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Essay on Rainy Season in Sanskrit Language

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Essay on Rainy Season

Rainy Season Essay in Sanskrit

नमस्कार! अभ्यर्थियों इस आर्टिकल में हम वर्षा ऋतु का निबंध संस्कृत भाषा में (Essay on Rainy Season in Sanskrit Language) शेयर करने जा रहे हैं, जो कि परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है

वर्षा ऋतु मैं मौसम बहुत सुहावना होता है चारों और हरियाली ही हरियाली नजर आती है ग्रीष्म के ताप से जीवों को राहत देने के लिए वर्षा ऋतु आती है पुरवाई चलने लगती है उमड़ घुमड़ कर बादलों के समूह आकाश में गिराते हैं नीली घटा सूर्य को छिपा देती है और बादलों को देखकर मोर छम-छम नाचने लगते हैं थोड़ी देर में टप -टप -टप -टप बूंदे बरसने लगती हैं बादल घनघोर गर्जन करने लगते हैं, बिजली चमकने लगती है मूसलाधार वर्षा होने लगती है लोग इधर-उधर भीगने से बचने का प्रयत्न करते हैं लगातार कई दिन तक वर्षा (Essay on Rainy Season in Sanskrit Language) होती रहे तो नदी-तालाब आदि जल भर जाता है वर्षा ऋतु की कई लाभ होते हैं तो लोगों को अतिवृष्टि के कारण हानि और कष्ट भी सहन करना पड़ता है,

तो आइए जानते हैं इसी वर्षा ऋतु के बारे में संस्कृत भाषा में-

वर्षा ऋतु का निबंध संस्कृत भाषा में (निबंध No.-1)

वर्षा-ऋतौ आकाशो मेघेः आच्छन्नो भवति । वर्षाकाले वर्षन् देवो नटराज इव भाति । अस्य प्रत्येकमङ्गे अभिनये च विद्युत इव चापल्यम् अस्ति । यदा चायं दिशि दिशि असंख्यैः पादैः धावति कुर्दति च तदा धरा रोदितीव । तस्याः अधुभिः अनेकाः वक्राः धारा: वहन्ति । परस्परं च मिलित्वा ताः नदीतडागादीनां प्रवाहं विशन्ति । पर्वतेभ्यः समतलं प्रति धावन्तीनां गत्या तासां प्रियमेलनाकुलता स्पष्टव । देवे वेगेन वर्षति ता उन्मत्ताः इव शिलासु पतन्ति, पथि धूलि वृक्षपत्राणि च संहरन्ति, वृक्षान् परिक्रान्ति। सां बाहुल्येन नदीकासारतडागादयः सर्वे जलाशयाः सम्पूरिताः ।

बहवश्च स्वतटमुल्लंघ्य बहिर्भूमौ वहन्ति । यद्यपि मनुष्येण अनेकेषु स्थलेषु नियन्त्रितो जलप्रवाहः तथापि तेन प्रतिवर्ष जनक्षतिर्भवति, ग्रामा ध्वस्यन्ते अन्नस्य च नाशो भवति । वर्षा-ऋतौ प्राकृतिक दृश्यम् अतीव रमणीयम् भवति । प्रकृत्याः दिगन्तव्यापिनी श्यामलता सर्वेषां मनस्सु आह्लादं सिञ्चति । अस्मिन् ऋतौ प्रकृतिनटी विविधरूपाणि धारयति, कदाचित् विद्युतः विस्फुरन्ति कदाचित् झञ्झावातः वाति, कदाचित् इन्द्रधनुषः विविधवर्णा शोभा दृश्यते । गाढे तमसि दीव्यन्त्या तडिता कृष्णपट्टे बालचित्रकारेणेव निरर्थका रेखाः खचिताः याः क्षणे एवान्तर्धानं गच्छन्ति ।

 

(निबंध No.-2)

