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List of Famous Museum in Madhya Pradesh in Hindi

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List of Famous Museum in Madhya Pradesh in Hindi

मध्य प्रदेश GK : मध्य प्रदेश मध्य प्रमुख संग्रहालयों की सूची ||List of Famous Museum in Madhya Pradesh

नमस्कार! दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम मध्य प्रदेश जीके का एक (List of Famous Museum in Madhya Pradesh in Hindi) महत्वपूर्ण टॉपिक आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं। जिसमें हमने मध्य प्रदेश में स्थित प्रमुख संग्रहालय की सूची आपके साथ साझा की है । जो कि मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। इस आर्टिकल में हमने मध्य प्रदेश में स्थित लगभग सभी संग्रहालय का स्थापना वर्ष व उनसे संबंधित विस्तृत जानकारी को आपके साथ शेयर किया है तो आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में स्थित प्रमुख संग्रहालय के बारे में जो इस प्रकार है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख संग्रहालय

मध्यप्रदेश में संचालनालय, पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी जिसका वर्ष 1994 में राजकीय अभिलेखागार में विलय कर दिया गया मध्यप्रदेश (List of Famous Museum in Madhya Pradesh in Hindi) में पुरातत्व संपदा के सर्वेक्षण, चिन्ना अंकन, छायांकन, संकलन, संरक्षण, प्रदर्शन, उत्खनन एवं अनुरक्षण के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों में संग्रहालय स्थापित किए गए हैं।

मध्य प्रदेश में 12 केंद्रीय संग्रहालय, पांच राज्य स्तरीय, 14 जिला स्तरीय तथा 7 स्थानीय संग्रहालय स्थित है इसके अतिरिक्त कुछ अन्य संग्रहालय निजी और शासकीय अनुदान द्वारा स्थापित किए गए हैं ।

केंद्रीय संग्रहालय, इंदौर

  • केंद्रीय संग्रहालय इंदौर की स्थापना वर्ष 1923 में होलकर शासन की शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक संस्था के रूप में हुई थी जिसका नाम नवरत्न मंदिर रखा गया था ।
  • वर्ष 1929 में राज्य में यहां-वहां बिखरी पड़ी पूरा वस्तुओं के संग्रह के लिए संग्रहालय की स्थापना की गई ।
  • वर्ष 1931 में इसे केंद्रीय संग्रहालय का दर्जा प्रदान किया गया ।
  • हमें संग्रहालय में मुद्राओं का भी प्रदर्शन किया गया जिसे देवी अहिल्या मुद्रा विथिका नाम प्रदान किया गया ।
  • वर्ष 1977 में मंदसौर जिले के हिंगलाजगढ़ पुरातात्विक प्रतिमाओं और कलाकृतियों को संग्रहालय मैं लाया गया तथा वर्ष 1980 में हिंगलाजगढ़ काला विथीका की स्थापना की गई ।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल

  • इसकी स्थापना 21 मार्च 1977 को भोपाल में की गई थी जिसका नामकरण वर्ष 1985 में राष्ट्रीय मानव संग्रहालय तथा वर्ष 1993 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय किया गया ।
  • यह संग्रहालय मानव सभ्यता विकास की कहानी को प्रदर्शित करने वाला देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है।
  • इस संग्रहालय में जनजाति विकास एवं उनकी लोक कलाओं तथा भवनों की विशेष प्रदर्शनी स्थापित की गई हैं जिसमें प्रमुख रुप से आदिवासी प्रजातियों( टोड़ा,बराली, बोडो, कचरी, कोटा, सोवरा, गदेव , कुटियाक , अगरिया, राजव्द , भील और करवी )की झोपड़ियां, बस्तर का रथ, मुड़िया लोगों को घुटलू ,110 फिट लकड़ी की बनी नाव, शैल चित्र आदि प्रदर्शित किए हैं।

राज्य संग्रहालय ,भोपाल

  • इस संग्रहालय के नए भवन का उद्घाटन 2 नवंबर 2005 को तात्कालिक मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के द्वारा किया गया था इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1887 में एडवर्ड संग्रहालय के नाम से की गई थी ।
  • यह वर्ष 1909 में सुल्तान जहां बेगम द्वारा निर्मित अजायबघर के नाम से वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्रालय भवन में संचालित होता था वर्ष 1964 में राज्य सरकार द्वारा इसे अधिकृत किया गया है ।
  • इस संग्रहालय में प्रगति हासिल वस्तुएं जैसे- घुघवा ,जीवाश्म उद्यान से प्राप्त जीवाश्म हतनूर से प्राप्त हाथी दांत और विभिन्न अभिलेखों व चित्रकारी की प्रति कृतियों को प्रदर्शित किया गया है ।

