Hindi Notes
Hindi Grammar Alankar Questions for Class 10
Hindi Vyakaran Alankar Questions
नमस्कार! दोस्तों इस आर्टिकल में हम आज जानेंगे हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar Alankar Questions for Class 10) का एक महत्वपूर्ण टॉपिक अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर जो कि कक्षा नौवीं और दसवीं के साथ-साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है जिनमें हिंदी से संबंधित प्रश्न उत्तर पूछे जाते हैं इस आर्टिकल के अध्ययन से आपको परीक्षा में आने वाले अलंकार से संबंधित प्रश्नों को हल करने में मदद मिलेगी
अलंकार की परिभाषा
“काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं”, अलंकार काव्य के सौंदर्य में अभिवृद्धि करते हैं
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है- “आभूषण” जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की,
- संस्कृत की अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठा पक आचार्य दांडी के शब्दों में – “काव्य के शोभा कारक धर्म अलंकार कहलाते हैं”
- हिंदी के कवि केशवदास एक अलंकार वादी कवि हैं
अलंकार के दो भेद होते हैं-
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
शब्दालंकार -जहां शब्दों के चमत्कार के कारण काफी की शोभा बढ़ती है उसे शब्दालंकार कहते हैं
शब्दालंकार के भेद
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
अर्थालंकार- जहां अर्थों के चमत्कार के कारण काफी की शोभा बढ़ती है उसे अर्थालंकार कहते हैं
अर्थालंकार के भेद
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
अलंकार से संबंधित प्रश्नोत्तरी
प्रश्न.1 -पूत कपूत तो क्यों धन संचय ।
पूत सपूत तो क्यों धन संचय।।
प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है।
उत्तर- लाटानुप्रास
प्रश्न.2 – पानी विच मीन प्यासी मोहि सुनि सुनि आवै हासी ।
उत्तर- विशेषोक्ति
प्रश्न.3 – जब किसी सामान्य बात का विशेष बात से तथा विशेष बात का सामान्य बात से सर्मथन किया जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है ।
उत्तर- अर्थान्तरन्यास
प्रश्न.4 – चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से में कौन-सा अंलकार है ।
उत्तर- अनुप्रास अंलकार
प्रश्न.5- चरण कमल बन्दौ हरिराई में कौन-सा अलंकार है ।
उत्तर– रूपक अंलकार
प्रश्न.6 – सारंग लै सारंग चली कई सांरग की ओट
सारंग झीनो पाईकैं सारंग कई गई चोट
उक्त पद्य में कौन-सा अलंकार विद्यमान है।
उत्तर-यमक अलंकार
प्रश्न.7 – बढ़त-बढ़त संपत्ति-सलिल,
मन सरोवर बढ़ जाइ,
घटत-घटत सुन फिरि घटे,
बरु समूल कुम्हिलाई।
उत्तर- रूपक
प्रश्न.8 – तरनि तनूजा तट तरुवर बहु छाए
में कौन सा अलंकार है?
उत्तर-अनुप्रास
(Hindi Grammar Alankar Questions for Class 10)
प्रश्न.9- पापी मनुज भी आज मुख से,
राम नाम निकालते
इस काव्य पंक्ति में अलंकार है?
उत्तर- विरोधाभास
प्रश्न.10- खिली हुई हवा आई फिरकी सी आई चल गई
पंक्ति में अलंकार है-
उत्तर- उपमा
प्रश्न-11- उपमेय में उपमान का निषेध रहित आरोप हो
तो कौन सा अंलकार होता है?
उत्तर- रूपक
प्रश्न-12- सुवरण को खोजत फिरत कवि व्यभिचारी चोर
पंक्ति में कौन सा अंलकार है?
उत्तर- श्लेष
प्रश्न.13 – दिवसावसान का समय मेघमय
आसमान से उतर रही है
वह संध्या-सुन्दरी परी सी धीर-धीरे-धीरे।
इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर-मानवीकरण अंलकार
प्रश्न.14- तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं,
इस पंक्ति में कौन सा अंलकार है?