वर्षाकाले रवेः सुवर्णपिण्डस्य दर्शनं दुर्लभम् एव । स महातेजोराशिः क्षितिजपाश्र्वाद् वर्धमानैः भीषणश्यामघनैः आच्छादितो भवति । तदा नीले नभसि घोरान्धकारेण जगदिदं दिनेऽपि रजनीतमः धारयति । क्षणपूर्वं यत्रातपो दृश्यते तत्रैव अपरस्मिन् क्षणे सघनघनघटाभिः सर्वं तमोनिगूढमिव भवति सतडिद्गर्जनं च मेघो वर्षति । वृष्टेः पूर्वं मयूराश्च नर्तकीव मुदितचेतसः ताभिः घटाभिः मेघस्य गर्जनेन च मृदङ्गनादेनेव पक्षान् प्रसार्य नृत्यन्ति। सर्वे कोटरान्तरस्थिताः खगाः बहिनिष्क्रय विहरन्ति । शिशुगणाः निश्चिन्ताः उद्यानेषु क्रीडन्ति । मन्दः पवनो वृक्षान् समीरयति । कापि हृदयहारिणी शोभा। परं यदैव वृष्टिरारभते, खगाः नीडान् प्रत्यागच्छन्ति, गावश्य जलकणेभ्यः आत्मरक्षार्थं स्थानं किमपि धावन्ति । इमे कणाः कृषकाणाम् तु अमृतमेव यभूमौ पतित्वा मृत्तिकायाः रत्नानि उत्पादयति, यैः सर्वाणि भूतानि जीवन्ति ।

वर्षामनु प्रदोषसमये छिन्नभिन्नमेधाः कमप्यज्ञातप्रदेश गच्छन्ति विमलाकाशे चेन्द्रधनुः व्योम्नः पृथिव्याश्चाति दूरस्थिते द्वे स्थाने योजयति । तस्य दिव्यज्योतिः दृष्टये सुख प्रददाति । बृष्टिविरामं ज्ञात्वा सर्वे पक्षिगणाः स्वैर नीडेभ्यः निर्गत्य भूयो नभसि विचरन्ति मधुरं कलरवं च कुर्वन्ति । तडागकूपादिषु मण्डूकानां “टर्रटर्र’ इति ध्वनिः सर्वत्र श्रूयते । श्रावणमासे स्थितोऽयं ऋतुः भारतीयकृषकाणां जीवनम् । पुरा तेषां श्रमफलमस्यैव ऋतोः प्रसादेन भवति । यतस्तदा सर्वे कृषीवलाः बद्धाञ्जलयो वृष्टिर्भवेदिति देवं प्रार्थयन्ते स्म । परमधुना तु विज्ञानस्य उन्नत्या नदीनाम् जलं यथेप्सितं सेचनार्थं योज्यते ।

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Aacharya Chanakya 10 Line in Sanskrit language|आचार्य चाणक्य के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में यहां पढ़िए!

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नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ आचार्य चाणक्य के बारे में 10 वाक्य संस्कृत भाषा में शेयर करने जा रहे हैं इ इसके साथ ही उनके जीवन की संक्षिप्त जानकारी (Aacharya Chanakya 10 line in Sanskrit language) आपके लिए लेकर आए हैं, जहां से परीक्षा में अक्सर सवाल पूछे जाते हैं।

चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के समय उनके मंत्रीमंडल में महामंत्री थे. चाणक्य का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था इनकी शिक्षा महान शिक्षा केंद्र” तक्षशिला” में हुई। 14 सालो तक चाणक्य ने अध्ययन किया और 26 वर्ष की आयु में इन्होंने अर्थशात्र, समाजशात्र, और राजनीति विषयो में गहरी शिक्षा प्राप्त की।

एक बार की बात है जब मगध वंश के दरबार में इनका अपमान किया गया तब से इन्होंने नन्द वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य के राजगद्दी में बिठाने के बाद इन्होंने अपनी प्रतिज्ञ पूरी की ओर नन्द वंश का नाश कर दिया। उन्होंने वहां मौर्य वंश स्थापित कर दिया। उस समय नन्द वंशो ने गरीबो की दशा खराब कर रखी थी तब प्रजा की रक्षा की और अपना कर्तव्य का पालन किया. उन्होंने नन्द वंशो को भारत से बाहर किया और एक राजा चन्द्रगुप्त मौर्य को एक अखंड राष्ट्र बनाने में मदद की। मौर्य वंश को बनाने में चाणक्य को श्रेय जाता हैं। चाणक्य कूटनीति को अहम मानते थे। इसलिये इन्हे कुटनीति का जनक भी माना जाता है। इस लिये राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने इन्हे महामंत्री का दर्जा दिया। 