रानी दुर्गावती संग्रहालय, जबलपुर

  • गोंड रानी दुर्गावती को समर्पित इस संग्रहालय की स्थापना जबलपुर जिले में वर्ष 1975- 76 में की गई।
  • इस संग्रहालय में चार दीर्घायु एवं एक कला वीथीका है जिसमें कुल 6163 पूरावेष संग्रहित है।

तुलसी संग्रहालय रामबन, सतना

  • यह संग्रहालय हिंदी चित्र की पुरा संपदा को एकत्र करने के उद्देश्य से सतना जिले में सेठ बाबू शारदा प्रसाद जी द्वारा स्थापित किया गया था
  • वर्ष 1936 में रामबन आश्रम स्थापित हुआ था जिसमें वर्ष 1940 में मानव ट्रस्ट की स्थापना की गई थी
  • इसके अधीन वर्ष 1959 में तुलसी संग्रहालय स्थापित हुआ वर्ष 1978 में यह संग्रहालय मध्य प्रदेश पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को दान दे दिया गया
  • इस संग्रहालय में 9 कक्ष तथा कई अन्य कलाकृतियों की विधाएं हैं वर्तमान में संग्रहालय में 2368 परावशेष संग्रहित है

गुजरी महल संग्रहालय, ग्वालियर

  • यह संग्रहालय ग्वालियर में स्थित है।
  • वर्ष 1913 -14 में ग्वालियर के तात्कालिक महाराजा माधवराव सिंधिया ने स्वर्गीय श्री एमबी गरबे के निर्देशन में पुरातत्व विभाग का गठन कर इस संग्रहालय को स्थापित करने का निर्णय किया था।
  • वर्ष 1922 में इस संग्रहालय की स्थापना ग्वालियर के गुजरी महल में की गई जिसमें महाभारत की रियासतों से प्राप्त पूरा सामग्रियों को संग्रहित किया गया।

आदिवासी संग्रहालय, पातालकोट

  • यह संग्रहालय मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट में 20 अप्रैल 1954 को स्थापित किया गया था ।
  • इस संग्रहालय को श्री बादल भोई शासकीय आदिवासी संग्रहालय नाम प्रदान किया गया।
  • इस संग्रहालय में जनजातियों की सांस्कृतिक धरोहर कला शिल्प देवी देवताओं की मूर्तियां आदि संरक्षित की गई हैं ।

मध्य प्रदेश में जिला स्तर के संग्रहालय|| District level museums in Madhya Pradesh

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, विदिशा

  1. यह संग्रहालय 1964 में विदिशा जिले में स्थापित किया गया ।
  2. इस संग्रहालय में वर्तमान में लगभग 1700 पूराअवशेष संकलित है ।

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, होशंगाबाद

  1. यह संग्रहालय वर्ष 1983 में होशंगाबाद जिले में स्थापित किया गया था।
  2. इस संग्रहालय में वर्तमान में लगभग 200 पूरा अवशेष संकलित है।

यह भी पढ़ें : मध्यप्रदेश की प्रमुख चर्चित पुस्तकें और उनके लेखकों के नाम Click Here

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, राजगढ़

  1. यह संग्रहालय वर्ष 1975-76 में राजगढ़ में स्थापित किया गया था ।

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, देवास

  1. यह संग्रहालय देवास जिले के मल्हार स्मृति मंदिर 1939 में वर्ष 1992 में स्थापित किया गया ।
  2. जिसमें पाषाण प्रतिमाओं का संकलन है जो परमार कालीन से यह वैष्णव एवं जैन धर्म से संबंधित है ।

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, रीवा

  1. जय संग्रहालय रीवा जिले में महाराजा वेंकटरमन जूदेव द्वारा स्थापित कोठी 1908 में 1988 में स्थापित किया गया था ।
  2. संग्रहालय में लगभग 468 पूराअवशेष है ।

यशोधर्मन संग्रहालय ,मंदसौर

  1. वर्ष 1982-83 में स्थापित किए गए इस संग्रहालय का बचपन 197 में नए भवन में लोकार्पण हुआ ।
  2. इस संग्रहालय में मंदसौर जिले की विभिन्न स्थलों से प्राप्त शैव वैष्णव देवी जैन संप्रदाय से संबंधित प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया है ।
  3. इन प्रतिमाओं में सप्त मात्रक का, अंबिका, चामुंडा, हारीती आदि आदित्य है यह प्रतिमाएं छठवीं से चौदहवीं शताब्दी तक की है ।

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, कसरावद (खरगोन)

  1. यह संग्रहालय खरगोन जिले की कसरावद तहसील में 25 जुलाई 2003 को स्थापित किया गया
  2. संग्रहालय में 12 पाषाण प्रतिमाएं, एक लोहे की तोप, खलघाट, कटमेरा, आदि पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त सामग्रियां भी प्रदर्शित किए गए हैं
  3. जिसमें विभिन्न पूरा अवशेष हाथी दांत की चूड़ी, कांच की चूड़ी, मन के एवं अन्य सामग्रियां प्रदर्शित की गई हैं