उत्तर-यमक
प्रश्न.15 – जहाँ बिना किसी कारण के कार्य का होना पाया जाए
वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
उत्तर-विभावना
Can Read Also:-
Objective Questions of Samas in Hindi | Click Here |
Hindi Grammar Practice Set pdf Class 10th | Click Here |
Hindi Notes
(Hindi) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी
Anek Shabdon ke liye Ek Shabd MCQ Questions: प्रिय पाठकों इस आर्टिकल में हम हिंदी भाषा के अंतर्गत अनेक शब्दों के लिए एक शब्द पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न आपके साथ इस आर्टिकल में शेयर कर रहे हैं जोकि इस प्रकार है।
1. जो धन को व्यर्थ व्यय करता हो –
(a) कृपण
(b) मितव्ययी
(c) अल्पव्ययी
(d) अपव्ययी
Ans- d
2. जो काम न करना चाहे –
(a) आलसी
(b) निकम्मा
(c) अकर्मण्य
(d) दुष्कर
Ans- c
3. जिसे न देख सकें, न सुन सकें और न छू सकें –
(a) निराकार
(b) निर्गुण
(c) अदृश्य
(d) अगोचर
Ans- d
4. जो शत्रु की हत्या करता है?
(a) शत्रुघ्न
(b) नश्वर
(c) जन्मांध
(d) निर्दय
Ans- a
5. आवश्यकता से अधिक वर्षा होना –
(a) अनावृष्टि
(b) अतिवृष्टि
(c) झंझावात
(d) दुर्दिन
Ans- b
6. जो वस्तु खाने योग्य हो –
(a) भोजन
(b) अन्न
(c) खाद्य
(d) अखाद्य
Ans- c
7. जो कवि तत्क्षण ( तुरन्त ) कविता कर सकें –
(a) महाकवि
(b) गायक
(c) रचनाकार
(d) आशुकवि
Ans- d
8. आकाश में विचरण करने वाला –
(a) पक्षी
(b) थलचर
(c) कौवा
(d) नभचर
Ans- d
9. जो अपने कर्त्तव्य को न जानता हो –
(a) अनजान
(b) अज्ञानी
(c) किंकर्त्तव्यविमूढ़
(d) कर्त्तव्यहीन
Ans- c
10. जिसे जीता न जा सके –
(a) विजितक
(b) अज्ञेय
(c) अजेय
(d) दुर्जेय
Ans- c
11. दोपहर के बाद का समय –
(a) पूर्वाह्न
(b) अपराह्न
(c) मध्याह
(d) निशीथ
Ans- b
12. जो आंखों के सामने घटित न हो –
(a) अभिज्ञान
(b) अज्ञात
(c) परोक्ष
(d) अपरोक्ष
Ans- c
13. अन्योन्याश्रित –
(a) किसी पर आश्रित होना
(b) किसी पर आश्रित न होना
(c) एक-दूसरे पर आश्रित होना
(d) किसी को आश्रित बना देना
Ans- c
14. निम्न में कौन-सा शब्द अनेकार्थक है?
(a) अंबर
(b) बालक
(c) साहस
(d) पुस्तक
Ans- a
15. सर्प, मेढ़क, सिंह, घोड़ा, वानर, हाथी आदि को समझाने वाला शब्द है –
(a) शिव
(b) हरि
(c) कपिश
(d) पशु
Ans- b
Read More:-
Hindi Notes
Makhanlal Chaturvedi ka Jivan Parichay
Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi
नमस्कार! दोस्तों आज के आर्टिकल में हम हिंदी के (Makhanlal Chaturvedi ka Jivan Parichay) प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का जीवन परिचय आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं जो की परीक्षा में अक्सर पूछा जाता है हमने उनके जीवन परिचय व उनकी रचनाओं को एक क्रमबद्ध तरीके से आपके लिए प्रस्तुत किया है जिससे कि आप उसे आसानी से याद करते हैं कर सकें
माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय| Makhanlal Chaturvedi ka Jivan Parichay |
1. | नाम | माखनलाल चतुर्वेदी |
2. | जन्म – | 4 अप्रैल सन 1889 |
3. | पिता – | पंडित श्री नंद लाल चतुर्वेदी |
4. | माता – | श्रीमती सुंदरी बाईं |
5. | जन्म स्थान | बाबई जिला होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) |
6. | रचनाएं – | हिम किरिटनी, हिम तरंगिणी, युग चरण, पुष्प की अभिलाषा, अमर राष्ट्र |
7. | भाषा का ज्ञान – | संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी |
8. | मासिक पत्रिका – | प्रभा |
9. | उपाधि – | डीलिट की उपाधि और पद्मभूषण से अलंकृत |
10. | मृत्यु – | 30 जनवरी सन 1968 ईस्वी |
परिचय
माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म 4 अप्रैल सन 1889 ईस्वी में होशंगाबाद जिले के बाबई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित श्री नंद लाल चतुर्वेदी और माता श्रीमती सुंदरी वाई था। आप की प्रारंभिक शिक्षा विद्यालय में ही हुई और प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत आपने घर पर ही संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया। इसके पश्चात आपने कुछ दिनों तक अध्यापन का कार्य भी किया। इसके बाद आपने ‘प्रभा’ नामक एक मासिक पत्रिका का संपादन किया। खंडवा से प्रकाशित होने वाली कर्मवीर नामक पत्रिका लगभग 30 वर्ष तक संपादन और प्रकाशन का कार्य किया। आपने 1913 में अध्यापक की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और पूरी तरह काव्य साधना, पत्रकारिता और राष्ट्रीय आंदोलन के लिए समर्पित हो गए। देश प्रेम के साथ-साथ आपकी कविताओं में प्रकृति और प्रेम का भी चित्रण मिलता है।
रचनाएं
हिंदी साहित्य जगत के इतिहास में माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं एक अमूल्य धरोहर हैं। हिमकिरिटनी, हिमतरंगिणी, युग चरण, माता, वेणु लो गूंजे धारा, मरण ज्वार, पुष्प की अभिलाषा, अमर राष्ट्र आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं कलम के सिपाही के रूप में अपने भारत की स्वाधीनता के आंदोलन में कई उल्लेखनीय कार्य किए। सन 1945 ईस्वी में आप हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति निर्वाचित हुए। आपकी काव्य सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने आपको डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया। तथा सन् 1963 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण की उपाधि से अलंकृत हुए।
काव्य कृतियां
समर्पण,मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धारा, बिजुरी काजल आज रही आदि माखनलाल चतुर्वेदी जी की प्रसिद्ध काव्य कृतियां हैं।
गधात्मक कृतियां
कृष्णार्जुन युद्ध, समय के पांव, साहित्य के देवता, आमिर इरादे और गरीब इरादे आदि आपके प्रसिद्ध गद्दात्मक कृतियां हैं।
सम्मान और उपाधि
माखनलाल चतुर्वेदी को 1943 ई० में देव पुरस्कार जो उस दौर का हिन्दी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार था
दिया गया हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार जीतने वाले यह पहले व्यक्ति हैं
हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व योगदान देने के कारण माखनलाल चतुर्वेदी को 1959 में सागर यूनिवर्सिटी से
डी.लिट् की उपाधि भी प्रदान की गयी
1963 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण दिया गया ( हालाँकि 10 सितम्बर 1967 ई० को राष्ट्र भाषा
हिन्दी पर आघात करने वाले राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में माखनलाल जी
ने यह अलंकरण लौटा दिया)
भोपाल का माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय इन्हीं के नाम पर स्थापित किया गया
मृत्यु
30 जनवरी 1968 को राष्ट्र ने साहित्य जगत के अनमोल नगीने को खो दिया, 79 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन हो गया माखनलाल चतुर्वेदी जी एक राष्ट्र प्रेमी कवि हुआ करते थे. ये उन प्रमुख कवियों में से एक थे जिन्होंने अपना परम लक्ष्य राष्ट्र हित को माना है
Can Read Also:-
Hindi Notes
Sumitranandan Pant ka Jivan Parichay in Hindi
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय|Biography of Sumitranandan pant
