Sanskrit
Gay ka Nibandh Sanskrit Mein || For Class 8th
Cow Essay in Sanskrit||संस्कृत में गाय का निबंध
हेलो! अभ्यार्थियों इस आर्टिकल में हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं (Gay ka Nibandh Sanskrit Mein) गाय का निबंध संस्कृत भाषा में जो की परीक्षा में मुख्य रूप से पूछा ही जाता है यह निबंध कक्षा 6वीं से लेकर कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी है और यह आसान होने की वजह से आप इसे आसानी से याद भी कर सकते हैं और परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं
गाय का निबंध संस्कृत में (Gay ka Nibandh Sanskrit Mein)
1. अस्माकं देशस्य सर्वश्रेष्ठः पशुः गौः अस्ति ।
2.अस्माकं देशे गौ: मातृवत् पूज्या अस्ति ।
3.गौ: अस्मभ्यं मधुरं दुग्धं ददाति । गौदुग्धेभ्यः दधिः, घृतम् च जायते ।
4.गोघृतं अतीव पवित्रं मन्यते ।
5.गौ: अस्माकं बहुउपकारं करोति ।
6.गोवत्साः एव वृषभाः भवन्ति ।
7.वृषभाः हलेन क्षेत्राणि कर्षन्ति ।
8.गोमयेन उपलानि निर्मीयन्ते ।
9.गोमयेन उर्वराशक्तिः वर्धते ।
10.उपलानां प्रयोग इंधने अपि भवति ।
11.गौ: घासं – तृणं च खादति ।
12.गौ: अस्मभ्यं अतीव उपयोगी अस्ति ।
13.अतः वयं गाम् गोमाता अपि कथयामः
14.धेनो: महिम्नः वर्णनं वेदेषु अपि कृतम् अस्ति ।
15.भारतदेशे जनैः धनुः पूज्यते ।
Long Essay on Cow in Sanskrit
गौ: एकः चतुष्पात पशु: अस्ति। अस्या: एकं पुच्छम् भवति। द्वे श्रंगे भवतः। चत्वारः पादाः भवन्ति। अस्या: गले एकं गल्कम्ब्लम् भवति। इदं गल्कम्ब्लम् अन्यापशुनाम न भवति। गौ: तृणचारी पशु: अस्ति। इयं वनेषु भ्रमति घासम तृणं च चरति। अस्याः स्वभाव अतीव सरलः भवति। गौ: महान उपकारी पशु: अस्ति। इयं दुग्धं ददाति। दुग्धेन दधि भवति। अस्या: दधि दुग्धं घृतं च अतीव पवित्रं हितकारकं च भवति। गौ: गोमयं ददाति। गोमयेन गृहे लिप्यते। पूजाकार्ये अपि गोमयस्य उपयोगो भवति। गौमूत्रेण च अनेके रोगाः नृश्यन्ति। गौ पशु नास्ति। सा माता अस्ति, पिता अस्ति, देवता अस्ति।
धेनुः ग्राम्यः पशुः । धेनुः मधुरं दुग्धं ददाति । सा धायं तृणं घासं च भक्षयति । धेनोः दुग्धं दधि भवति । दधि मथित्वा तक्रं साधयन्ति । दध्नः नवनीतं जायते । नवनीतात घृतं भवति । धेनोः क्षीरं दहि तक्रम् घृतं च पथ्यानि भवन्ति ।भारतदेशे जनैः धनुः पूज्यते । धेनोः द्वे शृङ्गे वर्तते । तस्याः एकं दीर्घ पुच्छं अस्ति । तस्याः चत्वारः पादाः सन्ति । धेनवः शुक्लाः श्यामाः रक्ताश्च भवन्ति । । शिशवः रुग्णाश्च धेनुदुग्धं पिबन्ति । धेनोः परिपालनं क्षमाय भवति ।
हिन्दूसमाजे धेनुं “ गौ माता ” इति मत: । धेनो: महिम्नः वर्णनं वेदेषु अपि कृतम् अस्ति । धेनुः एका निष्पाप पशू अस्ति या अस्मभ्यं दुग्धं ददाति । धेनो: दुग्धं पौष्टिकं गुणैः परिपूर्णम् भवति । गौमूत्रेण चर्मरोगस्य नाश: भवति । गौविशिन: उर्वरकस्य निर्माणं भवति तथाञ्च उपलेपनं ईंधनं कार्ये प्रयुज्यते ।
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Aacharya Chanakya 10 Line in Sanskrit language|आचार्य चाणक्य के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में यहां पढ़िए!