जिला पुरातात्विक संग्रहालय, मंडला

  1. यह संग्रहालय वर्ष 1976 में मंडला में स्थापित किया गया ।
  2. इस संग्रहालय में मुख्यता पाषाण प्रतिमाओं के संकलन की अतिरिक्त जीवाश्म का भी सुंदर संग्रह है ।
  3. जीवाश्म ग्रह की दृष्टि से यह प्रदेश का प्रथम संग्रहालय है जिसमें 610 पूरा अवशेष संग्रहित किए गए हैं ।

जिला पुरातात्विक संग्रहालय , शहडोल

  1. यह संग्रहालय वर्ष 1981 में शहडोल में मध्यप्रदेश के पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय द्वारा स्थापित किया गया था ।
  2. इस संग्रहालय में विंध्य क्षेत्र के शहडोल उमरिया तथा अनूपपुर जिले से प्राप्त कलाकृतियों को संग्रहित कर प्रदर्शित किया गया है ।
  3. इसमें हिंदू एवं जैन धर्म की प्रतिमाओं के अतिरिक्त अनेक पुरातात्विक वस्तुएं संग्रहित हैं ।

दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में हमने मध्य प्रदेश के प्रमुख संग्रहालय (List of Famous Museum in Madhya Pradesh in Hindi) कि जो विस्तृत सूची आपके साथ शेयर की है आशा है आप इसका ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे और परीक्षा में इससे संबंधित प्रश्नों को हल करके अपनी सफलता सुनिश्चित करेंगे

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MP Police Constable 2021: Madhya Pradesh ke Pramukh Abhilekh

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MP GK 2021: नमस्कार! प्यारे मित्रों इस आर्टिकल में आज हम मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान के ही एक महत्वपूर्ण टॉपिक मध्य प्रदेश के प्रमुख अभिलेखों (Madhya Pradesh ke Pramukh Abhilekh,MP GK) से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न लेकर आए हैं जोकि आपकी सभी स्टेट लेवल की प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं जैसा कि आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2021 के आयोजन की तिथि घोषित कर दी गई हैयदि आप भी इस परीक्षा में सम्मिलित होने जा रहे हैं तो यहां दिए गए मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान के सवाल आपको एक बार जरूर पढ़ लेना चाहिए.

मध्य प्रदेश के प्रमुख अभिलेख– MP GK

1.मंदसौर अभिलेख –यह भूभाग प्राचीन पश्चिमी मालवा का हिस्सा था जिसका नाम दशपुर भी मिलता है इसमें विक्रम संवत 529 (473ई.) की तिथि दी गई है यह लेख प्रशस्ति के रूप में है जिसकी रचना संस्कृत विद्वान वत्स भट्टी ने की थी इस लेख में इस राज्य के राज्यपाल बंधु वर्मा का उल्लेख मिलता है जो महा शासन करता था इस लेख में सूर्य मंदिर के निर्माण का भी उल्लेख किया गया है।

2.सांची अभिलेख यहां से प्राप्त लेख गुप्त संबंध 131 – 450 ई.कहां है इसमें हरि स्वामी ने द्वारा यहां के आर्य संघ को धन दान में दिए जाने का जिक्र है।

3.उदयगिरि गुहालेख-गुप्त संवत 106 या 425 ईसवी का एक जीन अभिलेख मिला है इसमें शंकर नामक व्यक्ति द्वारा इस स्थान में पार्श्वनाथ की मूर्ति स्थापित किए जाने का विवरण है।

4.तुमैन अभिलेख-यह अभिलेख गुना जिले में है यहां से गुप्त वंश 116 या 435 ईसवी का लेख मिलता है जिसमें राजा को शरद कालीन सूर्य की भांति बताया गया है कुमारगुप्त का शासन काल के समय पुष्प मित्र जाति के लोगों का शासन नर्मदा नदी के मुहाने के समीप मेकल में थाइस राज्य के एरण प्रदेश पर भी कुमारगुप्त प्रथम का शासन स्थापित था क्योंकि अभिलेखों से प्राप्त प्रांतीय पदाधिकारियों की सूची में इसे रन प्रदेश के साथ घटोत्कच पुत्र का नाम भी ज्ञात होता है कुमारगुप्त प्रथम की मृत्यु के बाद गुप्त साम्राज्य की बागडोर उसके पुत्र स्कंद गुप्त के हाथों में आ गई।

5.सुपिया अभिलेख –रीवा जिले में स्थित सूफियाना पाकिस्तान का यह लेख मिला है जिसमें गुप्त संवत 141- 460 ईसवी तक की तिथि लिखी है इसमें गुप्तों की वंशावली घटोत्कच के समय से मिलती है तथा गुप्त वंश को घटोत्कच कहा गया है।

6.एरण अभिलेख – तोरमाण का बड़ा प्रतिमा एरण अभिलेख बा मिहिरकुल का ग्वालियर अभिलेख घोड़ों की उपस्थिति दर्शाता है।

Madhya Pradesh ke Pramukh Abhilekh Important MCQ

Q.1 तैमून अभिलेख में किस शासक को शरद कालीन सूर्य की भांति बताया गया है ?

