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List of all Animal Name in Sanskrit and Hindi|जानवरों के नाम संस्कृत भाषा में
दोस्तों हमारी पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवो में जानवर, पक्षी और जलीय जीव आते है। अब बात आती है कि जानवर कितने प्रकार के होते है। मुख्यतः जानवरो को जंगली और पालतू जानवरों में विभाजित किया जा सकता है।
जंगली जानवर वो होते है जो जंगलो में आबादी से दूर होते है। इन जानवरों में भी दो मुख्य प्रकार होते है। एक होते है मांसाहारी और दूसरे होते है शाकाहारी। मांसाहारी जानवरो में शेर, चीता, बाघ, भेड़िया जैसे प्राणी आते है। शाकाहारी जानवरो में हिरण, खरगोश, बंदर आदि आते है।
पृथ्वी पर हर तरह की परिस्थिति के अनुकूल जंतु पाये जाते है। करोडों सालों पहले धरती पर डायनासोर भी पाये जाते थे। यह एक भीमकाय सरीसृप प्रजाति का जीव था। इनके अलावा ड्रैगन भी धरती पर पाये जाते थे।
इस आर्टिकल में हम धरती पर पाए जाने वाले कुछ जानवरों के नाम आपके साथ संस्कृत और हिंदी भाषा (All Animal Name in Sanskrit and Hindi) में शेयर करने जा रहे हैं, जो अक्सर परीक्षा में पूछ लिए जाते हैं इस दृष्टि से इनका अभ्यास एक बार अवश्य करें
जलीय जीवों के नाम संस्कृत में (Water Animals Names In Sanskrit)
हिंदी में जलीय जीवों के नाम | संस्कृत में जलीय जीवों के नाम | Water Animals Names In English |
केंकड़ा | कर्कट | Crab |
मगरमच्छ | मकरी | Crocodile |
मेंडक | मण्डूक | Frog |
घोंघा | शम्बूकः | Snail |
साँप | सर्पः | Snake |
कछुआ | कच्छपी | Tortoise |
मछली | मत्स्य | Fish |
ऑक्टोपस | अष्टभुज | Octopus |
शार्क | नरादग्राह | Blue shark |
डॉल्फिन | शिशुमार | Dolphin |
पेंगुइन | पंखहीन | Penguin |
जंगली जानवरों के नाम संस्कृत में (Wild Animals Names In Sanskrit)
सिंहः | शेर | Lion |
शशकः | खरगोश | Rabbit |
लोमशः | लोमड़ी | Fox |
मृगः / हरिणः | हिरन | Deer |
वृकः | भेड़िया | Wolf / Coyote |
भल्लूकः | भालू | Bear |
गजः | हाथी | Elephant |
चित्रकः / तरक्षु / वाघः | चीता | Tiger |
गण्ड़कः | गैंड़ा | Rhinoceros |
कृकलासः | गिरगिट | Chameleon |
वनमनुष्यः | वनमानुष | Gorilla |
श्रृगालः | सियार / गीदड़ | Jackal |
नकुलः | नेवला | Mongoose |
तरक्षुः | तेंदुआ | Leopard |
गवयः | नील गाय | Blue Bull |
पालतू जानवरों के नाम संस्कृत में (Pet Animals Names In Sanskrit)
संस्कृत | हिंदी | English |
धेनुः / गौः | गाय | Cow |
महिषः | भैंस | Buffalo |
अजा | बकरी | Goat |
मेषः / एड़का | भेंड़ | Sheep |
वृषभः / बलीवर्दः | बैल | Ox |
अश्वः / हयः / घोटकः | घोड़ा | Horse |
गर्दभः / खरः | गधा | Donkey |
श्वानः / कुक्कुरः | कुत्ता | Dog |
सरमा | कुतिया | Bitch |
बिड़ाल | बिल्ली | Cat |
वानरः / कपि / मर्कटः | बन्दर | Monkey |
क्रमेलकः / उद्धिलाव | ऊँट | Camel |
मूषकः | चूहा | Rat / Mouse |
वराहः | सूअर | Pig |
चिक्रोड़ः | गिलहरी | Squirral |
वृषभः | साँड़ | Bull |
दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में शेयर की गई जानकारी (All Animal Name in Sanskrit and Hindi) आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा और ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहिएगा, धन्यवाद!
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Aacharya Chanakya 10 Line in Sanskrit language|आचार्य चाणक्य के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में यहां पढ़िए!