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ आचार्य चाणक्य के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में शेयर करने जा रहे हैं इ इसके साथ ही उनके जीवन की संक्षिप्त जानकारी (Aacharya Chanakya 10 line in Sanskrit language) आपके लिए लेकर आए हैं, जहां से परीक्षा में अक्सर सवाल पूछे जाते हैं।
चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के समय उनके मंत्रीमंडल में महामंत्री थे. चाणक्य का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था इनकी शिक्षा महान शिक्षा केंद्र” तक्षशिला” में हुई। 14 सालो तक चाणक्य ने अध्ययन किया और 26 वर्ष की आयु में इन्होंने अर्थशात्र, समाजशात्र, और राजनीति विषयो में गहरी शिक्षा प्राप्त की।
एक बार की बात है जब मगध वंश के दरबार में इनका अपमान किया गया तब से इन्होंने नन्द वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य के राजगद्दी में बिठाने के बाद इन्होंने अपनी प्रतिज्ञ पूरी की ओर नन्द वंश का नाश कर दिया। उन्होंने वहां मौर्य वंश स्थापित कर दिया। उस समय नन्द वंशो ने गरीबो की दशा खराब कर रखी थी तब प्रजा की रक्षा की और अपना कर्तव्य का पालन किया. उन्होंने नन्द वंशो को भारत से बाहर किया और एक राजा चन्द्रगुप्त मौर्य को एक अखंड राष्ट्र बनाने में मदद की। मौर्य वंश को बनाने में चाणक्य को श्रेय जाता हैं। चाणक्य कूटनीति को अहम मानते थे। इसलिये इन्हे कुटनीति का जनक भी माना जाता है। इस लिये राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने इन्हे महामंत्री का दर्जा दिया।
चाणक्य का जन्म और नाम
चाणक्य के विषय में इतिहास में ज्यादा प्रमाण नहीं मिलाता है.कुछ विद्वान इनके नाम के पीछे भी अपनी राय रखते है क्योंकि इनका नाम कौटिल्य भी था। कुछ लोग मानते है कुटल गोत्र होने के कारण इनका नाम कौटिल्य पड़ा। भारत में आज भी चाणक्य को चाणक्य और कौटिल्य आदि नामो से ही जाना जाता है। इस सम्बन्ध में महान विद्वान राधाकांत जी ने अपनी रचना में कहा हैं अस्तु कौटिल्य इति वा कौटिल्य इति या चनाक्यस्य गोत्र्नाम्ध्यम”। कुछ लोग ने सीधी राय रखी है चणक का पुत्र होने के कारण इन्हे चाणक्य कहा जाता हैं. कुछ विद्वान मानते है कि इनके पिता ने इनका नाम बचपन में विष्णु गुप्त रखा था जो बाद में चाणक्य और कौटिल्य कहलाये।
नाम (Name) | चाणक्य |
जन्म (Birthday) | 350 ईसा पूर्व (अनुमानित स्पष्ट नहीं है) |
मृत्यु की तिथि (Death) | 275 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र, (आधुनिक पटना में) भारत |
पिता (Father Name) | ऋषि कानाक या चैनिन (जैन ग्रंथों के अनुसार) |
माता (Mother Name) | चनेश्वरी (जैन ग्रंथों के अनुसार) |
शैक्षिक योग्यता (Education) | समाजशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, आदि का अध्ययन। |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
10 line on Acharya Chanakya in Sanskrit language
1) चाणक्यः मौर्यवंशप्रथमराज्ञः चंद्रगुप्तस्य मन्त्रीसहायक: च आसीत् ।
2) सः कौटिल्यः वा विष्णुगुप्तः इति नामभ्याम् अपि प्रसिद्धः आसीत्।
3) सः प्राचीनभारतस्यप्रसिद्धतमः कूटनीतिज्ञोऽभवत् ।
4) तस्य साहाय्येन एव चन्द्रगुप्तेन नन्दराज्यम् अवस्थापितम् मौर्यवंशं: स्थापित:च।
5) चाणक्य: अर्थशास्त्रम् इति पुस्तकस्य लेखको आसीत् ।
6) चाणक्यस्य पिता चणकः कचनब्राह्मणः आसीत्।
7) बाल्ये चाणक्यः सर्वान् वेदान् शास्त्राणि च अपठत्।
8) परं सः नीतिशास्त्रम् एव इच्छति स्म ।
9) सः यौवने तक्षशीलायाम् अवसत्।
10) स, कुटनितज्ञ, दार्शनिक च स्तः।
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Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit for Class 10th |रक्षाबंधन का निबंध संस्कृत में
दोस्तों इस आर्टिकल में आज हम (Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit) रक्षाबंधन का निबंध संस्कृत भाषा में आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं जो की परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं परीक्षा में त्यौहार से संबंधित टॉपिक पर निबंध लिखने का अवश्य ही पूछा जाता है हमारे इस आर्टिकल में हमने रक्षाबंधन के 10 वाक्य के साथ-साथ Long Eassy को भी शामिल किया है जिससे कि आपको इसी याद करने में आसानी होगी और आप परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं.