(a)समुद्रगुप्त

(b)चंद्रगुप्त द्वितीय

(c) कुमारगुप्त

(d) अशोक

Ans-(c)

Q.2 किस अभिलेख में गुप्त संवत की तिथि और गुप्तों की वंशावली घटोत्कच के समय से मिलती है ?

(a) सुपिया

(b)मंदसौर

(c) तुमैन

(d) उचहरा

Ans-(a)

Q.3 किस अभिलेख में रेशम बुनकरों की एक श्रेणी का वर्णन मिलता है ?

(a) मंदसौर

(b) उदयगिरि

(c) सांची

(d) तुमैन

Ans-(a)

Q.4 मध्यप्रदेश में हूणों की उपस्थिति की जानकारी किस अभिलेख से मिली है ?

(a) एरण अभिलेख

(b) ग्वालियर अभिलेख

(c) तुमैन अभिलेख

(d) a और b दोनो

Ans-(d)

Q.5 मध्य प्रदेश में स्थित किस अभिलेख में अशोक का नाम अशोक मिलता है ?

(a)रूपनाथ

(b) गुर्जरा

(c)मंदसौर

(d) सारो- मारो

Ans-(b)

Q.6 संघभेदरोकने की आज्ञा वाला अशोक अभिलेख कहां मिला है ?

(a) उज्जैन

(b) विदिशा

(c) सांची

(d) रुपनाथ

Ans-(c)

Q.7 किस अभिलेख में भानु गुप्त के सेनापति गोपी राज की मृत्यु के बाद उसकी विधवा की सती होने का उल्लेख मिलता है ?

(a) रूपनाथ

(b) एरण

(c) मंदसौर

(d) तुमैन

Ans-(b)

Q.8 बटियागढ़ अभिलेख में दिल्ली का नाम क्या मिलता है ?

(a) काटनादबोट

(b) अच्युतगामिनी

(c) ओजिनी

(d) जोगिनीपुर

Ans-(d)

Q.9 राधौली तामपत्र से किस वंश की जानकारी मिलती है ?

(a) शैलवंश

(b)राष्ट्रकूट वंश

(c) उच्चकल्प राज्य

(d) औलिकर वंश

Ans-(a)

Q.10 रामनगर अभिलेख का संबंध किस वंश से है ?

(a) गोंड वंश

(b) बघेल वंश

(c) कलचुरी वंश

(d) शैलवंश

Ans-(a)

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Folk Dance of Madhya Pradesh in Hindi

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Folk Dance of mp

Madhya Pradesh folk dance in Hindi || MP GK

नमस्कार! दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान (Folk Dance of Madhya Pradesh in Hindi) का ही एक महत्वपूर्ण टॉपिक मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान में सिर्फ टॉपिक से प्रश्न मुख्य रूप से पूछे जाते हैं मध्यप्रदेश में कला और संस्कृति का एक अनूठा संग्रह है, यहां विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य ,लोक कलाएं प्रचलित हैं मध्य प्रदेश में न केवल कई धर्मों हैं, बल्कि देश के कुछ सबसे प्रसिद्ध आदिवासी समुदायों का घर भी है। राज्य में जनजातीय संस्कृति पारंपरिक नृत्य ,लोक नृत्य की एक श्रृंखला है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य|| Madhya Pradesh ke Pramukh Lok Nritya

बिरहा

  • बघेलखंड में बिरहा गायन के साथ नृत्य भी किया जाता है।
  • बिरहा नृत्य बघेलखंड में सभी जातियों में प्रचलित है।
  • यह नृत्य विशेष कर शादी विवाह दीपावली में बिरहा नृत्य होता है।
  • जब बिरहा नृत्य अहीर लोग करते हैं तब वह अहीराई कहलाता है।
  • बिरहा नृत्य में पुरुष नाचते हैं और कभी-कभी स्त्रियां भी उसमें शामिल होती हैं।
  • जब स्त्री पुरुष नाचते हैं तब सवाल जवाब होते हैं।
  • यह नृत्य तीव्र गति से चलता है गीत में सवाल जवाब होते हैं यह क्रम पुरुष और महिलाओं के बीच चलता रहता है।
  • तेली,गडरिया,बारी जातियों में बिरहा नृत्य विशेष लोकप्रिय है।