चाणक्य का जन्म और नाम

चाणक्य के विषय में इतिहास में ज्यादा प्रमाण नहीं मिलाता है.कुछ विद्वान इनके नाम के पीछे भी अपनी राय रखते है क्योंकि इनका नाम कौटिल्य भी था। कुछ लोग मानते है कुटल गोत्र होने के कारण इनका नाम कौटिल्य पड़ा। भारत में आज भी चाणक्य को चाणक्य और कौटिल्य आदि नामो से ही जाना जाता है। इस सम्बन्ध में महान विद्वान राधाकांत जी ने अपनी रचना में कहा हैं अस्तु कौटिल्य इति वा कौटिल्य इति या चनाक्यस्य गोत्र्नाम्ध्यम”। कुछ लोग ने सीधी राय रखी है चणक का पुत्र होने के कारण इन्हे चाणक्य कहा जाता हैं. कुछ विद्वान मानते है कि इनके पिता ने इनका नाम बचपन में विष्णु गुप्त रखा था जो बाद में चाणक्य और कौटिल्य कहलाये।

नाम (Name)चाणक्य
जन्म (Birthday)350 ईसा पूर्व (अनुमानित स्पष्ट नहीं है)
मृत्यु की तिथि (Death)275 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र, (आधुनिक पटना में) भारत
पिता (Father Name)ऋषि कानाक या चैनिन (जैन ग्रंथों के अनुसार)
माता (Mother Name)चनेश्वरी (जैन ग्रंथों के अनुसार)
शैक्षिक योग्यता (Education)समाजशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, आदि का अध्ययन।
वैवाहिक स्थितिविवाहित
उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्रनामक ग्रंथ राजनीति अर्थनीति कृषि समाज नीति आदि का महान ग्रंथ हैअर्थशास्त्र मौर्य कालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है चाणक्य की मृत्यु को लेकर दो कहानी संदर्भ में आती है लेकिन दोनों में से कौन सी सच है इसका भी कोई कर नहीं निकला है विष्णु पुराण भागवत आदि पुराणों तथा कथा सरित सागर आदि संस्कृत ग मेंतो चाणक्य का नाम आया ही है बौद्ध ग में भी इसकी कथा बराबर मिलती है बुद्ध घोष की बनाई हुई विनय पिटक की टीका में चाणक्य का वृतांत दिया हुआ है

10 line on Acharya Chanakya in Sanskrit language

1) चाणक्यः मौर्यवंशप्रथमराज्ञः चंद्रगुप्तस्य मन्त्रीसहायक: च आसीत् ।

2) सः कौटिल्यः वा विष्णुगुप्तः इति नामभ्याम् अपि प्रसिद्धः आसीत्।

3) सः प्राचीनभारतस्यप्रसिद्धतमः कूटनीतिज्ञोऽभवत् ।

4) तस्य साहाय्येन एव चन्द्रगुप्तेन नन्दराज्यम् अवस्थापितम् मौर्यवंशं: स्थापित:च।

5) चाणक्य: अर्थशास्त्रम् इति पुस्तकस्य लेखको आसीत् ।

6) चाणक्यस्य पिता चणकः कचनब्राह्मणः आसीत्।

7) बाल्ये चाणक्यः सर्वान् वेदान् शास्त्राणि च अपठत्।

8) परं सः नीतिशास्त्रम् एव इच्छति स्म ।

9) सः यौवने तक्षशीलायाम् अवसत्।

10) स, कुटनितज्ञ, दार्शनिक च स्तः।

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Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit for Class 10th |रक्षाबंधन का निबंध संस्कृत में

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दोस्तों इस आर्टिकल में आज हम (Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit) रक्षाबंधन का निबंध संस्कृत भाषा में आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं जो की परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं परीक्षा में त्यौहार से संबंधित टॉपिक पर निबंध लिखने का अवश्य ही पूछा जाता है हमारे इस आर्टिकल में हमने रक्षाबंधन के 10 वाक्य के साथ-साथ Long Eassy को भी शामिल किया है जिससे कि आपको इसी याद करने में आसानी होगी और आप परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं.

