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Essay on River Ganga in Sanskrit

Essay on River Ganga in Sanskrit Language
नमस्कार! दोस्तों आप सभी जानते हैं कि गंगा नदी (Essay on River Ganga in Sanskrit) हमारे देश की एक पवित्र नदियों में से एक है हिंदू धर्म के लोग इसकी पूजा और आराधना करते हैं यह उनकी आस्था का प्रतीक है इसी नदी के बारे में हम आज आपके साथ 10 वाक्य संस्कृत भाषा में शेयर करने जा रहे हैं जो कि परीक्षा में निबंध के रूप में पूछा जा सकता है
10 Lines on Ganga in Sanskrit
1. गङ्गाया अखिलविश्वस्य नदीषु महत्त्वपूर्णं स्थानं वर्तते।
2.सुरधुनीयम्, भागीरथी, विष्णुनदी, जाह्नवी आदि अस्याः अन्यानि नामानि सन्ति।
3.गङ्गा हिमालयात् नि:सृता।
4.भारतवर्षस्य धरित्रीं शस्यश्यामला निर्मातुं गङ्गायाः उपकारः अनिर्वचनीयः।
5.भारतवर्षस्य अनेकानि प्रमुखानि नगराणि अस्याः तटे स्थिताः सन्ति।
6.गङ्गायाः पावने कूले अमेकानि तीर्थस्थानामि सन्ति।
7.गङ्गोदकं स्वच्छं शीतलं, तृषीशामकं, रुचिवर्द्धकं, सुस्वादु, रोगापहारि च भवति।
8.गङ्गायाः जले कीटाणवः न जायन्ते।
9.जना इमां ‘गङ्गामाता इति सम्बोधयन्ति।
10.अद्य मानव: अज्ञानवशात् प्रमादात् च सर्वकल्याणकारिणीं गङ्गां प्रदूषयति।
Long Essay on River Ganga in Sanskrit
भारतवर्षस्य सर्वासां नदीनां गङ्गव श्रेष्ठा पुण्यतमा, देवी च सा मन्यते । भागीरथी जाह्नवी चेत्यप्यस्या एव द्वे अपरे नाम्नी । कथम् इयं भागीरथी कथं चेयं जाह्नवीति विषये विभिन्नाः कथाः प्रचलिताः । एके वदन्ति यद्यदा त्रिशूलधरः त्रिनेत्रः तेजस्वी भगवान् शङ्करस्तपश्चचार तदा इयं गङ्गा नदी तस्य शिरसः उगता। अन्ये कथयन्ति यद् यदा गङ्गा स्वर्गात् पतिता तदा सा शिवस्य जटासु विलुप्ता, पश्चात् च शिवेन स्वयमेव तस्याः प्रवाहो मुक्तः । परमेतानि सर्वाण्याख्यानानि कल्पितानि । वस्तुतः हिमाच्छादितं हिमगिरिशिखरमेव शिवशीर्षरूपेण कल्पितम् । इमाः पौराणिक्यः आख्यायिका भगवतशिवस्य शक्तिमात्रमेव दर्शयन्ति । अथवा तैः आख्यानैस्तपसो महिमापि ज्ञायते यत्तपसा मनुजोऽप्राप्यम् अपि प्राप्तुम् शक्तः । तप एवास्मिन् विश्वस्मिन् विश्वे प्राणिनं निश्चिन्तं करोति । तपसो बलेन भगीरथः इमां नदीं स्वर्गात् पृथ्वीं प्रति मनुष्यहिताय आनयत् । अतः अस्या नाम भागीरथी इति प्रसिद्धम् ।अद्यापि गङ्गायाः शीतले जले स्नानं पुण्यजनक मन्यते। विदेषेष्वपि भारतभक्ता जना गङ्गाजलम् अमृतमिव बहुमूल्यं मत्वा शिरसि धारयन्ति तच्च रक्षन्ति ।
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संस्कृत में महीनों के नाम || All Month Name In Sanskrit