राई लोक नृत्य

  • यह बुंदेलखंड का एक लोकप्रिय नृत्य है।
  • शादी विवाह उत्सव के अवसर पर राई नृत्य का आयोजन स्वभाव और प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
  • राई के केंद्र में बेड़नी होती है जिसे गति देने का कार्य मृदंग वादक करता है।
  • यह नृत्य हंसी मजाक सटीक प्रस्तुति गुदगुदाने का कार्य करती है।

लेहंगी नृत्य

  • लेहंगी नृत्य मध्य प्रदेश के ‘बंजारा’ और ‘कंजर’ जनजाति का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है
  • यह मानसून की अवधि के दौरान किया जाता है।
  • ‘बंजारा’ जनजाति ‘राखी’ के त्योहार के दौरान भी इस नृत्य को करती है।
  • युवा पुरुषों ने अपने हाथों में लाठी पकड़ लेते हैं और नृत्य करते समय एक-दूसरे को हारने की कोशिश करते हैं।

सैरा नृत्य

  • यह नृत्य बुंदेलखंड में श्रावण और भादो में किया जाता है।
  • सैरा नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य है इस नृत्य में 14 से 20 व्यक्ति से भाग लेते हैं।
  • उनके हाथों में लगभग सवा हाथ का एक डंडा होता रहता है नर्तक वृत्ताकार में खड़े होकर कृष्ण लीलाओं से संबंधित गीत गाते हुए नृत्य करते हैं पहले आधे नर्तक फिर दूसरे आधे नर्तक गीत को दोहराते हैं।
  • इस नृत्य में ढोलक, टिमकी, मंजीरा, मृदंग और बांसुरी वाद्य प्रमुख होते हैं।

बधाई नृत्य

  • बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में शादी विवाह के अवसर पर बधाई नृत्य करने की परंपरा है।
  • इस नृत्य में स्त्री पुरुष की संयुक्त भूमिका होती है कहीं-कहीं घोड़ी सजा सवार कर नाचने की प्रथा है पहले नर्तक वृत्ताकार में खड़े होकर नृत्य करते हैं।
  • इस नृत्य में दो नर्तक और नर्तकी एक साथ नाचते हैं।
  • बधाई एक ताल है जिसे ढोलक और डसले पर बजाया जाता है।

Folk Dance of Madhya Pradesh in Hindi

ढिमरयाई नृत्य

  • यह लोक नृत्य बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचल में अधिक प्रचलित है।
  • ढीमर जाति के लोग इस नृत्य को करते हैं इसलिए इसे ढिमरयाई नृत्य कहते हैं।
  • शादी विवाह एवं नवदुर्गा आदि अवसरों पर यह नृत्य किया जाता है।
  • नृत्य करते समय प्रमुख नर्तक श्रृंगार और भक्ति से गीत गाता है।

मटकी नाच

  • मालवा में मटकी नाच का अपना पारंपरिक रंग है विभिन्न अवसरों विशेषकर सगाई विवाह पर मालवा के गांव की महिलाएं मटकी नाच करती हैं।
  • एक ढोल या ढोलक जी एक खास ले जो मटकी के नाम से जानी जाती है उस की थाप पर महिलाएं नृत्य करती हैं।
  • मटकी ताल के कारण इस नृत्य का नाम मटकी नृत्य पड़ा।
  • कभी-कभी दो महिलाएं नृत्य करने लगती हैं इसे जिला कहते हैं आजकल मटकी नृत्य में कई महिलाएं सम्मिलित होती हैं महिलाएं अपनी परंपरागत वेशभूषा में पूरा चेहरे पर घूंघट डाले नृत्य करती हैं।
  • रात में हाथ और पैरों का संचालन दर्शनीय होता है नृत्य के केंद्र में ढोल होता है।
  • ढोल पर मटकी ताल इस नृत्य की मुख्य ताल है ढोल की मटकी और डंडे से बजाया जाता है।

आड़ा – खड़ा राजबाड़ी नाच

  • इस राजबाड़ी नृत्य की परंपरा किसी भी अवसर विशेष पर समूचे मालवा में देखी जा सकती है परंतु विवाह में तो मंडल के नीचे वाला आडा खडा राजबाड़ी नृत्य आवश्यक किया जाता है।
  • ढोल डंडे और किमडी से बजाया जाता है।
  • यह नृत्य रजवाड़ी महिलाओं द्वारा कहरवा ताल पर खड़े-खड़े किया जाता है और राजबाड़ी साड़ी के पल्लू को पकड़कर किया जाता है।

दादर नृत्य

  • यह बघेलखंड का प्रसिद्ध नृत्य है।
  • दादर नृत्य अधिकांशतः पुरुषों के द्वारा खुशी के अवसरों पर किए जाते हैं कभी-कभी पुरुष नारी वेश में नाचते हैं।
  • इस नृत्य के लिए कॉल कोटवार कहार विशेष रुप से प्रसिद्ध है यह जातियां दादर लेकर निकलती है।
  • महिलाएं घूंघट में नाचती हैं पैरों में घुंघरू बांध देती हैं हाथ पैरों और कमर में मुद्राओं से दादी नृत्य परंपरा का निर्वाह करती हैं जातीय गीतों के साथ दादर नृत्य में अपनी निजी विशेषता होती है इन जातियों विशेषताओं के कारण ही कीह दादर बरी हाई दादर आदि नामों से दादर की प्रतिष्ठा पूरे बघेलखंड में है।