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है जो भाई बहन के प्यार और संबंध कोदर्शाता है यह पर्वश्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बनती है जिसका मतलब होता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा करेगा इसके साथ ही भाई अपनी बहन को उपहार देता है रक्षाबंधन एक परिवार में खुशियों और एकता की भावना को बढ़ावा देता है साथ ही भाई बहन के बीच विशेष संबंध को मजबूती प्रदान करता है.
इस दिन प्रात स्नान आदि करके बहने पूजा की थालियां सजाती हैं थाली में राखी के साथ रोली, हल्दी, चावल दीपक, मिठाई और फूल रखती हैं इसके बाद टिका करवाने के लिए भाई को उपयुक्त आसान देती है रोली या हल्दी से भाई का टिका करके चावल को टिके पर लगाया जाता है और सर पर फूलों को छिड़का जाता है उसकी आरती उतारी जाती है, और दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है भाई बहन को उपहार या धन देता है इस प्रकार रक्षाबंधन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है.
10 Sentence on Raksha Bandhan in Sanskrit
1.भारतदेश : उत्सवप्रिय : अस्ति , अत्र प्रत्येक मासे दिने व कोऽपि न कोऽपि उत्सव : भवति एव ।
2.येषु अति प्रसिद्धं उत्सव : अस्ति रक्षाबंधन : ।
3.अयम् भ्रातृ भगिन्योः बन्दनस्य पर्वः ।
4.रक्षाबंधन दिवसे भगिनी निज भ्रातु : राखी मणिबन्धनं करोति ।
5.तथांच भ्राता तस्या : रक्षणाय वचनं ददाति ।
6.रक्षाबन्दनस्य प्रतीक रूपमेव राखी ।
7.उत्सव : अयं भ्राता भगिनी च स्नेहस्य प्रतीक : अस्ति ।
8.रक्षाबंधनस्य अयं पवित्रं उत्सवं आर्थिक दृष्ट्या न पश्येयु : ।
9.अस्माकं आपणात् मूल्यवान् राखी न क्रीत्वा साधारणं सूत्रम् एव प्रयोगं कुर्यात्
10.सर्वे संतोषेण उत्साहेन आचरन्ति ।
Long Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit
रक्षाबन्धनं श्रावणमासस्य शुक्लपूर्णिमायाम् आचर्यते । भ्रातृभगिन्योः पवित्रसम्बन्धस्य सम्मानाय एतत् पर्व भारतीयाः आचरन्ति । निर्बलतन्तुना बद्धः भ्रातृभगिन्योः सबलसम्बन्धः भारतीयसंस्कृतेः गहनतायाः प्रतीकः । मानवसभ्यतायां विकसिताः सर्वाः संस्कृतयः प्रार्थनायाः माहात्म्यं भूरिशः उपस्थापयन्ति । आदिभारतीयसंस्कृतेः विचारानुगुणं भ्रातुः रक्षायै भगिन्या ईश्वराय कृता प्रार्थना एव रक्षाबन्धनम् । भगिनी ईश्वराय प्रार्थनां करोति यत् , “ हे ईश्वर ! मम भ्रातुः रक्षणं करोतु ” इति । एतां प्रार्थना कुर्वती भगिनी भ्रातुः हस्ते रक्षासूत्रबन्धनं करोति । भगिन्याः हृदि स्वं प्रति निःस्वार्थ प्रेम दृष्ट्वा भ्राता भगिन्यै वचनं ददाति यत् , “ अहं तव रक्षां करिष्ये ” इति । ततः उभौ परस्परं मधुरं भोजयतः । भगिन्या ईश्वराय स्वरक्षणस्य या प्रार्थना कृता , तस्याः प्रार्थनायाः कृते भगिनीं प्रति कृतज्ञता प्रकटयितुं भ्राता भगिन्यै उपहारम् अपि यच्छति । भ्रातृभगिन्योः सम्बन्धस्य एतत् आदानप्रदानम् अमूल्यं वर्तते ।
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List of all Animal Name in Sanskrit and Hindi|जानवरों के नाम संस्कृत भाषा में
