Connect with us

Sanskrit

Essay on Pustakalaya in Sanskrit for Class 10th

Published

on

Essay on Pustakalaya

Essay on Library in Sanskrit for class 10th

नमस्कार! विद्यार्थियों इस आर्टिकल में हम पुस्तकालय के महत्व (Essay on Pustakalaya in Sanskrit for Class 10th) के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में शेयर करने जा रहे हैं जो कि परीक्षा के लिए बहुत ही उपयोगी है परीक्षा में इस टॉपिक पर निबंध पूछे जाते हैं इस आर्टिकल के अध्ययन से आप परीक्षा में आने वाले पुस्तकालय के निबंध से संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल कर सकेंगे और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे

पुस्तकालय के निबंध के 10 वाक्य संस्कृत में

(1) यत्र सामान्‍यरूपेण सर्वेषां जनानां पठनाय पुस्‍तकानां संग्रह: विधीयते स: पुस्‍तकालय: कथ्‍यते ।

(2) यत्र विविधानि पठनार्थ संगृहितानि भवति तत स्‍थान पुस्‍तकालय: उच्‍यते ।

(3) एक: पुस्‍तकालयाध्‍यक्ष: निर्वाच्‍यते य: प्र‍ितिदिनं सुनिश्चिते समये आगत्‍य पुस्‍तकालस्‍य उद्घाटन करोति ।

(4) सम्‍प्रति गीतशील: पुस्‍तकालय: अपि अस्ति ।

(5) पुस्‍तकालायेषु प्रायेण बहुनां संग्रह: विधीयते ।

(6) निर्धन छात्राणा कृते विद्यालयीय: पुस्‍तकालय: अत्‍युपयोगी भवति ।

(7) पुस्‍तकालये बहुनि समाचारपत्राणि अपि आगच्‍छंति ।

(8) तस्‍य संचालनाय एका समिति: भवते ।

(9) शिक्षाप्रचारस्‍य साधनेषु पुस्‍तकालयाना महत्‍वपुर्ण स्‍थान वर्तते ।

(10) छात्राणम् अध्‍यापकानाम च ज्ञानवर्द्धनाय विद्यालयीय: पुस्‍तकालय: भवति ।

 

* पुस्तकालय का निबंध संस्कृत में *

यत्र विविधानि पुस्तकानि पठनार्थं संगृहीतानि भवन्ति तत् स्थानम् पुस्तकालयः उच्यते । तत्र हि त्रिविधः पुस्तकालयः व्यक्तिगतः, विद्यालयीयः, सार्वजनिकश्च । व्यक्तिगतः पुस्तकालयः अध्यापकानां अन्येषां बुद्धिजीविनाम् च भवति । विद्यालयीयः विद्यालयस्य अंगम् भवति । छात्राणाम् अध्यापकानाम् च ज्ञानवर्द्धनाय विद्यालयीयः पुस्तकालयः भवति । अत्र शैक्षणिकानि पुस्तकानि संगृहीतानि भवन्ति । निर्धन-छात्राणां कृते विद्यालयीयः पुस्तकालयः अत्युपयोगी भवति । सार्वजनिकेषु पुस्तकालयेषु बहुविधानि पुस्तकानि भवन्ति । पुस्तकालयसम्पर्कात् शनैः -शनैः विद्यारुचिः जागर्ति । सम्प्रति गीतशीलः पुस्तकालयः अपि अस्ति ।

दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में हमने जो (Essay on Pustakalaya in Sanskrit for Class 10th) पुस्तकालय के महत्व के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में शेयर किए हैं आशा है कि आप उनका ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे और परीक्षा में इस टॉपिक से संबंधित प्रश्न आने पर उसे आसानी से हल कर पाएंगे ऐसी नवीनतम जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहिएगा, धन्यवाद!

इन्हें भी पढ़ें :-

Can Read Many More Sanskrit Essay
Essay on Science in Sanskrit for Class 10 Click Here

Diwali Essay in Sanskrit for Class 10 Click Here

Essay on Sadachar in Sanskrit for Class 10 Click Here

Essay on Sanskrit Language in Sanskrit Click Here

Kalidas Nibandh in Sanskrit for Class 10 Click Here

Essay on Holi in Sanskrit for Class 10th Click Here

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sanskrit

संस्कृत में महीनों के नाम || All Month Name In Sanskrit

Published

on

All Month Name In Sanskrit

All Month Name In Sanskrit: हिंदी महीनों को विक्रमी संवत में गिना जाता है जिसका प्रारंभ 58 ईसा पूर्व में हुआ था।12 महीनों का 1 वर्ष और 7 दिन का 1 सप्ताह का प्रचलन विक्रम संवत से प्रारंभ हुआ था । हिंदी वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास से माना जाता है जोकि फाल्गुन मास में खत्म होता है । इस लेख में हम वर्ष के 12 महीनों के नाम संस्कृत भाषा में आप के साथ शेयर कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है।