नौरता नृत्य

  • यह एक लोकप्रिय लोक नृत्य है जो बुंदेलखंड क्षेत्र की अविवाहित लड़कियों द्वारा किया जाता है क्योंकि वे एक अच्छे पति और सईयूगमक में आनंद के लिए भगवान से मदद मांगती हैं।
  • यह नृत्य नवरात्रि के उत्सव के साथ मेल खाता है देवी दुर्गा को श्रद्धांजलि देता है।
  • समारोह में महिलाओं को अपने घर को सजाने के लिए जटिल रंगोली के डिजाइन के साथ चुने और कई अन्य रंगों से बनाया जाता है।

तृतीली नृत्य

  • तृतीली नृत्य मध्य प्रदेश में ‘कमर’ जनजाति का एक लोक नृत्य है।
  • जनजाति की दो या तीन महिलाएं जमीन पर बैठकर नृत्य प्रदर्शन शुरू करती हैं।
  • छोटे धातु के झांझ जिन्हें ‘मन्जिरस’ कहा जाता है, उनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों से बंधे होते हैं।

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Madhya Pradesh ke Pramukh Rajvansh in Hindi || MP GK

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Pramukh Rajvansh of mp

MP GK: Madhya Pradesh ke Pramukh Rajvansh

नमस्कार! दोस्तों आज के मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान में हम आपके साथ (Madhya Pradesh ke Pramukh Rajvansh in Hindi) मध्य प्रदेश के इतिहास के प्रमुख राजवंशों की संपूर्ण सूची शेयर करने जा रहे हैं इसके साथ ही राजवंशों से संबंधित प्रश्न उत्तर को भी हमने शामिल किया है जो कि परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं तो आइए जानते हैं मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंशों के बारे में-

मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंश

परमार वंश

  • 850 ईसवी में मध्यप्रदेश के मालवा में परमार वंश का उदय हुआ।
  • परमार वंश की स्थापना उपेंद्र ने की थी।
  • इस वंश के शासकों ने ताप्ती नदी को अपनी दक्षिणी सीमा सन निर्धारित किया।
  • परमार वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक राजा भोज थे।
  • राजा भोज ने धार को अपनी राजधानी बनाया।
  • रायसेन में भोजपुर मंदिर भोपाल में भोज ताल और धार में सरस्वती मंदिर का निर्माण कराया राजा भोज संस्कृत के ज्ञाता थे।
  • राजा भोज ने कविराज की उपाधि धारण की और सरस्वतीकंठआभरण, समरांगणसूत्र, सिद्धांत, संग्रहयुक्ति, शब्दानुशासन, चारुचर्चा जैसे ग्रंथों की रचना की।

हैहय वंश

  • यदु कबीले के शासक हैहय ने इस वंश की स्थापना की।
  • इस वंश के राजा महिष्मत ने नर्मदा के किनारे महिष्मति (महेश्वर) नगर की स्थापना की।
  • किस वंश के शासक कीर्ति वीर्य अर्जुन ने अयोध्या और लंकेश शासकों को हराया।
  • गुर्जरों के प्प्रभाव के चलते इस वंश का पतन हो गया।

गुप्त वंश

  • मध्य प्रदेश में गुप्त काल के दौरान आर्थिक और राजनीतिक रूप से समृद्धि देखने को मिलती है।
  • समुद्रगुप्त ने अपनी दक्षिण बिजाई के दौरान उज्जैन को अपना मुख्य केंद्र बनाया।
  • गुप्त शासकों के दौरान उज्जैन संस्कृति और कला के केंद्र के रूप में उभरा।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय ने उज्जैन के कवि कालिदास को अपने नवरत्नों में शामिल किया।
  • गुप्त शासक भानु गुप्त के शासनकाल में सागर में एरण अभिलेख से सर्वप्रथम सती प्रथा का उल्लेख मिलता है।
  • समुद्रगुप्त के बड़े बेटे राम गुप्त ने विदिशा को अपनी राजधानी बनाया राम गुप्त का उल्लेख विशाखदत्त की पुस्तक देवी चंद्रगुप्त में मिलता है।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय ने विदिशा के उदयागिरी में गुफाओं का निर्माण कराया और उदयगिरी अभिलेख की रचना करवाई।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय ने सांची में बौद्ध विहार के निर्माण के लिए दान प्रदान किया।
  • गुप्त शासक कुमारगुप्त के शासनकाल में मंदसौर अभिलेख की रचना करवाई गई इस अभिलेख में सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख के मिलता है।