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ आचार्य चाणक्य के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में शेयर करने जा रहे हैं इ इसके साथ ही उनके जीवन की संक्षिप्त जानकारी (Aacharya Chanakya 10 line in Sanskrit language) आपके लिए लेकर आए हैं, जहां से परीक्षा में अक्सर सवाल पूछे जाते हैं।
चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के समय उनके मंत्रीमंडल में महामंत्री थे. चाणक्य का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था इनकी शिक्षा महान शिक्षा केंद्र” तक्षशिला” में हुई। 14 सालो तक चाणक्य ने अध्ययन किया और 26 वर्ष की आयु में इन्होंने अर्थशात्र, समाजशात्र, और राजनीति विषयो में गहरी शिक्षा प्राप्त की।
एक बार की बात है जब मगध वंश के दरबार में इनका अपमान किया गया तब से इन्होंने नन्द वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य के राजगद्दी में बिठाने के बाद इन्होंने अपनी प्रतिज्ञ पूरी की ओर नन्द वंश का नाश कर दिया। उन्होंने वहां मौर्य वंश स्थापित कर दिया। उस समय नन्द वंशो ने गरीबो की दशा खराब कर रखी थी तब प्रजा की रक्षा की और अपना कर्तव्य का पालन किया. उन्होंने नन्द वंशो को भारत से बाहर किया और एक राजा चन्द्रगुप्त मौर्य को एक अखंड राष्ट्र बनाने में मदद की। मौर्य वंश को बनाने में चाणक्य को श्रेय जाता हैं। चाणक्य कूटनीति को अहम मानते थे। इसलिये इन्हे कुटनीति का जनक भी माना जाता है। इस लिये राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने इन्हे महामंत्री का दर्जा दिया।
चाणक्य का जन्म और नाम
चाणक्य के विषय में इतिहास में ज्यादा प्रमाण नहीं मिलाता है.कुछ विद्वान इनके नाम के पीछे भी अपनी राय रखते है क्योंकि इनका नाम कौटिल्य भी था। कुछ लोग मानते है कुटल गोत्र होने के कारण इनका नाम कौटिल्य पड़ा। भारत में आज भी चाणक्य को चाणक्य और कौटिल्य आदि नामो से ही जाना जाता है। इस सम्बन्ध में महान विद्वान राधाकांत जी ने अपनी रचना में कहा हैं अस्तु कौटिल्य इति वा कौटिल्य इति या चनाक्यस्य गोत्र्नाम्ध्यम”। कुछ लोग ने सीधी राय रखी है चणक का पुत्र होने के कारण इन्हे चाणक्य कहा जाता हैं. कुछ विद्वान मानते है कि इनके पिता ने इनका नाम बचपन में विष्णु गुप्त रखा था जो बाद में चाणक्य और कौटिल्य कहलाये।
नाम (Name) | चाणक्य |
जन्म (Birthday) | 350 ईसा पूर्व (अनुमानित स्पष्ट नहीं है) |
मृत्यु की तिथि (Death) | 275 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र, (आधुनिक पटना में) भारत |
पिता (Father Name) | ऋषि कानाक या चैनिन (जैन ग्रंथों के अनुसार) |
माता (Mother Name) | चनेश्वरी (जैन ग्रंथों के अनुसार) |
शैक्षिक योग्यता (Education) | समाजशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, आदि का अध्ययन। |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
10 line on Acharya Chanakya in Sanskrit language
1) चाणक्यः मौर्यवंशप्रथमराज्ञः चंद्रगुप्तस्य मन्त्रीसहायक: च आसीत् ।
2) सः कौटिल्यः वा विष्णुगुप्तः इति नामभ्याम् अपि प्रसिद्धः आसीत्।
3) सः प्राचीनभारतस्यप्रसिद्धतमः कूटनीतिज्ञोऽभवत् ।
4) तस्य साहाय्येन एव चन्द्रगुप्तेन नन्दराज्यम् अवस्थापितम् मौर्यवंशं: स्थापित:च।
5) चाणक्य: अर्थशास्त्रम् इति पुस्तकस्य लेखको आसीत् ।
6) चाणक्यस्य पिता चणकः कचनब्राह्मणः आसीत्।
7) बाल्ये चाणक्यः सर्वान् वेदान् शास्त्राणि च अपठत्।
8) परं सः नीतिशास्त्रम् एव इच्छति स्म ।
9) सः यौवने तक्षशीलायाम् अवसत्।
10) स, कुटनितज्ञ, दार्शनिक च स्तः।
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Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit for Class 10th |रक्षाबंधन का निबंध संस्कृत में
दोस्तों इस आर्टिकल में आज हम (Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit) रक्षाबंधन का निबंध संस्कृत भाषा में आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं जो की परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं परीक्षा में त्यौहार से संबंधित टॉपिक पर निबंध लिखने का अवश्य ही पूछा जाता है हमारे इस आर्टिकल में हमने रक्षाबंधन के 10 वाक्य के साथ-साथ Long Eassy को भी शामिल किया है जिससे कि आपको इसी याद करने में आसानी होगी और आप परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं.