Month Name In Sanskrit Language

अंग्रेजी में नामसंस्कृत में नाम
मार्च-अप्रैलचैत्र:
अप्रैल-मईवैशाख:
मई-जूनज्येष्ठ:
जून-जुलाईआषाढ़:
जुलाई-अगस्तश्रावण:
अगस्त-सितम्बरभाद्रपद:
सितम्बर-अक्टूबरआश्विन:
अक्टूबर-नवम्बरकार्तिक:
नवम्बर-दिसम्बरमार्गशीर्ष:
दिसम्बर-जनवरीपौष:
जनवरी-फरवरीमाघ:
फरवरी-मार्चफाल्गुन:

इन्हें भी पढ़ें :-

Can Read Many More Sanskrit Essay
Essay on Science in Sanskrit for Class 10 Click Here  
Diwali Essay in Sanskrit for Class 10 Click Here
Essay on Sadachar in Sanskrit for Class 10 Click Here
Essay on Sanskrit Language in Sanskrit Click Here
Kalidas Nibandh in Sanskrit for Class 10 Click Here
Essay on Holi in Sanskrit for Class 10th Click Here
Continue Reading

Sanskrit

संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र| Application For Sick Leave In Sanskrit

Published

on

Application For Sick Leave In Sanskrit

Application For Sick Leave In Sanskrit: भारतीय संस्कृति की विरासत का प्रतीक संस्कृत भाषा जिसे देव भाषा के रूप में भी जाना जाता है यह भारत व विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक है।दुनिया भर में सिर्फ संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो पूरी तरह से सटीक है। 

इस आर्टिकल में हम संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र आप के साथ शेयर कर रहे हैं जो कि स्कूल के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है।

संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र (Sick Leave Application In Sanskrit)

सेवायाम्

             श्रीमन्तः प्रधानाचार्य महोदयः, 

             राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयः,    

              इन्दौरनगरम्, मध्यप्रदेश:

विषय : अवकाशार्थं प्रार्थनापत्रम्

महोदयाः,

           ‘सविनयं निवेदनतम् अस्ति यद अहम अथ सहसा ज्वरपीडितः अस्मि। अतः विद्यालयम् आगन्तुम् असमर्थः अस्मि। कृपया मम पञ्चदिवसानां अवकाश स्वीकुर्वन्तु ।

दिनाङ्क   10/03/2022                                                                           भवदीयः शिष्य: रामः  

                                                                                                        कक्षा अ ब … .. वर्ग:  

Read More:-

संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध || Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit

Continue Reading

Sanskrit

संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध || Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit

Published

on

By

Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th

Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th :देश की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक माने जाने वाली संस्कृत भाषा का प्रयोग प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में किया जा रहा है । यहां पर हम कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत भाषा में निबंध शेयर कर रहे हैं जो कि संस्कृत भाषा के महत्व पर आधारित है।

संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध

[1] संस्कृतभाषा विश्वस्य सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा सर्वोत्तमसाहित्यसंयुक्ता अस्ति।

[2]  संस्कृता परिशुद्धा व्याकरणसम्बन्धिदोषादिरहिता संस्कृतभाषेति निगद्यते।

[3]  प्राचीने समये एषैव भाषा सर्वसाधारणा आसीत् ।

[4]  सर्वे जना: संस्कृतभाषाम् एव वदन्ति स्म । 

[5] एषा एव अस्माकं पूर्वजानाम् आर्याणां सुलभा, शोभना, गरिमामयी च वाणी।

[6]  संस्कृतभाषायामेव विश्वसाहित्यस्य सर्वप्राचीनग्रन्थाः चत्वारो वेदाः सन्ति येषां महत्त्वमद्यापि सर्वोपरि वर्तते।

[7] जीवनस्य सर्वसंस्कारेषु संस्कृतस्य प्रयोग: भवति । 

[8]  भारतीय गौरवस्य रक्षणाय एतस्याः

[9] प्रसारश्च सवैरेव कर्त्तव्यः। 

[10] अधुनाऽपि सङ्गणकस्य कृते संस्कृतभाषा अति उपयुक्ता अस्ति । 

[11] संस्कृतभाषैव भारतस्य प्राणभूताभाषा अस्ति ।

[12] भास-कालिदास-अश्वघोष-भवभूति-दण्डि-सुबन्धु-बाण-जयदेव प्रभृतयो महाकवयो नाटकाराश्च संस्कृतभाषायाः एव। 

[13] राष्ट्रस्य ऐक्यं च साधयति । 

Read More:-

Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit || for Class 10th

Eassy-on-Environment-in sasnkrit

Continue Reading

Trending