शुंग वंश

  • मौर्य वंश के पश्चात पुष्यमित्र सुंग ने शुंग वंश की स्थापना की।
  • शुंग वंश की राजधानी विदिशा थी।
  • शुंग वंश के शासक अग्निमित्र का उल्लेख कालिदास की पुस्तक मालविका अग्निमित्र में मिलता है।
  • सॉन्ग शासकों ने सांची के स्तूप के चारों ओर रेलिंग या वेदिका का निर्माण कराया।
  • शुंग वंश के शासनकाल में ही यूनानी शासक एंटीऑलकिड्स ने अपने राजदूत हेरोडोटस को भारत भेजा।
  • हेलिओडोरस ने वैष्णव संप्रदाय को अपनाते हुए विदिशा में गरुड़ स्तंभ या हेलिओडोरस स्तंभ की स्थापना की।
  • पुष्यमित्र शुंग को बौद्ध धर्म का विनाशक भी कहा जाता है।
  • शुंग शासकों ने ग्रीक शासकों को कालीसिंध नदी के तट पर हराया।

वाकाटक वंश

  • इस वंश की स्थापना विंध्य शक्ति प्रथम ने की।
  • इस वंश की राजधानी विदिशा थी बिंदशक्ति के पुत्र प्रवरसेन ने अपने साम्राज्य का विस्तार नर्मदा के उत्तरी क्षेत्र तक किया।
  • समुद्रगुप्त ने अपने दक्षिणी अभियान के दौरान वाकाटक वंश पर अधिकार कर लिया।
  • समुद्रगुप्त द्वितीय ने वाकाटक वंश की राजकुमारी प्रभावती से विवाह किया।

कलचुरी वंश

  • 550 ईसवी में कृष्ण राज ने कलचुरी वंश की स्थापना की।
  • कलचुरी वंश की 4 शाखाएं थी।
  1. माहिष्मती के कलचुरी।
  2. त्रिपुरी के कलचुरी।
  3. रतनपुर के कलचुरी।
  4. रायपुर के कलचुरी।

चंदेल वंश

  • इस वंश की स्थापना नन्नूक ने की चंदेल शासकों ने खजुराहो महोबा के क्षेत्र पर अपना राज्य स्थापित किया।
  • चंदेलो का शासन वर्तमान बुंदेलखंड तक स्थापित था।
  • इस साम्राज्य को जेजकमुक्ती भी कहा जाता है।
  • चंदेल शासक यशोवर्मन में खजुराहो में विष्णु मंदिर का निर्माण कराया यह सुवर्णन के पुत्र धंगदेव ने स्वतंत्र चंदेल राज्य की स्थापना की।
  • धंगदेब ने खजुराहो में पार्श्वनाथ मंदिर और विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया।
  • महमूद गजनबी के विरुद्ध बनाए गए संघ में धगदेव ने भी भाग लिया।
  • चंदेल शासक विद्याधर ने महमूद गजनबी से साम्राज्य की रक्षा की और कंदारिया महादेव मंदिर का निर्माण कराया।
  • परमार देव ने गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता स्वीकार कर ली जिस कारण चंदेल वंश दिल्ली सल्तनत के अधीन हो गया।
  • चंदेल शासक परमार देव के दरबार में आल्हा और उदल जैसे योद्धा थे जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान से युद्ध कर अपने शासक की जान बचाई।

बुंदेल वंश

  • इस वंश की स्थापना 1531 में रूद्र प्रताप बुंदेला ने की।
  • बुंदेल वंश की राजधानी ओरछा थी।
  • इस वंश के शासक वीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के कहने पर अब्दुल फजल की हत्या कर दी।

बघेल वंश

  • इस वंश का शासन वर्तमान रीवा क्षेत्र तक था।
  • रामचंद्र देव बघेल वंश के प्रभावी शासक थे।
  • मशहूर संगीतज्ञ तानसेन ने अपना दरबारी जीवन रामचंद्र के दरबार से प्रारंभ किया।
  • मुगल शासक अकबर ने रामचंद्र को पराजित करके रीवा को मुगल साम्राज्य में मिलाया और तानसेन को अपने नवरत्नों में शामिल किया।
  • स्वतंत्रता के पश्चात बघेल वंश विंध्य प्रदेश के रूप में भारतीय संघ में शामिल हुआ।
  • बघेल वंश के अंतिम शासक मार्तंड सिंह थे जो रीवा से सांसद चुने गए।