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है जो भाई बहन के प्यार और संबंध कोदर्शाता है यह पर्वश्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बनती है जिसका मतलब होता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा करेगा इसके साथ ही भाई अपनी बहन को उपहार देता है रक्षाबंधन एक परिवार में खुशियों और एकता की भावना को बढ़ावा देता है साथ ही भाई बहन के बीच विशेष संबंध को मजबूती प्रदान करता है.
इस दिन प्रात स्नान आदि करके बहने पूजा की थालियां सजाती हैं थाली में राखी के साथ रोली, हल्दी, चावल दीपक, मिठाई और फूल रखती हैं इसके बाद टिका करवाने के लिए भाई को उपयुक्त आसान देती है रोली या हल्दी से भाई का टिका करके चावल को टिके पर लगाया जाता है और सर पर फूलों को छिड़का जाता है उसकी आरती उतारी जाती है, और दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है भाई बहन को उपहार या धन देता है इस प्रकार रक्षाबंधन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है.
10 Sentence on Raksha Bandhan in Sanskrit
1.भारतदेश : उत्सवप्रिय : अस्ति , अत्र प्रत्येक मासे दिने व कोऽपि न कोऽपि उत्सव : भवति एव ।
2.येषु अति प्रसिद्धं उत्सव : अस्ति रक्षाबंधन : ।
3.अयम् भ्रातृ भगिन्योः बन्दनस्य पर्वः ।
4.रक्षाबंधन दिवसे भगिनी निज भ्रातु : राखी मणिबन्धनं करोति ।
5.तथांच भ्राता तस्या : रक्षणाय वचनं ददाति ।
6.रक्षाबन्दनस्य प्रतीक रूपमेव राखी ।
7.उत्सव : अयं भ्राता भगिनी च स्नेहस्य प्रतीक : अस्ति ।
8.रक्षाबंधनस्य अयं पवित्रं उत्सवं आर्थिक दृष्ट्या न पश्येयु : ।
9.अस्माकं आपणात् मूल्यवान् राखी न क्रीत्वा साधारणं सूत्रम् एव प्रयोगं कुर्यात्
10.सर्वे संतोषेण उत्साहेन आचरन्ति ।
Long Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit
रक्षाबन्धनं श्रावणमासस्य शुक्लपूर्णिमायाम् आचर्यते । भ्रातृभगिन्योः पवित्रसम्बन्धस्य सम्मानाय एतत् पर्व भारतीयाः आचरन्ति । निर्बलतन्तुना बद्धः भ्रातृभगिन्योः सबलसम्बन्धः भारतीयसंस्कृतेः गहनतायाः प्रतीकः । मानवसभ्यतायां विकसिताः सर्वाः संस्कृतयः प्रार्थनायाः माहात्म्यं भूरिशः उपस्थापयन्ति । आदिभारतीयसंस्कृतेः विचारानुगुणं भ्रातुः रक्षायै भगिन्या ईश्वराय कृता प्रार्थना एव रक्षाबन्धनम् । भगिनी ईश्वराय प्रार्थनां करोति यत् , “ हे ईश्वर ! मम भ्रातुः रक्षणं करोतु ” इति । एतां प्रार्थना कुर्वती भगिनी भ्रातुः हस्ते रक्षासूत्रबन्धनं करोति । भगिन्याः हृदि स्वं प्रति निःस्वार्थ प्रेम दृष्ट्वा भ्राता भगिन्यै वचनं ददाति यत् , “ अहं तव रक्षां करिष्ये ” इति । ततः उभौ परस्परं मधुरं भोजयतः । भगिन्या ईश्वराय स्वरक्षणस्य या प्रार्थना कृता , तस्याः प्रार्थनायाः कृते भगिनीं प्रति कृतज्ञता प्रकटयितुं भ्राता भगिन्यै उपहारम् अपि यच्छति । भ्रातृभगिन्योः सम्बन्धस्य एतत् आदानप्रदानम् अमूल्यं वर्तते ।
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संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध | Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit
Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th : संस्कृत ना केवल भारत की बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इसे पवित्र भाषा माना जाता है। प्राचीन काल में भारत जैसे देश में सबसे अत्यधिक संस्कृत भाषा बोली जाती थी। हालांकि धीरे-धीरे संस्कृत भाषा का महत्व (Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th) खत्म होने लगा। भारत में कम ही लोग संस्कृत भाषा का उपयोग करते हैं।आज भी हिंदू धार्मिक अनुष्ठान पूजा पाठ में संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता है। इससे हमें ज्ञात होता है कि संस्कृत भाषा का कितना धार्मिक महत्व है। वैसे भी संस्कृत भाषा को प्राचीन काल में देव भाषा कहा जाता था।।
यहां पर हम कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत भाषा में निबंध शेयर कर रहे हैं, जो कि संस्कृत भाषा के महत्व पर आधारित है।
संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध (Class 10th Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh)
[1] संस्कृतभाषा विश्वस्य सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा सर्वोत्तमसाहित्यसंयुक्ता अस्ति।
[2] संस्कृता परिशुद्धा व्याकरणसम्बन्धिदोषादिरहिता संस्कृतभाषेति निगद्यते।
[3] प्राचीने समये एषैव भाषा सर्वसाधारणा आसीत् ।
[4] सर्वे जना: संस्कृतभाषाम् एव वदन्ति स्म ।
[5] एषा एव अस्माकं पूर्वजानाम् आर्याणां सुलभा, शोभना, गरिमामयी च वाणी।
[6] संस्कृतभाषायामेव विश्वसाहित्यस्य सर्वप्राचीनग्रन्थाः चत्वारो वेदाः सन्ति येषां महत्त्वमद्यापि सर्वोपरि वर्तते।
[7] जीवनस्य सर्वसंस्कारेषु संस्कृतस्य प्रयोग: भवति ।
[8] भारतीय गौरवस्य रक्षणाय एतस्याः
[9] प्रसारश्च सवैरेव कर्त्तव्यः।
[10] अधुनाऽपि सङ्गणकस्य कृते संस्कृतभाषा अति उपयुक्ता अस्ति ।
[11] संस्कृतभाषैव भारतस्य प्राणभूताभाषा अस्ति ।
[12] भास-कालिदास-अश्वघोष-भवभूति-दण्डि-सुबन्धु-बाण-जयदेव प्रभृतयो महाकवयो नाटकाराश्च संस्कृतभाषायाः एव।
[13] राष्ट्रस्य ऐक्यं च साधयति ।
सस्कृतभाषायाः महत्वम
धन्योऽयम भारतदेशः समुल्लसति जनमानसपावनी, भव्यभावोद्भावोनी, शब्द-सन्दोह-प्रसविनि सुरभारती। विद्यमानेषु निखिलेष्वपि वाड्मयेषु अस्याः वाड्मयम सर्वश्रेष्ठ सुसम्पन्नम च वर्तते । इयमेव भाषा संस्कृत-नाम्नापि लोके प्रथिता अस्ति। अस्माकं रामायण-महाभारतऐतिहासिक ग्रन्थाः, चत्वारोवेदाः, सर्वा उपनिषदः, अष्टादशापुराणानि, अन्यानि च महाकाव्य-नाट्यदीनी अस्यामेव भाषायां लिखितानि सन्ति ।
इयमेव भाषा सर्वसामार्य भाषाणाम जननीती मन्यते भाषातत्वीदिभिः। संस्कृतस्य गौरवं बहुविधज्ञानाश्रयत्वं व्यापकत्वं च न कस्यापि दृष्टेविषयः। संस्कृतस्य गौरवमेव दृष्टिपथमानीय सम्युगक्त आचार्यप्रवरेण दण्डिना-
संस्कृतं नाम दैवी वाग्नवाख्याता महर्षिभिः
संस्कृतस्य साहित्यं सरसं, व्याकरणञ्च सुनिश्चितम। तस्य गद्ये पद्ये च लालित्यं,भावबोधसामर्थ्यम, अद्वितीयं श्रुतिमाधुर्यञ्च वर्तते । किं बहुना चरित्रनिर्माणार्थं संस्कृतसाहित्स्य आदिकविः वाल्मिकिः,महर्षिव्यासः,कविकुलगुरुः कालिदासः
अन्ये च भास-भारवि भवभूत्यादयोः महाकवयः स्वीकियैः ग्रन्थरत्नैः अद्यापि पाठकानं हृदि विराजन्ते । इयं भाषा अस्माभिः मातृसमं सम्माननीया वनंदनीया च यतो भारतमातुः स्वातंत्र्यं, गौरवम, अखण्डत्वं सांस्कृतिकमेकत्व संस्कृतेनैव सुरक्षितुं शक्यंते । इयं संस्कृतभाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा श्रेष्ठा चास्ति।ततः सुष्ठुक्तम ‘भाषासु मुख्या मधुरा दिव्य गिर्वाणभारती’ इति।
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