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है जो भाई बहन के प्यार और संबंध कोदर्शाता है यह पर्वश्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बनती है जिसका मतलब होता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा करेगा इसके साथ ही भाई अपनी बहन को उपहार देता है रक्षाबंधन एक परिवार में खुशियों और एकता की भावना को बढ़ावा देता है साथ ही भाई बहन के बीच विशेष संबंध को मजबूती प्रदान करता है.

इस दिन प्रात स्नान आदि करके बहने पूजा की थालियां सजाती हैं थाली में राखी के साथ रोली, हल्दी, चावल दीपक, मिठाई और फूल रखती हैं इसके बाद टिका करवाने के लिए भाई को उपयुक्त आसान देती है रोली या हल्दी से भाई का टिका करके चावल को टिके पर लगाया जाता है और सर पर फूलों को छिड़का जाता है उसकी आरती उतारी जाती है, और दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है भाई बहन को उपहार या धन देता है इस प्रकार रक्षाबंधन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है.

10 Sentence on Raksha Bandhan in Sanskrit

1.भारतदेश : उत्सवप्रिय : अस्ति , अत्र प्रत्येक मासे दिने व कोऽपि न कोऽपि उत्सव : भवति एव ।

2.येषु अति प्रसिद्धं उत्सव : अस्ति रक्षाबंधन : ।

3.अयम् भ्रातृ भगिन्योः बन्दनस्य पर्वः ।

4.रक्षाबंधन दिवसे भगिनी निज भ्रातु : राखी मणिबन्धनं करोति ।

5.तथांच भ्राता तस्या : रक्षणाय वचनं ददाति ।

6.रक्षाबन्दनस्य प्रतीक रूपमेव राखी ।

7.उत्सव : अयं भ्राता भगिनी च स्नेहस्य प्रतीक : अस्ति ।

8.रक्षाबंधनस्य अयं पवित्रं उत्सवं आर्थिक दृष्ट्या न पश्येयु : ।

9.अस्माकं आपणात् मूल्यवान् राखी न क्रीत्वा साधारणं सूत्रम् एव प्रयोगं कुर्यात्

10.सर्वे संतोषेण उत्साहेन आचरन्ति ।

Long Essay on Raksha Bandhan in Sanskrit

रक्षाबन्धनं श्रावणमासस्य शुक्लपूर्णिमायाम् आचर्यते । भ्रातृभगिन्योः पवित्रसम्बन्धस्य सम्मानाय एतत् पर्व भारतीयाः आचरन्ति । निर्बलतन्तुना बद्धः भ्रातृभगिन्योः सबलसम्बन्धः भारतीयसंस्कृतेः गहनतायाः प्रतीकः । मानवसभ्यतायां विकसिताः सर्वाः संस्कृतयः प्रार्थनायाः माहात्म्यं भूरिशः उपस्थापयन्ति । आदिभारतीयसंस्कृतेः विचारानुगुणं भ्रातुः रक्षायै भगिन्या ईश्वराय कृता प्रार्थना एव रक्षाबन्धनम् । भगिनी ईश्वराय प्रार्थनां करोति यत् , “ हे ईश्वर ! मम भ्रातुः रक्षणं करोतु ” इति । एतां प्रार्थना कुर्वती भगिनी भ्रातुः हस्ते रक्षासूत्रबन्धनं करोति । भगिन्याः हृदि स्वं प्रति निःस्वार्थ प्रेम दृष्ट्वा भ्राता भगिन्यै वचनं ददाति यत् , “ अहं तव रक्षां करिष्ये ” इति । ततः उभौ परस्परं मधुरं भोजयतः । भगिन्या ईश्वराय स्वरक्षणस्य या प्रार्थना कृता , तस्याः प्रार्थनायाः कृते भगिनीं प्रति कृतज्ञता प्रकटयितुं भ्राता भगिन्यै उपहारम् अपि यच्छति । भ्रातृभगिन्योः सम्बन्धस्य एतत् आदानप्रदानम् अमूल्यं वर्तते ।