होलकर वंश

  • 1730 में मल्हार राव होलकर ने होलकर वंश की स्थापना की।
  • 1731 में मालवा को तीन सरदारों ने बांट दिया गया।
  1. होलकर
  2. पवार
  3. सिंधिया
  • 1732 में मालवा में 5 मराठा राज्यों की नीव पड़ी।
  1. होलकर वंश इंदौर
  2. जीवाजीराव वंश देवास
  3. आनंद राव वंश पवार
  4. सिंधिया वंश ग्वालियर
  5. तुकोजीराव पंवार वंश देवास
  • 1767 में अहिल्याबाई ने होलकर वंश की बागडोर संभाली और तुकोजीराव को अपना सेनापति नियुक्त किया।
  • तुकोजीराव तृतीय होलकर वंश के अंतिम शासक थे।
  • होलकर राज्य का विलय तुकोजीराव तृतीय ने भारतीय संघ में किया।

सिंधिया वंश

  • इस वंश की स्थापना राणा जी सिंधिया ने की जिन्हें पेशवा ने मालवा का एक भाग 1731 में प्रदान किया।
  • 1765 में महादजी सिंधिया ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया।
  • 1794 में दौलतराव सिंधिया ने ग्वालियर को अपनी राजधानी बनाया।
  • 1857 की क्रांति में ग्वालियर में सिंधिया वंश के शासक जयाजीराव सिंधिया थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार की मदद की।
  • 1948 में जीवाजी राव सिंधिया ने ग्वालियर राज्य को भारतीय संघ में सम्मिलित कराया।

 

मध्य प्रदेश के राजवंश से संबंधित प्रश्न

Q.1 चंदेल राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-बुंदेलखंड

Q.2 तोमर राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-ग्वालियर

Q.3 परमार राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-मालवा

Q.4 बुंदेला राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-बुंदेलखंड

Q.5 होलकर राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-मालवा

Q.6 सिंधिया राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-ग्वालियर

Q.7 चंद्र राजवंश का संबंध किस क्षेत्र से है?

Ans-बघेलखंड से बुंदेलखंड तक

Q.8 यशोधर्मन कहां का शासक था?

Ans-दशपुर

(Madhya Pradesh ke Pramukh Rajvansh in Hindi)

Q.9 उदयगिरि की गुफाएं एवं शिकवा के मंदिरों का निर्माण किसने कराया था?

Ans-गुप्त वंश

Q.10 किस राजा ने देवनाम्प्रिया की उपाधि धारण की थी?

Ans-अशोक

Q.11 किस वंश ने ओरछा को बुंदेलखंड की राजधानी बनाया था?

Ans-बुंदेल

Q.12 मालवा में गौरी वंश की स्थापना किसने की?

Ans-अलाउद्दीन खिलजी

Q.13 त्रिपुरी किस वंश की राजधानी थी?

Ans-कलचुरी

Q.14 गोंड वंश की स्थापना किसने की थी?

Ans-जादू राय

Q.15 गरुड़ किस वंश का राजकीय चिन्ह क्या था?

Ans-गुप्त वंश

Q.16 खजुराहो मंदिरों में स्थित पाश्र्वनाथ जैन मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के किस शासक ने करवाया था ?

Ans-धग देव

Q.17 इंदौर के होल्कर वंश का संस्थापक कौन था?

Ans-मल्हार राव होलकर

Q.18 उदयगिरि की गुफाओं में टिकवा के मंदिरों का निर्माण किस वंश के शासकों ने करवाया था?

Ans-गुप्त

Q.19 ग्वालियर का किला तोमर वंश के अधिकार में कब था?

Ans-1398 से 15१8 में

Q.20 फुल महानदी जी सिंधिया ने अपनी राजधानी उज्जैन से ग्वालियर स्थानांतरित कब की?

Ans-1810 ईस्वी

Q.21 देवी अहिल्या बाई ने किस क्षेत्र पर शासन किया था?

Ans-इंदौर

Q.22 मालवा का प्रथम शासक जिसने कंपनी का अंत करने का बीड़ा उठाया था?

Ans-यशवंतराव होलकर

Q.23 मध्यप्रदेश में परिवार वंश की स्वतंत्र सत्ता की स्थापना किसने की?

Ans-कृष्णराज उपेंद्र

Q.24 तोमर वंश का संस्थापक कौन था?

Ans-वीर सिंह देव

Q.25 शत्रुघ्न के पुत्र शत्रु दाती ने मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र में शासन किया?

Ans-शिवनी

Q.26 हैहय वंश से संबंधित राजा कौन है?

Ans-कृष्ण राज, शंकरगढ़, बुद्ध राज

(Madhya Pradesh ke Pramukh Rajvansh in Hindi)

Q.27 10 वीं सदी में कत्थक घाट वंश का शासन मध्य प्रदेश में कहां स्थित था?

Ans-ग्वालियर कुंड नरवर

Q.28 परमार वंश का अंतिम शासक कौन था?

Ans-महलक देव

Q.29 परमार वंश के किस प्रतापी शासक ने चालुक्य वंश के तेलप राजा का वध किया था?

Ans-भोज

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