All Month Name In Sanskrit: हिंदी महीनों को विक्रमी संवत में गिना जाता है जिसका प्रारंभ 58 ईसा पूर्व में हुआ था।12 महीनों का 1 वर्ष और 7 दिन का 1 सप्ताह का प्रचलन विक्रम संवत से प्रारंभ हुआ था । हिंदी वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास से माना जाता है जोकि फाल्गुन मास में खत्म होता है । इस लेख में हम वर्ष के 12 महीनों के नाम संस्कृत भाषा में आप के साथ शेयर कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है।
Month Name In Sanskrit Language
अंग्रेजी में नाम | संस्कृत में नाम |
मार्च-अप्रैल | चैत्र: |
अप्रैल-मई | वैशाख: |
मई-जून | ज्येष्ठ: |
जून-जुलाई | आषाढ़: |
जुलाई-अगस्त | श्रावण: |
अगस्त-सितम्बर | भाद्रपद: |
सितम्बर-अक्टूबर | आश्विन: |
अक्टूबर-नवम्बर | कार्तिक: |
नवम्बर-दिसम्बर | मार्गशीर्ष: |
दिसम्बर-जनवरी | पौष: |
जनवरी-फरवरी | माघ: |
फरवरी-मार्च | फाल्गुन: |
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संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र| Application For Sick Leave In Sanskrit

Application For Sick Leave In Sanskrit: भारतीय संस्कृति की विरासत का प्रतीक संस्कृत भाषा जिसे देव भाषा के रूप में भी जाना जाता है यह भारत व विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक है।दुनिया भर में सिर्फ संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो पूरी तरह से सटीक है।
इस आर्टिकल में हम संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र आप के साथ शेयर कर रहे हैं जो कि स्कूल के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है।
संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र (Sick Leave Application In Sanskrit)
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाचार्य महोदयः,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयः,
इन्दौरनगरम्, मध्यप्रदेश:
विषय : अवकाशार्थं प्रार्थनापत्रम्
महोदयाः,
‘सविनयं निवेदनतम् अस्ति यद अहम अथ सहसा ज्वरपीडितः अस्मि। अतः विद्यालयम् आगन्तुम् असमर्थः अस्मि। कृपया मम पञ्चदिवसानां अवकाश स्वीकुर्वन्तु ।
दिनाङ्क 10/03/2022 भवदीयः शिष्य: रामः
कक्षा अ ब … .. वर्ग:
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संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध || Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit
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संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध || Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit

Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th :देश की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक माने जाने वाली संस्कृत भाषा का प्रयोग प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में किया जा रहा है । यहां पर हम कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत भाषा में निबंध शेयर कर रहे हैं जो कि संस्कृत भाषा के महत्व पर आधारित है।
संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध
[1] संस्कृतभाषा विश्वस्य सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा सर्वोत्तमसाहित्यसंयुक्ता अस्ति।
[2] संस्कृता परिशुद्धा व्याकरणसम्बन्धिदोषादिरहिता संस्कृतभाषेति निगद्यते।
[3] प्राचीने समये एषैव भाषा सर्वसाधारणा आसीत् ।
[4] सर्वे जना: संस्कृतभाषाम् एव वदन्ति स्म ।
[5] एषा एव अस्माकं पूर्वजानाम् आर्याणां सुलभा, शोभना, गरिमामयी च वाणी।
[6] संस्कृतभाषायामेव विश्वसाहित्यस्य सर्वप्राचीनग्रन्थाः चत्वारो वेदाः सन्ति येषां महत्त्वमद्यापि सर्वोपरि वर्तते।
[7] जीवनस्य सर्वसंस्कारेषु संस्कृतस्य प्रयोग: भवति ।
[8] भारतीय गौरवस्य रक्षणाय एतस्याः
[9] प्रसारश्च सवैरेव कर्त्तव्यः।
[10] अधुनाऽपि सङ्गणकस्य कृते संस्कृतभाषा अति उपयुक्ता अस्ति ।
[11] संस्कृतभाषैव भारतस्य प्राणभूताभाषा अस्ति ।
[12] भास-कालिदास-अश्वघोष-भवभूति-दण्डि-सुबन्धु-बाण-जयदेव प्रभृतयो महाकवयो नाटकाराश्च संस्कृतभाषायाः एव।
[13] राष्ट्रस्य ऐक्यं च साधयति ।
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