में चाकसू के समीप गांव से होता है यह नदी सवाई माधोपुर तथा जयपुर जिले की सीमा निर्धारित करती है
ढूंढ नदी
- इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में स्थित अचरोल की पहाड़ियों से होता है या नदी जयपुर तथा दोसा जिले में बहती हुई दौसा जिले के लालसोट तहसील के समीप मोरेल में मिल जाती है
बांडी नदी
- इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में स्थित सामोद की पहाड़ियों से होता है यह नदी मासी में विलीन हो जाती है
3 . आंतरिक प्रवाह प्रणाली वाली नदियां
घग्घर नदी
- घग्गर नदी प्राचीन सरस्वती नदी के पेटे में बहा करती थी
- इस नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश के शिवलिंग पर्वत श्रंखला के कालका पहाड़ियों से होता है
- इसकी कुल लंबाई 465 किलोमीटर है
- घग्गर नदी को पंजाब में चिंताग नाम से जाना जाता है
- घग्गर नदी राजस्थान में बहने वाली आंतरिक प्रवाह प्रणाली की सबसे लंबी नदी है
- यह एकमात्र अंतरराष्ट्रीय नदी एवं राज्य की उत्तर दिशा में प्रवेश करने वाली एकमात्र नदी है
- ऋग्वेद के दसवें मंडल की 136 वे सुक्त के 15 मंत्र में इस नदी का उल्लेख है
- प्राचीन कालीबंगा एवं पीलीबंगा सभ्यता का विकास घग्गर नदी के तट पर हुआ है
- घग्गर नदी को सोता नदी भी कहा जाता है
- इस नदी का प्रवाह क्षेत्र उतला होने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है इस कारण इस नदी को राजस्थान का शोक कहा जाता है
कांतली नदी
- इस नदी का उद्गम सीकर जिले में स्थित खंडेला की पहाड़ियों से होता है
- कानतली नदी की कुल लंबाई 100 किलोमीटर है
- पूर्णता भाव की दृष्टि से कानतली नदी राजस्थान में बहने वाली आंतरिक प्रवाह प्रणाली की सबसे लंबी नदी है
- प्रसिद्ध गणेश्वर सभ्यता का विकास इसी नदी के तट पर हुआ है गणेश्वर सभ्यता को तांबे सभ्यताओं की जननी कहा जाता है
- कानतली नदी झुंझुनू को दो समान भागों में विभाजित करती है तथा चुरू की सीमा पर जाकर विलीन हो जाती है
- इस नदी का प्रवाह क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है
साबी नदी
- साबी नदी का उद्गम जयपुर जिले में स्थित सेवर की पहाड़ियों से होता है
- जोधपुरा नामक उत्खनन स्थल जहां सी हाथी दांत के अवशेष मिले हैं इसी नदी के तट पर स्थित है
- साबी नदी आंतरिक प्रवाह प्रणाली वाली नदियों में ऐसी नदी है जो उत्तर की ओर बहती है
काकनी नदी
- काकनी नदी का उद्गम जैसलमेर जिले की कोठारी गांव से होता है
- इस नदी को मसूरडी नदी के नाम से भी जाना जाता है
- काकनी नदी की कुल लंबाई मात्र 17 किलोमीटर है यह राजस्थान की सबसे छोटी आंतरिक प्रवाह प्रणाली वाली नदी है
- काकनी नदी का समापन स्थान जैसलमेर जिले की बुधनी गांव है जहां यह बुज झील का निर्माण करती है
मेंथा/ मंथा नदी
- मंथा नदी का उद्गम उदयपुर जिले में स्थित मनोहर थाना क्षेत्र की पहाड़ियों से होता है
- मंथा नदी उत्तर प्रदेश से सांभर झील में गिरती है
रूपनगढ़ नदी
- रूपनगढ़ नदी का उद्गम स्थल अजमेर जिले में स्थित नाग पहाड़ी के समीप से होता है
- इस नदी के तट पर अजमेर जिले में निंबार्क संप्रदाय की मुख्य पीठ सलेमाबाद में स्थित है
रूपारेल नदी
- रूपारेल नदी का उद्गम अलवर जिले में उदय भान की पहाड़ियों से होता है
- इस नदी को नशावरी तथा बराह नदी के नाम से भी जाना जाता है
- रूपारेल नदी भरतपुर के गोपालगढ़ कस्बे के समीप प्रवेश करती है
- यह नदी भरतपुर जिले में कुशलपुरा नामक स्थान पर जाकर विलीन हो जाती है
- नोट- भरतपुर की लाइफ लाइन मोती झील को कहा जाता है
दोस्तों इस पोस्ट में हमने राजस्थान की प्रमुख नदियां व प्रमुख अपवाह तंत्र- से संबंधित (Rajasthan Ki Pramukh Nadiya) जानकारी शेयर की जो आप की आगामी परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है आशा है आप नदियों से संबंधित प्रश्नों को परीक्षा में आसानी से हल कर पाएंगे ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी साइट पर विजिट करते रहे।