आज हम जानेंगे! प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाने वाले कवि सुमित्रानंदन पंत के बारे में (Sumitranandan Pant ka Jivan Parichay in Hindi) साथ ही उनकी सभी महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएं और उनकी भाषा शैली का संपूर्ण विवरण इस आर्टिकल में हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं
Sumitranandan Pant ka Jivan Parichay
1. | पूरा नाम | सुमित्रानंदन पंत |
2. | दूसरा नाम | गुसाई दत्त |
3. | जन्म | 20 मई 1900 |
4. | पिता | श्री गंगाधर दत्त |
5. | माता | श्रीमती सरस्वती देवी |
6. | जन्म स्थान | कौसानी ,अल्मोड़ा (बागेश्वर) उत्तराखंड |
7. | हाई स्कूल शिक्षा | गवर्नमेंट हाई स्कूल अल्मोड़ा |
8. | उच्च शिक्षा | 1918 काशी क्विज कॉलेज, म्योर कॉलेज इलाहाबाद |
9. | मासिक पत्रिका | 1938 में मासिक पत्रिका “रूपाभ” का संपादन |
10. | कर्मभूमि | इलाहाबाद (प्रयागराज) |
11. | कार्यशैली | अध्यापक, लेखक, कवि |
12. | कार्यालय | 1950 से 1957 तक आकाशवाणी में परामर्शदाता |
13. | कविता | 1958 में युगवाणी से वाणी काव्य संग्रह की प्रतिनिधि कविताओं का संकलन चिदंबरा प्रकाशित हुआ, जिस पर 1968 में उन्हें ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ पुरस्कार प्राप्त हुआ। |
14. | उपाधि | 1961 में पद्म भूषण की उपाधि से विभूषित हुए। |
15. | काव्य संग्रह | 1960 में ‘कला’ और ‘बूढ़ा चांद’ काव्य संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। |
16. | प्रकाशन | 1964 में विशाल महाकाव्य लोकायतन का प्रकाशन हुआ। |
17. | मृत्यु | 29 दिसंबर 1977 को (प्रयागराज) |
जीवन परिचय
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म 20 मई सन 1900 में अल्मोड़ा के निकट कौसानी नामक ग्राम में हुआ था, इनकी माता का नाम सरस्वती देवी तथा पिता का नाम पंडित गंगाधरपंत था जो एक धार्मिक ब्राह्मण थे जन्म के 6 घंटे बाद ही इनकी माता सरस्वती देवी का देहांत हो गया तब इनका पालन-पोषण इनकी बुआ ने किया किया पंत जी की प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई, काशी नारायण स्कूल में मैट्रिक की परीक्षा पास की और इंटर में कॉलेज छोड़कर असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गए
सन 1956 ईस्वी में उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें ₹100000 के भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया तथा भारत सरकार ने पद्मभूषण से अलंकृत किया था आधुनिक युग के क्रांतिकारी कवियों में पंत जी बहुत ऊंचा स्थान हैं निराला की भांति ही पंत जी ने भी कविता के लिए भाषा व्याकरण और दोनों के बंधनों को मानने से इनकार कर दिया पंत जी के काव्य को छायावादी और प्रगतिवादी दो भागों में बांटा जा सकता है परंतु समय-समय पर उनके कार्य में अनेक परिवर्तन साफ दिखाई पड़ते हैं खड़ी बोली का जो मधुर कोमल कांत रूप जी की कृतियों में मिलता है वह अत्यंत दुर्लभ है इस प्रकार सन 1977 ईस्वी में उनका स्वर्गवास हो गया
साहित्यिक परिचय
कवि सुमित्रानंदन पंत 7 वर्ष की अल्पायु से ही कविताओं की रचना करने लगे थे उन्होंने रूपभा पत्रिका का संपादन किया तत्पश्चात पंत जी का परिचय अरविंद घोष से हुआ और उसने उनसे प्रभावित होकर अनेक रचनाएं की 1916 में पद्म भूषण सम्मान मिला तथा “कला और बूढ़ा चांद” पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला छायावादी कविताएं अत्यंत कमल एवं मृदुल भावों को अभिव्यक्त करती है इन के कारणों से पंत जी को “प्रकृति का सुकुमार कवि” कहा जाता है
छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के चितेरे कवि हैं हिंदी की कविता में प्रकृति को पहली बार प्रमुख विषय बनाने का काम पर नहीं किया उनकी कविता प्रकृति और मनुष्य के अंतरंग संबंधों का दस्तावेज है
