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Mitra ko Badhai Patra Sanskrit Mein || For Class 10th

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Badhai Patra in Sanskrit

संस्कृत में मित्र के लिए पत्र||Letter Write to Your Friend in Sanskrit

नमस्कार! अभ्यार्थियों इस आर्टिकल में हम पत्र लेखन (Mitra ko Badhai Patra Sanskrit Mein) से संबंधित आर्टिकल आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं जिसमें हम भी शामिल किया है अपने मित्र को परीक्षा में सफलता प्राप्त करने पर बधाई देने हेतु पत्र लिखे संस्कृत भाषा में है यह परीक्षा के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है

संस्कृत में मित्र को परीक्षा में सफलता पर बधाई पत्र

नर्मदा पुरम

दिनांक 20 जनवरी 2021
प्रिय मित्र रवि

नमस्ते !

अत्र कुशलं तत्रास्तु। तव पत्रं प्राप्य अतीव प्रसन्नोSस्मि। ईश्वरस्य अनुकम्पया वयमपि अत्र कुशलिनः। मम विद्यालयः ग्रीष्मावकाशाय 25/4/2021 तिथेः पिधास्यमानः अस्ति। तव विद्यालयः कदा पिधास्यते ?
अस्मिन वर्षे ग्रीष्मावकाशे सपरिवारोSहम् इंदौर नगरम गन्तुं इच्छामि। नगरमेतत् परं रमणीयं। अतएव त्वमपि मया सह इंदौर नगरम आगच्छ। आशासे यत् अत्रागमानेन त्वम् माम् अनुगृहीतं करिष्यसि।

कुशलमन्यत्प। परिचितेभ्यो नमः। पत्रोत्तरं देहि शीघ्रं।

बंधु

कैलाश

दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में हमने संस्कृत पत्र लेखन (Mitra ko Badhai Patra Sanskrit Mein) से संबंधित पोस्ट आपके साथ शेयर की है आशा है कि आप उसका ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे और परीक्षा में आने वाले से संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल कर सकेंगे

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संस्कृत में महीनों के नाम || All Month Name In Sanskrit

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All Month Name In Sanskrit

All Month Name In Sanskrit: हिंदी महीनों को विक्रमी संवत में गिना जाता है जिसका प्रारंभ 58 ईसा पूर्व में हुआ था।12 महीनों का 1 वर्ष और 7 दिन का 1 सप्ताह का प्रचलन विक्रम संवत से प्रारंभ हुआ था । हिंदी वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास से माना जाता है जोकि फाल्गुन मास में खत्म होता है । इस लेख में हम वर्ष के 12 महीनों के नाम संस्कृत भाषा में आप के साथ शेयर कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है।

Month Name In Sanskrit Language

अंग्रेजी में नामसंस्कृत में नाम
मार्च-अप्रैलचैत्र:
अप्रैल-मईवैशाख:
मई-जूनज्येष्ठ:
जून-जुलाईआषाढ़:
जुलाई-अगस्तश्रावण:
अगस्त-सितम्बरभाद्रपद:
सितम्बर-अक्टूबरआश्विन:
अक्टूबर-नवम्बरकार्तिक:
नवम्बर-दिसम्बरमार्गशीर्ष:
दिसम्बर-जनवरीपौष:
जनवरी-फरवरीमाघ:
फरवरी-मार्चफाल्गुन:

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संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र| Application For Sick Leave In Sanskrit

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Application For Sick Leave In Sanskrit

Application For Sick Leave In Sanskrit: भारतीय संस्कृति की विरासत का प्रतीक संस्कृत भाषा जिसे देव भाषा के रूप में भी जाना जाता है यह भारत व विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक है।दुनिया भर में सिर्फ संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो पूरी तरह से सटीक है। 

इस आर्टिकल में हम संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र आप के साथ शेयर कर रहे हैं जो कि स्कूल के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है।

संस्कृत भाषा में अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र (Sick Leave Application In Sanskrit)

सेवायाम्

             श्रीमन्तः प्रधानाचार्य महोदयः, 

             राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयः,    

              इन्दौरनगरम्, मध्यप्रदेश:

विषय : अवकाशार्थं प्रार्थनापत्रम्

महोदयाः,

           ‘सविनयं निवेदनतम् अस्ति यद अहम अथ सहसा ज्वरपीडितः अस्मि। अतः विद्यालयम् आगन्तुम् असमर्थः अस्मि। कृपया मम पञ्चदिवसानां अवकाश स्वीकुर्वन्तु ।

दिनाङ्क   10/03/2022                                                                           भवदीयः शिष्य: रामः  

                                                                                                        कक्षा अ ब … .. वर्ग:  

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संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध || Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit

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संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध || Essay on Sanskrit Bhasha Mahatva In Sanskrit

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Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th

Sanskrit Bhasha Mahatva Nibandh For Class 10th :देश की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक माने जाने वाली संस्कृत भाषा का प्रयोग प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में किया जा रहा है । यहां पर हम कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत भाषा में निबंध शेयर कर रहे हैं जो कि संस्कृत भाषा के महत्व पर आधारित है।

संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध

[1] संस्कृतभाषा विश्वस्य सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा सर्वोत्तमसाहित्यसंयुक्ता अस्ति।

[2]  संस्कृता परिशुद्धा व्याकरणसम्बन्धिदोषादिरहिता संस्कृतभाषेति निगद्यते।

[3]  प्राचीने समये एषैव भाषा सर्वसाधारणा आसीत् ।

[4]  सर्वे जना: संस्कृतभाषाम् एव वदन्ति स्म । 

[5] एषा एव अस्माकं पूर्वजानाम् आर्याणां सुलभा, शोभना, गरिमामयी च वाणी।

[6]  संस्कृतभाषायामेव विश्वसाहित्यस्य सर्वप्राचीनग्रन्थाः चत्वारो वेदाः सन्ति येषां महत्त्वमद्यापि सर्वोपरि वर्तते।

[7] जीवनस्य सर्वसंस्कारेषु संस्कृतस्य प्रयोग: भवति । 

[8]  भारतीय गौरवस्य रक्षणाय एतस्याः

[9] प्रसारश्च सवैरेव कर्त्तव्यः। 

[10] अधुनाऽपि सङ्गणकस्य कृते संस्कृतभाषा अति उपयुक्ता अस्ति । 

[11] संस्कृतभाषैव भारतस्य प्राणभूताभाषा अस्ति ।

[12] भास-कालिदास-अश्वघोष-भवभूति-दण्डि-सुबन्धु-बाण-जयदेव प्रभृतयो महाकवयो नाटकाराश्च संस्कृतभाषायाः एव। 

[13] राष्ट्रस्य ऐक्यं च साधयति । 

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