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List of all Animal Name in Sanskrit and Hindi|जानवरों के नाम संस्कृत भाषा में

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दोस्तों हमारी पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवो में जानवर, पक्षी और जलीय जीव आते है। अब बात आती है कि जानवर कितने प्रकार के होते है। मुख्यतः जानवरो को जंगली और पालतू जानवरों में विभाजित किया जा सकता है।

जंगली जानवर वो होते है जो जंगलो में आबादी से दूर होते है। इन जानवरों में भी दो मुख्य प्रकार होते है। एक होते है मांसाहारी और दूसरे होते है शाकाहारी। मांसाहारी जानवरो में शेर, चीता, बाघ, भेड़िया जैसे प्राणी आते है। शाकाहारी जानवरो में हिरण, खरगोश, बंदर आदि आते है।

पृथ्वी पर हर तरह की परिस्थिति के अनुकूल जंतु पाये जाते है। करोडों सालों पहले धरती पर डायनासोर भी पाये जाते थे। यह एक भीमकाय सरीसृप प्रजाति का जीव था। इनके अलावा ड्रैगन भी धरती पर पाये जाते थे।

इस आर्टिकल में हम धरती पर पाए जाने वाले कुछ जानवरों के नाम आपके साथ संस्कृत और हिंदी भाषा (All Animal Name in Sanskrit and Hindi) में शेयर करने जा रहे हैं, जो अक्सर परीक्षा में पूछ लिए जाते हैं इस दृष्टि से इनका अभ्यास एक बार अवश्य करें

जलीय जीवों के नाम संस्कृत में (Water Animals Names In Sanskrit)

हिंदी में जलीय जीवों के नाम संस्कृत में जलीय जीवों के नाम Water Animals Names In English
केंकड़ा कर्कट Crab
मगरमच्छ मकरी Crocodile
मेंडक मण्डूक Frog
घोंघा शम्बूकः Snail
साँप सर्पः Snake
कछुआ कच्छपी Tortoise
मछली मत्स्य Fish
ऑक्टोपस अष्टभुज Octopus
शार्क नरादग्राह Blue shark
डॉल्फिन शिशुमार Dolphin
पेंगुइन पंखहीन Penguin

जंगली जानवरों के नाम संस्कृत में (Wild Animals Names In Sanskrit)

सिंहः शेर Lion
शशकः खरगोश Rabbit
लोमशः लोमड़ी Fox
मृगः / हरिणः हिरन Deer
वृकः भेड़िया Wolf / Coyote
भल्लूकः भालू Bear
गजः हाथी Elephant
चित्रकः / तरक्षु / वाघः चीता Tiger
गण्ड़कः गैंड़ा Rhinoceros
कृकलासः गिरगिट Chameleon
वनमनुष्यः वनमानुष Gorilla
श्रृगालः सियार / गीदड़ Jackal
नकुलः नेवला Mongoose
तरक्षुः तेंदुआ Leopard
गवयः नील गाय Blue Bull

पालतू जानवरों के नाम संस्कृत में (Pet Animals Names In Sanskrit)

संस्कृत हिंदी English
धेनुः / गौः गाय Cow
महिषः भैंस Buffalo
अजा बकरी Goat
मेषः / एड़का भेंड़ Sheep
वृषभः / बलीवर्दः बैल Ox
अश्वः / हयः / घोटकः घोड़ा Horse
गर्दभः / खरः गधा Donkey
श्वानः / कुक्कुरः कुत्ता Dog
सरमा कुतिया Bitch
बिड़ाल बिल्ली Cat
वानरः / कपि / मर्कटः बन्दर Monkey
क्रमेलकः / उद्धिलाव ऊँट Camel
मूषकः चूहा Rat / Mouse
वराहः सूअर Pig
चिक्रोड़ः गिलहरी Squirral
वृषभः साँड़ Bull

दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में शेयर की गई जानकारी (All Animal Name in Sanskrit and Hindi) आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा और ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक से संबंधित जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहिएगा, धन्यवाद!

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