प्रकृति के अद्भुत चित्रकार पंत का मिजाज कविता में बदलाव का पक्षधर रहा है शुरुआती दौर में उन्होंने छायावादी कविताएं लिखी पल-पल परिवर्तित प्रकृति बेस इन्हें जादू की तरह आकृष्ट कर रहा था बाद में चलकर प्रगतिशील दौड़ में ताजा और वे आंखें जैसी कविताएं भी लिखी इनके साथ ही अरविंद के मानववाद से प्रभावित होकर माना तुम सबसे सुंदर तक जैसी पंक्तियां भी लिखते रहें उन्होंने नाटक, कहानी, आत्मकथा ,उपन्यास और आलोचना के क्षेत्र में भी काम किया रूपाय नामक पत्रिका का संपादन भी किया जिसमें प्रगतिवादी साहित्य का विस्तार से विचार-विमर्श होता है
रचनाएं
- उपवास,
- पल्लव,
- वीणा,
- ग्रंथि,
- गुंजन,
- ग्राम्य,
- युगांत,
- युगांतर,
- स्वर्ण किरण,
- स्वर्ण धूलि,
- कला और बूढ़ा चांद,
- लोकायतन,
- सत्य काम,
- मुक्ति यज्ञ,
- तारा पथ,
- मानसी,
- युगवाणी,
- उत्तरा, र
- जत शिखर,
- शिल्पी,
- सौवर्ण,
- अतिमा,
- पतझड़,
- अवगुंठित,
- जोतिस्ना,
- मेघनाथ वध आदि।
प्रमुख रचनाएं
युगपथ, चिदंबरा, पल्लविनी, स्वच्छंद, आदि।
अनूदित रचनाएं
मधुज्वाल (उमर खय्याम की रुबाईयों का फारसी से हिंदी में अनुवाद)
अन्य कवियों के साथ संग्रह
खादी के फूल (हरिवंश राय बच्चन), प्रथम रश्मि, अनुभूति, परिवर्तन आदि।
भाषा शैली
पंत जी की भाषा कोमल कांत पदावली से युक्त खड़ी बोली है पंत जी की शैली अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला के कवियों से प्रभावित गीत आत्मक मुक्तक शैली है
साहित्य में स्थान
पंत जी असाधारण प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे
डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने पंत जी के काव्य का विवेचन करते हुए लिखा है-
“पंत जी केवल शिल्प शिल्पी ही नहीं महानुभाव शिल्पी हैं वे सौंदर्य के निरंतर निखरती सूक्ष्म रूप को वाणी देने वाले भाव शिल्पी भी हैं”
आधुनिक काव्य के कवियों में पंत जी का महत्वपूर्ण स्थान है
महत्वपूर्ण बिंदु
> सुमित्रानंदन पंत का घर आज “सुमित्रानंदन पंत साहित्यिक व वीथिका” बन चुका है।
> उनके कपड़े, चश्मा, कलम आदिव्यक्तिगत वस्तुएं इसी घर में सुरक्षित रखी गई हैं।
> संग्रहालय में उनको मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार और हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा मिला वाचस्पति का प्रशस्ति पत्र भी मौजूद है।
> उनकी रचनाएं लोकायतन, आस्था आदि कविता संग्रह की पांडुलिपि अभी सुरक्षित रखी हैं।
> कालाकांकर के कुवर सुरेश सिंह और हरिवंश राय बच्चन से किए गए उनके पत्र व्यवहार की प्रतिलिपि अभी मौजूद हैं।
> सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
> इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा
Can Read Also:-
-
Sanskrit4 years ago
Fruits Name in Sanskrit Language|| फलों के नाम संस्कृत में
-
Uncategorized2 years ago
संस्कृत में मम परिचय | Mam Parichay Sanskrit Mein Class 10th
-
CTET & Teaching1 year ago
CTET January 2024: केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए गणित शिक्षण शास्त्र से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
-
Current Affairs3 years ago
India Ranking in Different Indexes 2021 pdf in Hindi
-
CTET & Teaching1 year ago
CTET 2024 Practice Set: लेव वाइगोत्सकी के सिद्धांत से हर बार पूछे जाते है ये सवाल
-
CTET & Teaching1 year ago
TET Exams 2023-24: शिक्षक बनाना चाहते है तो अभी पढ़ें पर्यावरण पेडगॉजी ये सवाल
-
Sanskrit3 years ago
Importance of Trees Essay in Sanskrit
-
Sanskrit4 years ago
Colours Name in Sanskrit Language || रंगों के नाम संस्कृत में