दोस्तों हमारी पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवो में जानवर, पक्षी और जलीय जीव आते है। अब बात आती है कि जानवर कितने प्रकार के होते है। मुख्यतः जानवरो को जंगली और पालतू जानवरों में विभाजित किया जा सकता है।
जंगली जानवर वो होते है जो जंगलो में आबादी से दूर होते है। इन जानवरों में भी दो मुख्य प्रकार होते है। एक होते है मांसाहारी और दूसरे होते है शाकाहारी। मांसाहारी जानवरो में शेर, चीता, बाघ, भेड़िया जैसे प्राणी आते है। शाकाहारी जानवरो में हिरण, खरगोश, बंदर आदि आते है।
पृथ्वी पर हर तरह की परिस्थिति के अनुकूल जंतु पाये जाते है। करोडों सालों पहले धरती पर डायनासोर भी पाये जाते थे। यह एक भीमकाय सरीसृप प्रजाति का जीव था। इनके अलावा ड्रैगन भी धरती पर पाये जाते थे।
इस आर्टिकल में हम धरती पर पाए जाने वाले कुछ जानवरों के नाम आपके साथ संस्कृत और हिंदी भाषा (All Animal Name in Sanskrit and Hindi) में शेयर करने जा रहे हैं, जो अक्सर परीक्षा में पूछ लिए जाते हैं इस दृष्टि से इनका अभ्यास एक बार अवश्य करें
जलीय जीवों के नाम संस्कृत में (Water Animals Names In Sanskrit)
हिंदी में जलीय जीवों के नाम | संस्कृत में जलीय जीवों के नाम | Water Animals Names In English |
केंकड़ा | कर्कट | Crab |
मगरमच्छ | मकरी | Crocodile |
मेंडक | मण्डूक | Frog |
घोंघा | शम्बूकः | Snail |
साँप | सर्पः | Snake |
कछुआ | कच्छपी | Tortoise |
मछली | मत्स्य | Fish |
ऑक्टोपस | अष्टभुज | Octopus |
शार्क | नरादग्राह | Blue shark |
डॉल्फिन | शिशुमार | Dolphin |
पेंगुइन | पंखहीन | Penguin |
जंगली जानवरों के नाम संस्कृत में (Wild Animals Names In Sanskrit)
सिंहः | शेर | Lion |
शशकः | खरगोश | Rabbit |
लोमशः | लोमड़ी | Fox |
मृगः / हरिणः | हिरन | Deer |
वृकः | भेड़िया | Wolf / Coyote |
भल्लूकः | भालू | Bear |
गजः | हाथी | Elephant |
चित्रकः / तरक्षु / वाघः | चीता | Tiger |
गण्ड़कः | गैंड़ा | Rhinoceros |
कृकलासः | गिरगिट | Chameleon |
वनमनुष्यः | वनमानुष | Gorilla |
श्रृगालः | सियार / गीदड़ | Jackal |
नकुलः | नेवला | Mongoose |
तरक्षुः | तेंदुआ | Leopard |
गवयः | नील गाय | Blue Bull |
पालतू जानवरों के नाम संस्कृत में (Pet Animals Names In Sanskrit)
संस्कृत | हिंदी | English |
धेनुः / गौः | गाय | Cow |
महिषः | भैंस | Buffalo |
अजा | बकरी | Goat |
मेषः / एड़का | भेंड़ | Sheep |
वृषभः / बलीवर्दः | बैल | Ox |
अश्वः / हयः / घोटकः | घोड़ा | Horse |
गर्दभः / खरः | गधा | Donkey |
श्वानः / कुक्कुरः | कुत्ता | Dog |
सरमा | कुतिया | Bitch |
बिड़ाल | बिल्ली | Cat |
वानरः / कपि / मर्कटः | बन्दर | Monkey |
क्रमेलकः / उद्धिलाव | ऊँट | Camel |
मूषकः | चूहा | Rat / Mouse |
वराहः | सूअर | Pig |
चिक्रोड़ः | गिलहरी | Squirral |
वृषभः | साँड़ | Bull |
दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में शेयर की गई जानकारी (All Animal Name in Sanskrit and Hindi) आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा और ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहिएगा, धन्यवाद!
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